रायपुर । बस्तर की झीरमघाटी में कांग्रेस
नेताओं पर हुए नक्सली हमले की सरकार नए सिरे से जांच करा सकती है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि न्यायिक जांच आयोग ने राज्यपाल को जो
रिपोर्ट सौंपी है वह अधूरी है। उन्होंने दोहराया कि आयोग के सचिव ने सितंबर
में सरकार को पत्र लिखकर जांच के लिए और समय देने का आग्रह किया था। मामले
की नए सिरे से जांच के सवाल पर बघेल ने कहा कि निश्चित रुप से उसमें विचार
करके जल्द फैसला लिया जाएगा। इस बीच पूरे मामले में महाधिवक्ता ने बंद
लिफाफे में अपना अभिमत राज्य सरकार को सौंपा दिया है।
बता दें कि 25 मई 2013 को हुई इस घटना की जांच के लिए तत्कालीन सरकार ने
हाईकोर्ट के जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। आयोग
ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंप दी है। सरकार इस
रिपोर्ट को आधा-अधूरा बता रही है। साथ ही नियमों और परिपाटी का हवाला देकर
रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने पर भी अपत्ति कर रही है। कांग्रेस को सबसे बड़ी आपत्ति इस बात की है कि इसमें राजनीतिक षड्यंत्र
की जांच नहीं की गई है, जबकि कांग्रेस लगातार इस बिंदु पर जांच कराने की
मांग करती आ रही है। कांग्रेस की मांग पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने सीबीआइ
से भी इस मामले की जांच का आग्रह किया था, लेकिन ब्यूरो से मना कर दिया।
में आने के बाद आयोग के लिए तय जांच के बिंदुओं में इसे भी जोड़ा गया था।
सूत्रों के अनुसार यही वजह है कि सरकार मामले की जांच के लिए नए सिरे से
आयोग के गठन पर विचार कर रही है। सरकार ने महाधिवक्ता से जिन बिंदुओं पर
अभिमत मांगा था उसमें रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपने और नए आयोग का गठन
भी शामिल है।
ने 2018 के विधानसभा चुनाव के अपने घोषण्ाा पत्र में इस मामले की एसआइटी
जांच का वादा किया था। सरकार बनने के बाद एसआइटी का गठन भी किया गया, लेकिन
मामले की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी एनआइए राज्य सरकार को केस फाइल
नहीं लौटा रही है।
रायपुर । बस्तर की झीरमघाटी में कांग्रेस
नेताओं पर हुए नक्सली हमले की सरकार नए सिरे से जांच करा सकती है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि न्यायिक जांच आयोग ने राज्यपाल को जो
रिपोर्ट सौंपी है वह अधूरी है। उन्होंने दोहराया कि आयोग के सचिव ने सितंबर
में सरकार को पत्र लिखकर जांच के लिए और समय देने का आग्रह किया था। मामले
की नए सिरे से जांच के सवाल पर बघेल ने कहा कि निश्चित रुप से उसमें विचार
करके जल्द फैसला लिया जाएगा। इस बीच पूरे मामले में महाधिवक्ता ने बंद
लिफाफे में अपना अभिमत राज्य सरकार को सौंपा दिया है।
बता दें कि 25 मई 2013 को हुई इस घटना की जांच के लिए तत्कालीन सरकार ने
हाईकोर्ट के जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। आयोग
ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंप दी है। सरकार इस
रिपोर्ट को आधा-अधूरा बता रही है। साथ ही नियमों और परिपाटी का हवाला देकर
रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने पर भी अपत्ति कर रही है। कांग्रेस को सबसे बड़ी आपत्ति इस बात की है कि इसमें राजनीतिक षड्यंत्र
की जांच नहीं की गई है, जबकि कांग्रेस लगातार इस बिंदु पर जांच कराने की
मांग करती आ रही है। कांग्रेस की मांग पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने सीबीआइ
से भी इस मामले की जांच का आग्रह किया था, लेकिन ब्यूरो से मना कर दिया।
में आने के बाद आयोग के लिए तय जांच के बिंदुओं में इसे भी जोड़ा गया था।
सूत्रों के अनुसार यही वजह है कि सरकार मामले की जांच के लिए नए सिरे से
आयोग के गठन पर विचार कर रही है। सरकार ने महाधिवक्ता से जिन बिंदुओं पर
अभिमत मांगा था उसमें रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपने और नए आयोग का गठन
भी शामिल है।
ने 2018 के विधानसभा चुनाव के अपने घोषण्ाा पत्र में इस मामले की एसआइटी
जांच का वादा किया था। सरकार बनने के बाद एसआइटी का गठन भी किया गया, लेकिन
मामले की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी एनआइए राज्य सरकार को केस फाइल
नहीं लौटा रही है।