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NEWS BEGLURU तिरंगे में लिपटी पुनीत राजकुमार की पार्थिव शरीर, आखिरी झलक पाने लाखो की सख्या में उमड़ी भीड़:

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बेंगलुरु. कन्नड़ फिल्मों के जानेमाने सितारे पुनीत
राजकुमार की आखिरी झलक पाने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों
शोकाकुल प्रशंसक शनिवार को कांतिराव स्टेडियम पहुंचे जहां अभिनेता की
पार्थिव देह रखी गई है। उनका अंतिम संस्कार शाम में होने की संभावना है।

पुनीत राजकुमार का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से बेंगलुरु के एक
अस्पताल में निधन हो गया था। वह 46 वर्ष के थे। पुनीत राजकुमार दिवंगत
अभिनेता राजकुमार के बेटे थे। राजकुमार की तरह ही परिवार ने पुनीत की आंखें
भी दान की हैं। पुनीत की तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह कांतिराव स्टेडियम
में रखी गई है ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। बीती शाम से, पूरे
राज्य से लोग यहां आ रहे हैं।


अनेक फिल्मी हस्तियों और नेताओं ने पुनीत को श्रद्धांजलि अर्पित की।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई तथा राज्य
मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों, तेलुगु अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण, प्रख्यात
कोरियाग्राफर प्रभु देवा समेत कई गणमान्य लोगों ने दिवंगत अभिनेता को
श्रद्धांजलि दी।

एक बुजुर्ग महिला प्रशंसक ने सुबकते हुए कहा, ‘‘ऐसा लग रहा है जैसे
मैंने अपना बच्चा खो दिया हो।’’ एक युवा प्रशंसक ने कहा, ‘‘हमारे अप्पू
(पुनीत को प्रशंसकों द्वारा प्रेम से इस नाम से पुकारा जाता था) भौतिक रूप
से भले चले गए हों लेकिन अपने अभिनय के जरिए और अपने अच्छे एवं मित्रवत
व्यवहार की वजह से उन्होंने जो छाप छोड़ी है, उससे वह हमेशा हमारे साथ
रहेंगे।’’ राज्य सरकार ने घोषणा की है कि पुनीत की अंत्येष्टि कांतिराव
स्टूडियो में डॉ. राजकुमार पुण्यभूमि में राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी।

सूत्रों ने बताया कि पुनीत राजकुमार की बेटी विदेश में है और वह शाम तक
यहां पहुंच जाएंगी जिसके बाद अंत्येष्टि की जाएगी। कांतिराव स्टेडियम से
करीब तीन किलोमीटर दूर कांतिराव स्टूडियो तक पुनीत की अंतिम यात्रा निकाली
जाएगी। पुनीत के परिवार में पत्नी अश्विनी रेवंत और दो बेटियां धृति एवं
वंदिता हैं।







बोम्मई ने संवाददाताओं को बताया कि अभिनेता का अंतिम संस्कार उनकी बेटी
के अमेरिका से आने के बाद किया जाएगा। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने
की अपील की और कहा कि वे अपने प्रिय अभिनेता को सम्मानजनक तरीके से विदाई
दें। उल्लेखनीय है कि पुनीत के पिता राजकुमार की 2006 में मृत्यु के बाद
शहर में बड़े पैमाने पर ंिहसा हुई थी।


बेंगलुरु. कन्नड़ फिल्मों के जानेमाने सितारे पुनीत
राजकुमार की आखिरी झलक पाने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों
शोकाकुल प्रशंसक शनिवार को कांतिराव स्टेडियम पहुंचे जहां अभिनेता की
पार्थिव देह रखी गई है। उनका अंतिम संस्कार शाम में होने की संभावना है।

पुनीत राजकुमार का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से बेंगलुरु के एक
अस्पताल में निधन हो गया था। वह 46 वर्ष के थे। पुनीत राजकुमार दिवंगत
अभिनेता राजकुमार के बेटे थे। राजकुमार की तरह ही परिवार ने पुनीत की आंखें
भी दान की हैं। पुनीत की तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह कांतिराव स्टेडियम
में रखी गई है ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। बीती शाम से, पूरे
राज्य से लोग यहां आ रहे हैं।


अनेक फिल्मी हस्तियों और नेताओं ने पुनीत को श्रद्धांजलि अर्पित की।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई तथा राज्य
मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों, तेलुगु अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण, प्रख्यात
कोरियाग्राफर प्रभु देवा समेत कई गणमान्य लोगों ने दिवंगत अभिनेता को
श्रद्धांजलि दी।

एक बुजुर्ग महिला प्रशंसक ने सुबकते हुए कहा, ‘‘ऐसा लग रहा है जैसे
मैंने अपना बच्चा खो दिया हो।’’ एक युवा प्रशंसक ने कहा, ‘‘हमारे अप्पू
(पुनीत को प्रशंसकों द्वारा प्रेम से इस नाम से पुकारा जाता था) भौतिक रूप
से भले चले गए हों लेकिन अपने अभिनय के जरिए और अपने अच्छे एवं मित्रवत
व्यवहार की वजह से उन्होंने जो छाप छोड़ी है, उससे वह हमेशा हमारे साथ
रहेंगे।’’ राज्य सरकार ने घोषणा की है कि पुनीत की अंत्येष्टि कांतिराव
स्टूडियो में डॉ. राजकुमार पुण्यभूमि में राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी।

सूत्रों ने बताया कि पुनीत राजकुमार की बेटी विदेश में है और वह शाम तक
यहां पहुंच जाएंगी जिसके बाद अंत्येष्टि की जाएगी। कांतिराव स्टेडियम से
करीब तीन किलोमीटर दूर कांतिराव स्टूडियो तक पुनीत की अंतिम यात्रा निकाली
जाएगी। पुनीत के परिवार में पत्नी अश्विनी रेवंत और दो बेटियां धृति एवं
वंदिता हैं।







बोम्मई ने संवाददाताओं को बताया कि अभिनेता का अंतिम संस्कार उनकी बेटी
के अमेरिका से आने के बाद किया जाएगा। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने
की अपील की और कहा कि वे अपने प्रिय अभिनेता को सम्मानजनक तरीके से विदाई
दें। उल्लेखनीय है कि पुनीत के पिता राजकुमार की 2006 में मृत्यु के बाद
शहर में बड़े पैमाने पर ंिहसा हुई थी।


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