बिलासा एयरपोर्ट के विकास में देरी पर हाईकोर्ट ने राज्य-केंद्र सरकार को लगाई फटकार:

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बिलासपुर । बिलासा एयरपोर्ट और हवाई सुविधा के विकास को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने विकास कार्यों में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जमीन हस्तांतरण के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नाइट लैंडिंग सुविधा को लेकर हो रहे कार्यों की प्रगति पर सीधे सवाल पूछे। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि 5 अगस्त को हाई कोर्ट के निर्देश पर एक बैठक हुई थी, जिसमें डीवीओआर टेक्नोलॉजी के उपकरण लगाने पर सहमति बनी थी। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस कार्य में आने वाले कुल खर्च की जानकारी दी थी, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार को वहन करना है। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि आज ही इस खर्च को वहन करने के संबंध में सहमति पत्र जारी किया जा रहा है।

याचिकाकर्ताओं के वकील सुदीप श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि इस बैठक के मिनट्स और सहमति पत्र को रिकॉर्ड पर लाया जाए, ताकि वे भी अपना पक्ष रख सकें। हाई कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को ऐसा करने के निर्देश दिए।

जमीन हस्तांतरण के मामले में अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट को बताया कि सेना ने 90 करोड़ रुपये की धनराशि वापस कर दी है और अब नए रायपुर में जमीन की मांग कर रही है। जबकि इसी अदालत में रक्षा मंत्रालय की ओर से 287 एकड़ भूमि देने पर सहमति दी जा चुकी है। इस पर डिवीजन बेंच ने राज्य और केंद्र सरकार से वस्तुस्थिति जानने की कोशिश की। राज्य सरकार ने बताया कि जमीन उनके कब्जे में है, लेकिन सेना द्वारा धनराशि वापस करने के सवाल पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर सकी।

केंद्र सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने भी सेना के बदलते हुए स्टैंड पर निर्देश लेने की बात कही। हाई कोर्ट ने दोनों सरकारों को भूमि हस्तांतरण पर वर्तमान स्थिति की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

नाइट लैंडिंग उपकरणों की स्थापना के लिए जिस अतिरिक्त क्षेत्र में नई बाउंड्री वाल का निर्माण हुआ है, उसे एयरपोर्ट में समाहित करने की अनुमति ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी ने अभी तक नहीं दी है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर ब्यूरो बाउंड्री वाल के किनारे सड़क को पक्का करना चाहता है तो राज्य सरकार को यह काम करना होगा। इसके अलावा, अन्य छोटी-छोटी समस्याओं जैसे घास की कटाई भी समय पर पूरी करने की जरूरत है, ताकि नई बाउंड्री वाल को एयरपोर्ट परिसर में शामिल किया जा सके।


बिलासपुर । बिलासा एयरपोर्ट और हवाई सुविधा के विकास को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने विकास कार्यों में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जमीन हस्तांतरण के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नाइट लैंडिंग सुविधा को लेकर हो रहे कार्यों की प्रगति पर सीधे सवाल पूछे। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि 5 अगस्त को हाई कोर्ट के निर्देश पर एक बैठक हुई थी, जिसमें डीवीओआर टेक्नोलॉजी के उपकरण लगाने पर सहमति बनी थी। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस कार्य में आने वाले कुल खर्च की जानकारी दी थी, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार को वहन करना है। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि आज ही इस खर्च को वहन करने के संबंध में सहमति पत्र जारी किया जा रहा है।

याचिकाकर्ताओं के वकील सुदीप श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि इस बैठक के मिनट्स और सहमति पत्र को रिकॉर्ड पर लाया जाए, ताकि वे भी अपना पक्ष रख सकें। हाई कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को ऐसा करने के निर्देश दिए।

जमीन हस्तांतरण के मामले में अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट को बताया कि सेना ने 90 करोड़ रुपये की धनराशि वापस कर दी है और अब नए रायपुर में जमीन की मांग कर रही है। जबकि इसी अदालत में रक्षा मंत्रालय की ओर से 287 एकड़ भूमि देने पर सहमति दी जा चुकी है। इस पर डिवीजन बेंच ने राज्य और केंद्र सरकार से वस्तुस्थिति जानने की कोशिश की। राज्य सरकार ने बताया कि जमीन उनके कब्जे में है, लेकिन सेना द्वारा धनराशि वापस करने के सवाल पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर सकी।

केंद्र सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने भी सेना के बदलते हुए स्टैंड पर निर्देश लेने की बात कही। हाई कोर्ट ने दोनों सरकारों को भूमि हस्तांतरण पर वर्तमान स्थिति की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

नाइट लैंडिंग उपकरणों की स्थापना के लिए जिस अतिरिक्त क्षेत्र में नई बाउंड्री वाल का निर्माण हुआ है, उसे एयरपोर्ट में समाहित करने की अनुमति ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी ने अभी तक नहीं दी है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर ब्यूरो बाउंड्री वाल के किनारे सड़क को पक्का करना चाहता है तो राज्य सरकार को यह काम करना होगा। इसके अलावा, अन्य छोटी-छोटी समस्याओं जैसे घास की कटाई भी समय पर पूरी करने की जरूरत है, ताकि नई बाउंड्री वाल को एयरपोर्ट परिसर में शामिल किया जा सके।


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