लालजी साहू ने निरंतर प्रयास, दृढ़ संकल्प, कठोर परिश्रम और पुरुषार्थ से आसमान की बुलंदियों को छुआ :

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ज्ञानदीप विद्यालय बिरगांव एवं उरला (रायपुर) के संचालक लालजी साहू
सामान्य ग्रामीण किसान के बेटे हैं। वे घर में सबसे बड़े हैं। उनके तीन भाई
और दो बहनें हैं। उन्होंने अपने भाइयों और बहनों को पढ़ा लिखाकर योग्य
बनाया और सबको नौकरी पर लगाया। उनके दो भाई छग पुलिस में सेवारत हैं तथा एक
भाई भारतीय थल सेना में हैं। एक भाई की पत्नी शासकीय शिक्षिका हैं, एक बहू
स्वयं द्वारा संचालित ज्ञानदीप प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल तथा एक बहू
गृहणी हैं। इसी प्रकार इनकी एक बहन सरकारी स्कूल में शिक्षिका तथा दूसरी
बहन प्रायवेट स्कूल में टीचर हैं। इन्होंने पूरे परिवार को शिक्षित एवं
आर्थिक रूप से समर्थ सक्षम और आत्मनिर्भर बनाकर बड़े भाई की जिम्मेदारी
निभाई है। 


लालजी
साहू ने जनता की जरूरत को पूरी करने के लिए बिरगांव और उरला में स्वयं के
दम पर बहुत बड़ा स्कूल बिल्डिंग बनवाया। फिर बाद में स्वयं के लिए दो फ्लैट
खरीदा। सभी भाइयों के लिए प्लाट खरीदा, मकान बनवाया। इसके लिए उनको कठोर
परिश्रम करना पड़ा है, क्योंकि सम्पत्ति यों ही नहीं बनती है, रात दिन
मेहनत करनी पड़ती है। शारीरिक, मानसिक श्रम लगाना पड़ता है, बुद्धि तथा
मनोयोग जुटाना पड़ता है। अपनी मेहनत के बल पर वे आज करोड़ों की संपत्ति के
मालिक हैं।


लोग कहते हैं लालजी जैसा कोई नहीं..

क्षेत्रवासी
कहते हैं कि लालजी भैया जैसा कोई नहीं! उनके पास गया हुआ व्यक्ति कभी
निराश नहीं होता। वे हर तरीके से लोगों की मदद करते हैं। सरल इतने कि
बुलावे पर हर एक के घर पहुंच जाते हैं। लोगों के सुख दुःख में भागीदार बनते
हैं, सहयोग करते हैं।

स्लम एरिया में स्कूल खोला, मिनिमम फीस में देते हैं एजुकेशन, माउथ पब्लिसिटी से होता है प्रचार

इन्होंने
बिरगांव जैसे गरीब बस्ती में ज्ञान दीप विद्या मंदिर प्रारंभ किया और
न्यूनतम शुल्क में शिक्षा प्रदान करते हैं। पिछले 25 साल से यह विद्यालय
निर्बाध गति से संचालित है। स्कूल ऐसा, जिसका कभी इन्होंने एडवर्टिजमेंट
नहीं किया। पोस्टर, बैनर नहीं छापे, लेकिन बच्चों की संख्या इतनी बढ़ती
जाती है कि एडमिशन के लिए मना करके वापस भेजना पड़ता है।


लालजी
साहू शिक्षा के शिखर में पहुंचे.. इन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, संस्कृत
और एमएसडब्ल्यू को मिलाकर 4 विषय में एम ए, कम्प्यूटर में पीजीडीसीए,
एजुकेशन में एम एड तथा राजनीति में पीएचडी की है।

इस प्रकार स्वयं भी उच्च शिक्षा ग्रहण किया तथा विद्यालय संचालित करके सामान्य लोगों के लिए भी शिक्षा का मार्ग खोला।

अपनी
व्यक्तिगत तकलीफ़ को भुलाकर मित्रता निभाते हैं: किसी का सरकारी काम हो,
किसी को असताल ले जाकर इलाज़ करवाना हो, किसी को पैसे की मदद करनी हो; तो
वे कभी पीछे नहीं रहते, लोगों को यथा संभव मदद करते हैं। जरूरतमंद को वे
अपनी संस्था में ही नौकरी पर रख लेते हैं, आए हुए व्यक्ति को निराश नहीं
करते.. मित्रों की मदद के लिए तो वो हर समय तैयार रहते हैं।

पिछले
सात साल से ज्ञान दीप विद्यामंदिर में प्राचार्य पद पर सेवारत श्रीमती
ईश्वरी क्षत्री कहती हैं, "विद्यालय के संचालक लालजी साहू अपने कार्य के
प्रति लगनशील हैं! वे अपने कर्त्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से करते हैं तथा
वे हर कार्य को निर्धारित समय पर कर लेते हैं। इसके अलावा वे बच्चों का तथा
स्टॉफ के हर एक मेंबर का बहुत केयर करते हैं!"

पूर्व कैबिनेट मंत्री
सत्यनारायण शर्मा के करीबी और चहेते: लालजी साहू, कांग्रेस के कद्दावर
नेता और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा जी के चहेते और करीबी माने जाते
हैं।

स्वच्छ छवि वाले युवा नेता हैं लालजी साहू

पिछले
25 वर्ष से प्रायवेट स्कूल संचालित कर रहे बिरगांव रायपुर निवासी लालजी
साहू का नाम अनजाना नहीं है। आप उच्च शिक्षित, सहज, सरल, मिलनसार, मृदुल और
कर्मठ समाजसेवी हैं।

आपने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व से क्षेत्र की जनता के हृदय में अमिट छाप छोड़ा है। 

आप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रशिक्षित और समर्पित कार्यकर्ता हैं। 

आपकी
जनसेवा के कार्यों जैसे शिक्षा विस्तार, क्रीड़ा प्रतियोगिता, सांस्कृतिक
गतिविधियों, धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में विशेष भागीदारी रहती है।


15 जुलाई जन्म दिवस के शुभ अवसर पर अभिनन्दन हैं !

लालजी साहू ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से धन संपदा एवं पद प्रतिष्ठा प्राप्त की है

लालजी साहू: 15 जुलाई जन्म दिन के अवसर पर व्यक्तित्व का परिचय


ज्ञानदीप विद्यालय बिरगांव एवं उरला (रायपुर) के संचालक लालजी साहू
सामान्य ग्रामीण किसान के बेटे हैं। वे घर में सबसे बड़े हैं। उनके तीन भाई
और दो बहनें हैं। उन्होंने अपने भाइयों और बहनों को पढ़ा लिखाकर योग्य
बनाया और सबको नौकरी पर लगाया। उनके दो भाई छग पुलिस में सेवारत हैं तथा एक
भाई भारतीय थल सेना में हैं। एक भाई की पत्नी शासकीय शिक्षिका हैं, एक बहू
स्वयं द्वारा संचालित ज्ञानदीप प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल तथा एक बहू
गृहणी हैं। इसी प्रकार इनकी एक बहन सरकारी स्कूल में शिक्षिका तथा दूसरी
बहन प्रायवेट स्कूल में टीचर हैं। इन्होंने पूरे परिवार को शिक्षित एवं
आर्थिक रूप से समर्थ सक्षम और आत्मनिर्भर बनाकर बड़े भाई की जिम्मेदारी
निभाई है। 


लालजी
साहू ने जनता की जरूरत को पूरी करने के लिए बिरगांव और उरला में स्वयं के
दम पर बहुत बड़ा स्कूल बिल्डिंग बनवाया। फिर बाद में स्वयं के लिए दो फ्लैट
खरीदा। सभी भाइयों के लिए प्लाट खरीदा, मकान बनवाया। इसके लिए उनको कठोर
परिश्रम करना पड़ा है, क्योंकि सम्पत्ति यों ही नहीं बनती है, रात दिन
मेहनत करनी पड़ती है। शारीरिक, मानसिक श्रम लगाना पड़ता है, बुद्धि तथा
मनोयोग जुटाना पड़ता है। अपनी मेहनत के बल पर वे आज करोड़ों की संपत्ति के
मालिक हैं।


लोग कहते हैं लालजी जैसा कोई नहीं..

क्षेत्रवासी
कहते हैं कि लालजी भैया जैसा कोई नहीं! उनके पास गया हुआ व्यक्ति कभी
निराश नहीं होता। वे हर तरीके से लोगों की मदद करते हैं। सरल इतने कि
बुलावे पर हर एक के घर पहुंच जाते हैं। लोगों के सुख दुःख में भागीदार बनते
हैं, सहयोग करते हैं।

स्लम एरिया में स्कूल खोला, मिनिमम फीस में देते हैं एजुकेशन, माउथ पब्लिसिटी से होता है प्रचार

इन्होंने
बिरगांव जैसे गरीब बस्ती में ज्ञान दीप विद्या मंदिर प्रारंभ किया और
न्यूनतम शुल्क में शिक्षा प्रदान करते हैं। पिछले 25 साल से यह विद्यालय
निर्बाध गति से संचालित है। स्कूल ऐसा, जिसका कभी इन्होंने एडवर्टिजमेंट
नहीं किया। पोस्टर, बैनर नहीं छापे, लेकिन बच्चों की संख्या इतनी बढ़ती
जाती है कि एडमिशन के लिए मना करके वापस भेजना पड़ता है।


लालजी
साहू शिक्षा के शिखर में पहुंचे.. इन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, संस्कृत
और एमएसडब्ल्यू को मिलाकर 4 विषय में एम ए, कम्प्यूटर में पीजीडीसीए,
एजुकेशन में एम एड तथा राजनीति में पीएचडी की है।

इस प्रकार स्वयं भी उच्च शिक्षा ग्रहण किया तथा विद्यालय संचालित करके सामान्य लोगों के लिए भी शिक्षा का मार्ग खोला।

अपनी
व्यक्तिगत तकलीफ़ को भुलाकर मित्रता निभाते हैं: किसी का सरकारी काम हो,
किसी को असताल ले जाकर इलाज़ करवाना हो, किसी को पैसे की मदद करनी हो; तो
वे कभी पीछे नहीं रहते, लोगों को यथा संभव मदद करते हैं। जरूरतमंद को वे
अपनी संस्था में ही नौकरी पर रख लेते हैं, आए हुए व्यक्ति को निराश नहीं
करते.. मित्रों की मदद के लिए तो वो हर समय तैयार रहते हैं।

पिछले
सात साल से ज्ञान दीप विद्यामंदिर में प्राचार्य पद पर सेवारत श्रीमती
ईश्वरी क्षत्री कहती हैं, "विद्यालय के संचालक लालजी साहू अपने कार्य के
प्रति लगनशील हैं! वे अपने कर्त्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से करते हैं तथा
वे हर कार्य को निर्धारित समय पर कर लेते हैं। इसके अलावा वे बच्चों का तथा
स्टॉफ के हर एक मेंबर का बहुत केयर करते हैं!"

पूर्व कैबिनेट मंत्री
सत्यनारायण शर्मा के करीबी और चहेते: लालजी साहू, कांग्रेस के कद्दावर
नेता और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा जी के चहेते और करीबी माने जाते
हैं।

स्वच्छ छवि वाले युवा नेता हैं लालजी साहू

पिछले
25 वर्ष से प्रायवेट स्कूल संचालित कर रहे बिरगांव रायपुर निवासी लालजी
साहू का नाम अनजाना नहीं है। आप उच्च शिक्षित, सहज, सरल, मिलनसार, मृदुल और
कर्मठ समाजसेवी हैं।

आपने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व से क्षेत्र की जनता के हृदय में अमिट छाप छोड़ा है। 

आप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रशिक्षित और समर्पित कार्यकर्ता हैं। 

आपकी
जनसेवा के कार्यों जैसे शिक्षा विस्तार, क्रीड़ा प्रतियोगिता, सांस्कृतिक
गतिविधियों, धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में विशेष भागीदारी रहती है।


15 जुलाई जन्म दिवस के शुभ अवसर पर अभिनन्दन हैं !

लालजी साहू ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से धन संपदा एवं पद प्रतिष्ठा प्राप्त की है

लालजी साहू: 15 जुलाई जन्म दिन के अवसर पर व्यक्तित्व का परिचय


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