LOK SAbha Chunav : राजनंदगांव में संतोष पांडे और भूपेश बघेल में कांटे की टक्कर:

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राजनंदगांव. छत्तीसगढ़ का एक छोटा सा डिस्ट्रिक्ट टाउन राजनंदगांव एक बार फिर सुर्खियों में बना हुआ है। यहां से कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है वहीं, बीजेपी से संतोष पांडे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। हालांकि यह क्षेत्र पिछले दो दशक से प्रदेश की राजनीति का गढ़ बना हुआ है। पहले यह क्षेत्र राज्य के पूर्व सीएम और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह को लेकर सुर्खियों में रहा तो अब एक और पूर्व सीएम भूपेश बघेल के लोकसभा चुनाव लड़ने की वजह से चर्चा में है।

कुछ महीने पहले विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर भूपेश बघेल को उतारकर दांव खेला है। इस संसदीय सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा सीटें आती हैं। भूपेश बघेल का यह तीसरा संसदीय चुनाव है, जिसमें वह अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इससे पहले वह 2009 में दुर्ग और 2014 में रायपुर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि दोनों चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

पिछले चार साल से राजनंदगांव और उससे सटा दुर्ग लोकसभा क्षेत्र सांप्रदायिक घटनाओं से जूझता रहा है। पहले कवर्धा और फिर बेमेतरा में सांप्रदायिक घटनाएं हो चुकी हैं। 2021 में कांग्रेस के शासन काल में कवर्धा के लोहारा चौक पर एक धार्मिक ध्वज के हटाए जाने पर दो समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था। इस घटना के दूसरे दिन दक्षिणपंथी संगठनों ने प्रदर्शन का ऐलान का किया था। प्रदर्शन के दौरान भीड़ जब मुस्लिम बहुल इलाके में पहुंची तो हिंसा भड़क गई। इस मामले में संतोष पांडे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसी तरह बेमेतरा के बिरानपुर गांव में भी दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसमें भुवेनवर साहु नाम के व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस दौरान जारी हिंसा में दूसरे समुदाय के दो लोग भी मारे गए थे। इन दोनों घटनाओं की वजह से इस क्षेत्र में हिंदू समुदाय संगठित हो गया जिससे बीजेपी को फायदा हुआ। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में साजा और कर्वधा सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी। इसका असर उन क्षेत्रों पर भी पड़ा था जहां साहु वोटर्स ज्यादा थे। एक कांग्रेस नेता ने बताया कि राज्य की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत साहु हैं। राजनंदगांव लोकसभा सीट आठ विधानसभा सीट को कवर करता है।

2023 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत की थी। बघेल के लिए काम करने वाले एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने बताया कि वोटरों से जुड़ाव और ओबीसी समर्थक होने के कारण भूपेश बघेल की स्थित काफी अच्छी है। ग्रामीण क्षेत्रों में भूपेश बघेल की स्वीकार्यता ज्यादा है और यह सीट ग्रामीण क्षेत्र में ही गिना जाता है। वहीं बीजेपी के नेता मानते हैं कि कांग्रेस अभी भी विधानसभा चुनाव की हार से उबरी नहीं है। पांडे न सिर्फ एक मजबूत उम्मीदवार हैं बल्कि देश में मोदी की लहर चल रही है। पांडे काफी ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज करेंगे।

रायपुर से जुड़े राजनीतिक विश्लेषक हरीश दूबे का कहना है कि कांग्रेस ने आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर जीत दर्ज की थी, इसलिए आंकड़ों के आधार पर बघेल को बढ़त हासिल है। लेकिन चुनाव में वोटरों की भावनाएं भी काफी मायने रखती है, जो बघेल के पक्ष में नहीं दिख रही है। बीजेपी मोदी के नाम पर वोटरों को अपनी ओर खींच सकती है। ऐसा होने पर यहां कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।

राजनंदगांव. छत्तीसगढ़ का एक छोटा सा डिस्ट्रिक्ट टाउन राजनंदगांव एक बार फिर सुर्खियों में बना हुआ है। यहां से कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है वहीं, बीजेपी से संतोष पांडे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। हालांकि यह क्षेत्र पिछले दो दशक से प्रदेश की राजनीति का गढ़ बना हुआ है। पहले यह क्षेत्र राज्य के पूर्व सीएम और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह को लेकर सुर्खियों में रहा तो अब एक और पूर्व सीएम भूपेश बघेल के लोकसभा चुनाव लड़ने की वजह से चर्चा में है।

कुछ महीने पहले विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर भूपेश बघेल को उतारकर दांव खेला है। इस संसदीय सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा सीटें आती हैं। भूपेश बघेल का यह तीसरा संसदीय चुनाव है, जिसमें वह अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इससे पहले वह 2009 में दुर्ग और 2014 में रायपुर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि दोनों चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

पिछले चार साल से राजनंदगांव और उससे सटा दुर्ग लोकसभा क्षेत्र सांप्रदायिक घटनाओं से जूझता रहा है। पहले कवर्धा और फिर बेमेतरा में सांप्रदायिक घटनाएं हो चुकी हैं। 2021 में कांग्रेस के शासन काल में कवर्धा के लोहारा चौक पर एक धार्मिक ध्वज के हटाए जाने पर दो समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था। इस घटना के दूसरे दिन दक्षिणपंथी संगठनों ने प्रदर्शन का ऐलान का किया था। प्रदर्शन के दौरान भीड़ जब मुस्लिम बहुल इलाके में पहुंची तो हिंसा भड़क गई। इस मामले में संतोष पांडे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसी तरह बेमेतरा के बिरानपुर गांव में भी दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसमें भुवेनवर साहु नाम के व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस दौरान जारी हिंसा में दूसरे समुदाय के दो लोग भी मारे गए थे। इन दोनों घटनाओं की वजह से इस क्षेत्र में हिंदू समुदाय संगठित हो गया जिससे बीजेपी को फायदा हुआ। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में साजा और कर्वधा सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी। इसका असर उन क्षेत्रों पर भी पड़ा था जहां साहु वोटर्स ज्यादा थे। एक कांग्रेस नेता ने बताया कि राज्य की कुल जनसंख्या में 16 प्रतिशत साहु हैं। राजनंदगांव लोकसभा सीट आठ विधानसभा सीट को कवर करता है।

2023 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत की थी। बघेल के लिए काम करने वाले एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने बताया कि वोटरों से जुड़ाव और ओबीसी समर्थक होने के कारण भूपेश बघेल की स्थित काफी अच्छी है। ग्रामीण क्षेत्रों में भूपेश बघेल की स्वीकार्यता ज्यादा है और यह सीट ग्रामीण क्षेत्र में ही गिना जाता है। वहीं बीजेपी के नेता मानते हैं कि कांग्रेस अभी भी विधानसभा चुनाव की हार से उबरी नहीं है। पांडे न सिर्फ एक मजबूत उम्मीदवार हैं बल्कि देश में मोदी की लहर चल रही है। पांडे काफी ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज करेंगे।

रायपुर से जुड़े राजनीतिक विश्लेषक हरीश दूबे का कहना है कि कांग्रेस ने आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर जीत दर्ज की थी, इसलिए आंकड़ों के आधार पर बघेल को बढ़त हासिल है। लेकिन चुनाव में वोटरों की भावनाएं भी काफी मायने रखती है, जो बघेल के पक्ष में नहीं दिख रही है। बीजेपी मोदी के नाम पर वोटरों को अपनी ओर खींच सकती है। ऐसा होने पर यहां कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।

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