कटेकल्याण से टेटम तक जवानों ने कराया 10 किमी सड़क को नक्सलियों से मुक्त:

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दंतेवाड़ा। पिछले आठ सालों से नक्सलियों के कब्जे में रही कटेकल्याण से
टेटम तक 10 किलोमीटर सड़क को सीएएफ और डीआरजी के जवानों ने मोर्चा सम्हाला
और बिना गोली चले नक्सलियों से कब्जा मुक्त करवाया। नक्सलियों से इस सड़क
को 50 जगहों से ज्यादा को काट दिया था और टेटम तक 23 गड्ढे पट गए और
शुक्रवार को इसे आदिवासियों के आने-जाने के लिए खोल दिया गया।



प्रधानमंत्री
ग्रामीण सड़क योजना के तहत कटेकल्याण से लेकर टेटम होते हुए मोखपाल जाने
के लिए 20 किमी सड़क बनाई गई थी। पिछले करीब 8 साल से इस सड़क पर नक्सलियों
ने कब्जा कर लिया था और सड़क को 50 से ज्यादा जगहों से काट दिया था। सीएएफ
और डीआरजी के जवानों ने संयुक्त रुप से कैंप लगाकर टेटम तक करीब 10
किलोमीटर तक 23 गड्ढों को पाटकर कर वहां मुरम की नई सड़क को तैयार कर दिया
और शुक्रवार से आम लोगों के लिए इस रास्ते को खोल दिया गया है। बताया जाता
है कि इसी सड़क से होकर आदिवासियों को अस्पताल के लिए जाना पड़ता है, लेकिन
नक्सलियों का कब्जा होने के कारण इस पर आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई थी।
इसके कारण 10 हजार से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हो रहे थे और दर्जनों
गांवों के स्कूल और आश्रम इस कारण बंद हो गए थे। सड़क पर कब्जे होने के बाद
से ही यहां पर संचालित होने वाला अस्पताल भी था जो अब आज शुरु हो गया है।





दंतेवाड़ा। पिछले आठ सालों से नक्सलियों के कब्जे में रही कटेकल्याण से
टेटम तक 10 किलोमीटर सड़क को सीएएफ और डीआरजी के जवानों ने मोर्चा सम्हाला
और बिना गोली चले नक्सलियों से कब्जा मुक्त करवाया। नक्सलियों से इस सड़क
को 50 जगहों से ज्यादा को काट दिया था और टेटम तक 23 गड्ढे पट गए और
शुक्रवार को इसे आदिवासियों के आने-जाने के लिए खोल दिया गया।



प्रधानमंत्री
ग्रामीण सड़क योजना के तहत कटेकल्याण से लेकर टेटम होते हुए मोखपाल जाने
के लिए 20 किमी सड़क बनाई गई थी। पिछले करीब 8 साल से इस सड़क पर नक्सलियों
ने कब्जा कर लिया था और सड़क को 50 से ज्यादा जगहों से काट दिया था। सीएएफ
और डीआरजी के जवानों ने संयुक्त रुप से कैंप लगाकर टेटम तक करीब 10
किलोमीटर तक 23 गड्ढों को पाटकर कर वहां मुरम की नई सड़क को तैयार कर दिया
और शुक्रवार से आम लोगों के लिए इस रास्ते को खोल दिया गया है। बताया जाता
है कि इसी सड़क से होकर आदिवासियों को अस्पताल के लिए जाना पड़ता है, लेकिन
नक्सलियों का कब्जा होने के कारण इस पर आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई थी।
इसके कारण 10 हजार से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हो रहे थे और दर्जनों
गांवों के स्कूल और आश्रम इस कारण बंद हो गए थे। सड़क पर कब्जे होने के बाद
से ही यहां पर संचालित होने वाला अस्पताल भी था जो अब आज शुरु हो गया है।



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