विधायकी से इस्तीफा, सांसद में पदार्पण:

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बृजमोहन अग्रवाल एक ऐसा नाम जो छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रेदेशों में भी चर्चित है। 8 बार के लगातार विधायक, कैबिनेट मंत्री और अपने कार्यकर्ताओं का विशाल फौज और लोगों के सुख दुख में हमेशा खड़े होने वाले अजेय प्रत्याशी, जननायक बृजमोहन अग्रवाल ने भारी लीड के साथ रायपुर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधायकी और मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर लोकसभा में बतौर सांसद पदार्पण करेंगे। उनके सांसद बनने पर लोगों में जितना खुशी है उससे अधिक दुख इसलिए है कि वे अब प्रदेश की राजनीति से दूर हो जाएंगे। उनके रायपुर दक्षिण विधानसभा के साथ साथ अन्य विधानसभा के लोग अब यह सोच रहे हैं कि अब उनका काम कैसे होगा। बृजमोहन में एक खूबी थी कि उनके पास जो कोई भी कार्य लेकर आते थे उनका कार्य होता था। कोई उनके निवास से खाली हाथ नहीं लौटता था। चूंकि अब वे सांसद बन गए हैं, आगे केंद्रीय मंत्री की भी जिम्मेदारी मिल सकती है तो अब उनकी पैठ राज्य सरकार में कम न हो जाये यह लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सांसद बन गए हैं तो अधिकतर समय उन्हें दिल्ली ही रहना पड़ सकता है और केंद्रीय मंत्री बन गए तो रायपुर के लोगों से थोड़ी दूरी तो बन ही जाएगी। लोगों में अब जोर चर्चा है कि दूसरा बृजमोहन यानी मोहन भैया कौन ? यह सवाल बहुत बड़ा है क्यों कि जनमानस के मन मंदिर में बृजमोहन ने एक ऐसी अमिट छाप छोड़ी है जो कभी मिट नहीं सकती। लोगों के बीच एक और चर्चा हो रही है कि जब बृजमोहन को लोकसभा चुनाव लड़वाना ही था तो फिर उन्हें विधानसभा चुनाव क्यों लड़वाया गया ? जब वे विधायक बन गए, बीजेपी की राज्य सरकार में मंत्री बन गए तो उन्हें लोकसभा चुनाव क्यों लड़वाया गया ? कहीं बृजमोहन के कद को कम करने के लिए लोकसभा तो नहीं भेजा गया जिससे उनकी सरकार में पैठ कम हो जाये, यह भी एक चर्चा का विषय बना हुआ है। खैर चर्चा और राजनीति जो भी हो अब बृजमोहन राज्य से निकलकर केंद्र में चले गए हैं और वहां छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्त्व करेंगे, अपनी आवाज बुलंद करेंगे।


बृजमोहन अग्रवाल एक ऐसा नाम जो छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रेदेशों में भी चर्चित है। 8 बार के लगातार विधायक, कैबिनेट मंत्री और अपने कार्यकर्ताओं का विशाल फौज और लोगों के सुख दुख में हमेशा खड़े होने वाले अजेय प्रत्याशी, जननायक बृजमोहन अग्रवाल ने भारी लीड के साथ रायपुर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधायकी और मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर लोकसभा में बतौर सांसद पदार्पण करेंगे। उनके सांसद बनने पर लोगों में जितना खुशी है उससे अधिक दुख इसलिए है कि वे अब प्रदेश की राजनीति से दूर हो जाएंगे। उनके रायपुर दक्षिण विधानसभा के साथ साथ अन्य विधानसभा के लोग अब यह सोच रहे हैं कि अब उनका काम कैसे होगा। बृजमोहन में एक खूबी थी कि उनके पास जो कोई भी कार्य लेकर आते थे उनका कार्य होता था। कोई उनके निवास से खाली हाथ नहीं लौटता था। चूंकि अब वे सांसद बन गए हैं, आगे केंद्रीय मंत्री की भी जिम्मेदारी मिल सकती है तो अब उनकी पैठ राज्य सरकार में कम न हो जाये यह लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सांसद बन गए हैं तो अधिकतर समय उन्हें दिल्ली ही रहना पड़ सकता है और केंद्रीय मंत्री बन गए तो रायपुर के लोगों से थोड़ी दूरी तो बन ही जाएगी। लोगों में अब जोर चर्चा है कि दूसरा बृजमोहन यानी मोहन भैया कौन ? यह सवाल बहुत बड़ा है क्यों कि जनमानस के मन मंदिर में बृजमोहन ने एक ऐसी अमिट छाप छोड़ी है जो कभी मिट नहीं सकती। लोगों के बीच एक और चर्चा हो रही है कि जब बृजमोहन को लोकसभा चुनाव लड़वाना ही था तो फिर उन्हें विधानसभा चुनाव क्यों लड़वाया गया ? जब वे विधायक बन गए, बीजेपी की राज्य सरकार में मंत्री बन गए तो उन्हें लोकसभा चुनाव क्यों लड़वाया गया ? कहीं बृजमोहन के कद को कम करने के लिए लोकसभा तो नहीं भेजा गया जिससे उनकी सरकार में पैठ कम हो जाये, यह भी एक चर्चा का विषय बना हुआ है। खैर चर्चा और राजनीति जो भी हो अब बृजमोहन राज्य से निकलकर केंद्र में चले गए हैं और वहां छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्त्व करेंगे, अपनी आवाज बुलंद करेंगे।


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