सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए सहारा के निवेशकों को अपना पैसा वापस पाने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी:

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अगर आपकी भी जमा पूंजी सहारा समूहों में फंसी है तो आपके लिए अच्छी खबर है. सहारा रिफंड पोर्टल मंगलवार को गृह एवं संघीय सहयोग मंत्री अमित शाह लॉन्च करेंगे. यह पोर्टल आज सुबह 11 बजे लॉन्च किया जाएगा. इस पोर्टल के जरिए सहारा के निवेशकों को अपना पैसा वापस पाने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी.

सहारा समूहों में सैकड़ों भारतीय नागरिकों का पैसा फंसा हुआ है. इस कंपनी में लोगों ने अपनी सारी बचत निवेश कर दी है. अब उन्हें अपनी निवेश राशि का इंतजार है. लोगों ने अपने पैसों के लिए काफी लंबा इंतजार किया है. इस पोर्टल के लॉन्च होने के तुरंत बाद निवेशक अपना पैसा निकाल सकते हैं। आपको बता दें कि सहारा के निवेशक इस मामले में सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे.

सहारा समूह के ज्यादातर निवेशक मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोग हैं. सहारा में सबसे ज्यादा पैसा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों के निवेशकों ने लगाया है. कुछ निवेशकों ने अपनी सारी मेहनत की कमाई लगा दी है. कई राज्यों में इसके खिलाफ आंदोलन भी हुआ.

सहारा समूह की जिन सहकारी समितियों में हजारों करोड़ रुपये फंसे हैं उनमें सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव, सहारा यूनिवर्सल मल्टीपर्पज, हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव और स्टार्स मल्टीपर्पज शामिल हैं. सबसे ज्यादा पैसा सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव में है. पोर्टल केवल वास्तविक निवेशकों के लिए उचित पहचान और प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए बनाया गया है, क्योंकि भुगतान से पहले दावों को सत्यापित करने की आवश्यकता होती है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला - सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप के मामले पर अपना फैसला सुनाया था. उन्होंने कहा था कि सहारा ग्रुप को सभी निवेशकों को सीआरसी के जरिए भुगतान करना चाहिए. निवेशक अब सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से अपना पैसा वापस पाने की उम्मीद कर रहे हैं.

बता दें कि साल 2012 में सहारा सेबी फाउंडेशन की स्थापना की गई थी. सेबी फंड में 2,400 करोड़ रुपये जमा हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दिसंबर से पहले पैसा लौटाना है. सरकार का प्रयास है कि वह सारा पैसा पारदर्शी तरीके से वापस किया जाए। पैसा चेक के माध्यम से लौटाया जाना है.

क्या है पूरा मामला - सहारा विवाद की शुरुआत 2009 में हुई थी. सहारा की दो कंपनियां थीं, सहारा हाउसिंग कंपनी लिमिटेड और सहारा रियल एस्टेट कंपनी लिमिटेड. विवाद तब शुरू हुआ जब कंपनी ने सेबी के सामने आईपीओ लाने का प्रस्ताव रखा. IPO प्रस्ताव के बाद कंपनी की सारी पोल खुल गई.

सहारा ने निवेशकों से अवैध तरीके से 240 करोड़ रुपये जुटाए. सेबी की जांच के बाद कंपनी की कई फर्जी गतिविधियां और बड़ा घोटाला सामने आया. इसके बाद सेबी ने सहारा को निवेशकों का पैसा ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया. सहारा के निवेशक आज भी अपने पैसे का इंतजार कर रहे हैं.


अगर आपकी भी जमा पूंजी सहारा समूहों में फंसी है तो आपके लिए अच्छी खबर है. सहारा रिफंड पोर्टल मंगलवार को गृह एवं संघीय सहयोग मंत्री अमित शाह लॉन्च करेंगे. यह पोर्टल आज सुबह 11 बजे लॉन्च किया जाएगा. इस पोर्टल के जरिए सहारा के निवेशकों को अपना पैसा वापस पाने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी.

सहारा समूहों में सैकड़ों भारतीय नागरिकों का पैसा फंसा हुआ है. इस कंपनी में लोगों ने अपनी सारी बचत निवेश कर दी है. अब उन्हें अपनी निवेश राशि का इंतजार है. लोगों ने अपने पैसों के लिए काफी लंबा इंतजार किया है. इस पोर्टल के लॉन्च होने के तुरंत बाद निवेशक अपना पैसा निकाल सकते हैं। आपको बता दें कि सहारा के निवेशक इस मामले में सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे.

सहारा समूह के ज्यादातर निवेशक मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोग हैं. सहारा में सबसे ज्यादा पैसा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों के निवेशकों ने लगाया है. कुछ निवेशकों ने अपनी सारी मेहनत की कमाई लगा दी है. कई राज्यों में इसके खिलाफ आंदोलन भी हुआ.

सहारा समूह की जिन सहकारी समितियों में हजारों करोड़ रुपये फंसे हैं उनमें सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव, सहारा यूनिवर्सल मल्टीपर्पज, हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव और स्टार्स मल्टीपर्पज शामिल हैं. सबसे ज्यादा पैसा सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव में है. पोर्टल केवल वास्तविक निवेशकों के लिए उचित पहचान और प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए बनाया गया है, क्योंकि भुगतान से पहले दावों को सत्यापित करने की आवश्यकता होती है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला - सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप के मामले पर अपना फैसला सुनाया था. उन्होंने कहा था कि सहारा ग्रुप को सभी निवेशकों को सीआरसी के जरिए भुगतान करना चाहिए. निवेशक अब सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से अपना पैसा वापस पाने की उम्मीद कर रहे हैं.

बता दें कि साल 2012 में सहारा सेबी फाउंडेशन की स्थापना की गई थी. सेबी फंड में 2,400 करोड़ रुपये जमा हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दिसंबर से पहले पैसा लौटाना है. सरकार का प्रयास है कि वह सारा पैसा पारदर्शी तरीके से वापस किया जाए। पैसा चेक के माध्यम से लौटाया जाना है.

क्या है पूरा मामला - सहारा विवाद की शुरुआत 2009 में हुई थी. सहारा की दो कंपनियां थीं, सहारा हाउसिंग कंपनी लिमिटेड और सहारा रियल एस्टेट कंपनी लिमिटेड. विवाद तब शुरू हुआ जब कंपनी ने सेबी के सामने आईपीओ लाने का प्रस्ताव रखा. IPO प्रस्ताव के बाद कंपनी की सारी पोल खुल गई.

सहारा ने निवेशकों से अवैध तरीके से 240 करोड़ रुपये जुटाए. सेबी की जांच के बाद कंपनी की कई फर्जी गतिविधियां और बड़ा घोटाला सामने आया. इसके बाद सेबी ने सहारा को निवेशकों का पैसा ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया. सहारा के निवेशक आज भी अपने पैसे का इंतजार कर रहे हैं.


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