महिलाओं को ज्यादा होते हैं इन बीमारियों के खतरे, शरीर की बनावट होती है जिम्मेदार:

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8 मार्च को हर साल वुमन्स डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का
उद्देश्य दुनियाभर में आधी आबादी को आगे बढ़ने और उन्हें तरक्की के रास्ते
में बढ़ाना है। लेकिन समाज में आगे बढ़ाने से ज्यादा जरूरी किसी भी महिला
का स्वास्थ्य है। क्योंकि ज्यादातर महिलाएं स्वास्थ्य समस्याओं का सामना
करती हैं। और उन्हें सही इलाज मिलना भी मुश्किल रहता है। यहां पर हम बात कर
रहे हैं महिलाओं के शरीर की बनावट की। जिसकी वजह से उन्हें कई सारी
बीमारियों का सामना करना पड़ता है। 

महिलाओं के शरीर पर ज्यादा होता है बीमारियों का अटैक

साइंस के अनुसार महिलाएं संक्रामक बीमारियों की चपेट में पुरुषों की तुलना
में कम आती है लेकिन ऑटो इम्यून डिसीज की शिकार ज्यादा होती है। इसका कारण
है एक्स क्रोमोसोम। क्योंकि एक्स क्रोमोसोम में इम्यून सिस्टम से जुड़े कई
जीन होते है। वहीं महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं। इसलिए उनके
शरीर में ऑटो इम्यूनिटी ज्यादा डेवलप होना लाजिमी है। ऑटोइम्यून के अलावा
भी महिलाओं को इन बीमारियों का ज्यादा खतरा रहता है। 

सर्वाइकल कैंसर

महिलाओं में प्रजनन अंग सर्विक्स काफी छोटा होता है। साथ ही वजाइना और
सर्विक्स में बर्थ कैनाल भी होती है। जब सरवाइकल यानी गर्भाशय की कोशिकाएं
तेजी से बढ़ने लगती हैं और कंट्रोल के बाहर हो जाती है। जो इसे सर्वाइकल
कैंसर कहते हैं। 

ब्रेस्ट कैंसर

दुनियाभर की महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के खतरे पर रहती हैं। ब्रेस्ट कैंसर में
कोशिकाएं तेजी से एक या दोनों ब्रेस्ट में फैलने लगती है। जिसकी वजह से
ब्रेस्ट कैंसर होता है। 

पीसीओडी

लंबे समय तक महिलाओं में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन की वजह से कंडीशन बन जाती है। जिसे पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम कहते हैं।

हार्ट डिसीज

महिलाओं में मेनोपॉज के बाद दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ता है। 

ऑस्टियोपिरोसिस

महिलाओं की हड्डियां कमजोर होना कम उम्र से ही शुरू हो जाता है। लेकिन
मेनोपॉज के बाद ज्वाइंट्स पेन और ऑस्टियोपिरोसिस की समस्या होने का खतरा
रहता है। 


8 मार्च को हर साल वुमन्स डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का
उद्देश्य दुनियाभर में आधी आबादी को आगे बढ़ने और उन्हें तरक्की के रास्ते
में बढ़ाना है। लेकिन समाज में आगे बढ़ाने से ज्यादा जरूरी किसी भी महिला
का स्वास्थ्य है। क्योंकि ज्यादातर महिलाएं स्वास्थ्य समस्याओं का सामना
करती हैं। और उन्हें सही इलाज मिलना भी मुश्किल रहता है। यहां पर हम बात कर
रहे हैं महिलाओं के शरीर की बनावट की। जिसकी वजह से उन्हें कई सारी
बीमारियों का सामना करना पड़ता है। 

महिलाओं के शरीर पर ज्यादा होता है बीमारियों का अटैक

साइंस के अनुसार महिलाएं संक्रामक बीमारियों की चपेट में पुरुषों की तुलना
में कम आती है लेकिन ऑटो इम्यून डिसीज की शिकार ज्यादा होती है। इसका कारण
है एक्स क्रोमोसोम। क्योंकि एक्स क्रोमोसोम में इम्यून सिस्टम से जुड़े कई
जीन होते है। वहीं महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं। इसलिए उनके
शरीर में ऑटो इम्यूनिटी ज्यादा डेवलप होना लाजिमी है। ऑटोइम्यून के अलावा
भी महिलाओं को इन बीमारियों का ज्यादा खतरा रहता है। 

सर्वाइकल कैंसर

महिलाओं में प्रजनन अंग सर्विक्स काफी छोटा होता है। साथ ही वजाइना और
सर्विक्स में बर्थ कैनाल भी होती है। जब सरवाइकल यानी गर्भाशय की कोशिकाएं
तेजी से बढ़ने लगती हैं और कंट्रोल के बाहर हो जाती है। जो इसे सर्वाइकल
कैंसर कहते हैं। 

ब्रेस्ट कैंसर

दुनियाभर की महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के खतरे पर रहती हैं। ब्रेस्ट कैंसर में
कोशिकाएं तेजी से एक या दोनों ब्रेस्ट में फैलने लगती है। जिसकी वजह से
ब्रेस्ट कैंसर होता है। 

पीसीओडी

लंबे समय तक महिलाओं में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन की वजह से कंडीशन बन जाती है। जिसे पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम कहते हैं।

हार्ट डिसीज

महिलाओं में मेनोपॉज के बाद दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ता है। 

ऑस्टियोपिरोसिस

महिलाओं की हड्डियां कमजोर होना कम उम्र से ही शुरू हो जाता है। लेकिन
मेनोपॉज के बाद ज्वाइंट्स पेन और ऑस्टियोपिरोसिस की समस्या होने का खतरा
रहता है। 


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