अब तक कैश नहीं किए गए चुनावी बॉन्‍ड रिफ़न्ड करने होंगे : सुप्रीम कोर्ट का आदेश:

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नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला
सुनाया है, जिसमें नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए
राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्‍ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस योजना को मनमाना करार दिया और राजनीतिक दलों
और दानदाताओं के बीच बदले की भावना पैदा करने के इसके प्रभाव के बारे में
चिंता व्यक्त की. अदालत ने अपने फैसले में कहा, "चुनावी बॉन्‍ड योजना को
असंवैधानिक करार देते हुए रद्द किया जाना चाहिए. यह नागरिकों के सूचना के
अधिकार का उल्लंघन करता है."

सुप्रीम
कोर्ट की पीठ ने कहा, "राजनीतिक दलों में वित्तीय योगदान दो पक्षों के लिए
किया जाता है- राजनीतिक दल को समर्थन देने के लिए, या योगदान कुछ पाने की
भावना से हो सकता है." फैसले के महत्वपूर्ण पहलू के रूप में मुख्य
न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनावी बॉन्‍ड जारी
करना तुरंत बंद करने का निर्देश दिया. इसके अतिरिक्त, अदालत ने आदेश दिया
कि एसबीआई को 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से चुनावी बॉन्‍ड प्राप्त
करने वाले राजनीतिक दलों के विवरण का खुलासा करना होगा. इन विवरणों में
खरीद की तारीख, खरीदार का नाम, मूल्यवर्ग और चुनाव के माध्यम से योगदान
प्राप्त करने वाले दलों का विवरण शामिल है. चुनावी बॉन्‍ड से जुड़ी ये
जानकारी एसबीआई 6 मार्च तक भारत के चुनाव आयोग (ECI) को देगी.

इसके
अलावा, एसबीआई को प्रत्येक कैश कराए गए बॉन्‍ड पर जानकारी प्रदान करने का
निर्देश दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश ने राजनीतिक फंडिंग प्रक्रिया में
पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व पर जोर दिया. साथ ही अदालत ने 15 दिनों की
वैधता अवधि वाले कैश नहीं किये गए चुनावी बॉन्‍ड को लेकर भी बड़ा आदेश
दिया है. आदेश दिया गया कि इन बॉन्‍डों को वापस किया जाना चाहिए और
खरीदारों को वापस कर दिया जाना चाहिए, जो कैश नहीं कराए गए हैं. इस
प्रक्रिया में बैंक बिना भुनाए बॉन्‍ड वापस लेगा और फिर खरीदार को पैसे
किये जाएंगे.

13
मार्च तक भारत के चुनाव आयोग को भी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर चुनावी
बॉन्‍ड से जुड़ी जानकारी प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है, जिससे यह
जनता के लिए सुलभ हो सके. इस कदम का उद्देश्य पारदर्शिता को बढ़ावा देना और
नागरिकों को राजनीतिक दलों और दानदाताओं के बीच वित्तीय लेनदेन की जांच
करने में सक्षम बनाना है.

CJI ने फैसला सुनाते हुए कहा, "राजनीतिक दल
चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं. चुनावी चुनावों के लिए
राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी जरूरी है. चुनावी बॉन्‍ड योजना काले धन
पर अंकुश लगाने वाली एकमात्र योजना नहीं है, अन्य विकल्प भी हैं. काले धन
पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है.
गुमनाम चुनावी बॉन्‍ड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन
हैं. चुनावी बॉन्‍ड योजना सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी का
उल्लंघन है."


नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला
सुनाया है, जिसमें नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए
राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्‍ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस योजना को मनमाना करार दिया और राजनीतिक दलों
और दानदाताओं के बीच बदले की भावना पैदा करने के इसके प्रभाव के बारे में
चिंता व्यक्त की. अदालत ने अपने फैसले में कहा, "चुनावी बॉन्‍ड योजना को
असंवैधानिक करार देते हुए रद्द किया जाना चाहिए. यह नागरिकों के सूचना के
अधिकार का उल्लंघन करता है."

सुप्रीम
कोर्ट की पीठ ने कहा, "राजनीतिक दलों में वित्तीय योगदान दो पक्षों के लिए
किया जाता है- राजनीतिक दल को समर्थन देने के लिए, या योगदान कुछ पाने की
भावना से हो सकता है." फैसले के महत्वपूर्ण पहलू के रूप में मुख्य
न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनावी बॉन्‍ड जारी
करना तुरंत बंद करने का निर्देश दिया. इसके अतिरिक्त, अदालत ने आदेश दिया
कि एसबीआई को 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से चुनावी बॉन्‍ड प्राप्त
करने वाले राजनीतिक दलों के विवरण का खुलासा करना होगा. इन विवरणों में
खरीद की तारीख, खरीदार का नाम, मूल्यवर्ग और चुनाव के माध्यम से योगदान
प्राप्त करने वाले दलों का विवरण शामिल है. चुनावी बॉन्‍ड से जुड़ी ये
जानकारी एसबीआई 6 मार्च तक भारत के चुनाव आयोग (ECI) को देगी.

इसके
अलावा, एसबीआई को प्रत्येक कैश कराए गए बॉन्‍ड पर जानकारी प्रदान करने का
निर्देश दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश ने राजनीतिक फंडिंग प्रक्रिया में
पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व पर जोर दिया. साथ ही अदालत ने 15 दिनों की
वैधता अवधि वाले कैश नहीं किये गए चुनावी बॉन्‍ड को लेकर भी बड़ा आदेश
दिया है. आदेश दिया गया कि इन बॉन्‍डों को वापस किया जाना चाहिए और
खरीदारों को वापस कर दिया जाना चाहिए, जो कैश नहीं कराए गए हैं. इस
प्रक्रिया में बैंक बिना भुनाए बॉन्‍ड वापस लेगा और फिर खरीदार को पैसे
किये जाएंगे.

13
मार्च तक भारत के चुनाव आयोग को भी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर चुनावी
बॉन्‍ड से जुड़ी जानकारी प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है, जिससे यह
जनता के लिए सुलभ हो सके. इस कदम का उद्देश्य पारदर्शिता को बढ़ावा देना और
नागरिकों को राजनीतिक दलों और दानदाताओं के बीच वित्तीय लेनदेन की जांच
करने में सक्षम बनाना है.

CJI ने फैसला सुनाते हुए कहा, "राजनीतिक दल
चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं. चुनावी चुनावों के लिए
राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी जरूरी है. चुनावी बॉन्‍ड योजना काले धन
पर अंकुश लगाने वाली एकमात्र योजना नहीं है, अन्य विकल्प भी हैं. काले धन
पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है.
गुमनाम चुनावी बॉन्‍ड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन
हैं. चुनावी बॉन्‍ड योजना सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी का
उल्लंघन है."


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