Mp : मुफ्त योजनाओं पर फिर छिड़ी बहस, कैलाश विजयवर्गीय ने कहा.....:

post

मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विभिन्न राज्यों में चलाई जा रही मुफ्त की योजनाओं पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि कुछ निर्णय होते हैं, जो लोकहित में नहीं होते, बावजूद इसके सिर्फ लोकप्रियता प्राप्त करने और चुनाव जीतने के लिए ले लिए जाते हैं। फिर भुगतना जनता को पड़ता है। यह ठीक नहीं है। सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए इस प्रकार से किसी राज्य के 'कपड़े' उतार दें, यह नहीं होना चाहिए।

विजयवर्गीय के इस बयान को पूर्व की शिवराज सरकार के समय शुरू हुई लाड़ली बहना योजना से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, विजयवर्गीय ने किसी योजना का नाम नहीं लिया है।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना शुरू की थी। इसकी वजह से प्रदेश पर प्रतिमाह करीब 2600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ रहा है।

विजवयर्गीय ने कहा कि मुफ्त की योजनाओं पर सवाल खड़े करना चाहिए। सरकार को सचेत करना चाहिए कि आप ऐसी घोषणाएं नहीं कर सकते, क्योंकि इनमें हमारा पैसा लगा है। यह समाज और देश के लिए चिंता की बात है।


मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विभिन्न राज्यों में चलाई जा रही मुफ्त की योजनाओं पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि कुछ निर्णय होते हैं, जो लोकहित में नहीं होते, बावजूद इसके सिर्फ लोकप्रियता प्राप्त करने और चुनाव जीतने के लिए ले लिए जाते हैं। फिर भुगतना जनता को पड़ता है। यह ठीक नहीं है। सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए इस प्रकार से किसी राज्य के 'कपड़े' उतार दें, यह नहीं होना चाहिए।

विजयवर्गीय के इस बयान को पूर्व की शिवराज सरकार के समय शुरू हुई लाड़ली बहना योजना से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, विजयवर्गीय ने किसी योजना का नाम नहीं लिया है।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना शुरू की थी। इसकी वजह से प्रदेश पर प्रतिमाह करीब 2600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ रहा है।

विजवयर्गीय ने कहा कि मुफ्त की योजनाओं पर सवाल खड़े करना चाहिए। सरकार को सचेत करना चाहिए कि आप ऐसी घोषणाएं नहीं कर सकते, क्योंकि इनमें हमारा पैसा लगा है। यह समाज और देश के लिए चिंता की बात है।


...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...