नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी ंिहसा
मामले की उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की जा रही जांच उच्च न्यायालय के पूर्व
न्यायाधीश की निगरानी में कराने का सोमवार को सुझाव दिया और कहा कि जांच
उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है। लखीमपुर में तीन अक्टूबर किसानों के प्रदर्शन के दौरान भड़की ंिहसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा
कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता
हरीश साल्वे और गरिमा प्रसाद को शुक्रवार तक मामले पर जवाब दाखिल करने का
निर्देश दिया।
पीठ ने आरोपपत्र दाखिल किए जाने तक जांच की निगरानी करने के लिए पंजाब
एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन या
न्यायमूर्ति रंजीत ंिसह के नाम का सुझाव दिया। पीठ ने कहा कि मामले की
‘‘जांच उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है।’’
शीर्ष अदालत ने वीडियो साक्ष्य के संबंध में ‘फोरेंसिक रिपोर्ट’ में
देरी का भी संज्ञान लिया। इससे पहले, न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को
साक्षी संरक्षण योजना, 2018 के तहत मामले के गवाहों को सुरक्षा प्रदान
करने, गवाहों के बयान दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत
न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराने और और ‘डिजिटल’ साक्ष्यों की
विशेषज्ञों द्वारा जल्द जांच कराने का निर्देश दिया था।
पुलिस ने मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव
प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी
लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया।
इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक
की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी, जबकि ंिहसा में एक स्थानीय
पत्रकार की भी मौत हो गई। किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में
आशीष भी थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था, लेकिन मंत्री ने आरोपों से
इनकार किया है।
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी ंिहसा
मामले की उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की जा रही जांच उच्च न्यायालय के पूर्व
न्यायाधीश की निगरानी में कराने का सोमवार को सुझाव दिया और कहा कि जांच
उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है। लखीमपुर में तीन अक्टूबर किसानों के प्रदर्शन के दौरान भड़की ंिहसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा
कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता
हरीश साल्वे और गरिमा प्रसाद को शुक्रवार तक मामले पर जवाब दाखिल करने का
निर्देश दिया।
पीठ ने आरोपपत्र दाखिल किए जाने तक जांच की निगरानी करने के लिए पंजाब
एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन या
न्यायमूर्ति रंजीत ंिसह के नाम का सुझाव दिया। पीठ ने कहा कि मामले की
‘‘जांच उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है।’’
शीर्ष अदालत ने वीडियो साक्ष्य के संबंध में ‘फोरेंसिक रिपोर्ट’ में
देरी का भी संज्ञान लिया। इससे पहले, न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को
साक्षी संरक्षण योजना, 2018 के तहत मामले के गवाहों को सुरक्षा प्रदान
करने, गवाहों के बयान दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत
न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराने और और ‘डिजिटल’ साक्ष्यों की
विशेषज्ञों द्वारा जल्द जांच कराने का निर्देश दिया था।
पुलिस ने मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव
प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी
लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया।
इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक
की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी, जबकि ंिहसा में एक स्थानीय
पत्रकार की भी मौत हो गई। किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में
आशीष भी थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था, लेकिन मंत्री ने आरोपों से
इनकार किया है।