Breaking News

NEWS RAIPUR भाजपा बोली- सीएम घबराकर Jhiram की जांच के लिए आयोग में जोड़ रहे नए सदस्य:

post

 रायपुर । झीरम मामले में राज्यपाल अनुसुईया
उइके को जांच प्रतिवेदन सौपें जाने के बाद जांच आयोग में नए सदस्यों की
घोषणा पर भाजपा ने निशाना साधा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष
विष्णुदेव साय ने कहा कि प्रदेश सरकार अपने एक मंत्री की संलिप्तता को लेकर
विचलित है। वह मंत्री और उनके नक्सली कनेक्शन के बेनकाब होने से डरी हुई
है। कांग्रेस का इतिहास है कि जब-जब किसी जांच आयोग की रिपोर्ट में उसकी
सरकार व पार्टी नेताओं का चरित्र दागदार होता है, तो वह जांच आयोग की
रिपोर्ट ही गायब कर देती है। मुख्यमंत्री घबराकर झीरम मामले की जांच के लिए
बने आयोग में नए सदस्य जोड़ रहे हैं।


साय
ने कहा कि सरकार की कैबिनेट के किसी सदस्य की संलिप्तता को देखते हुए जांच
आयोग ने अपना प्रतिवेदन सरकार के बजाय राज्यपाल को सौंपा है, तो प्रदेश
सरकार इतना बिफर क्यों रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते मौजूदा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम मामले के सबूत जेब में रखने की डींगे हांकी
थी। लेकिन जरूरत पड़ने पर वह सबूत पेश ही नहीं की एनआइए की जांच प्रक्रिया
पर सवाल उठाने और उसमें अड़ंगा डालने में ही अपना वक्त जाया किया।
साय ने कहा कि किसी भी हत्याकांड या अनहोनी की जांच करते समय पुलिस सबसे
पहले यह पता लगाती है कि इससे सर्वाधिक लाभ किसे होना है? अब मुख्यमंत्री
बघेल को बताना चाहिए कि झीरम हत्याकांड का सर्वाधिक लाभ किस राजनीतिक नेता
को होना था और हुआ? साय ने कहा कि यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि इस मामले के
एक पुलिस के चश्मदीद मुखबिर से मिलने बिलासपुर कौन गया था, क्यों गया था,
और किसने भेजा था? यह मुखबिर बाद में बागी क्यों हो गया था? नए आयोग के गठन
की बात कहकर मुख्यमंत्री जांच प्रतिवेदन को विधानसभा के पटल पर रखे जाने
से रोकने का असंवैधानिक कृत्य कर रहे हैं।

 


 रायपुर । झीरम मामले में राज्यपाल अनुसुईया
उइके को जांच प्रतिवेदन सौपें जाने के बाद जांच आयोग में नए सदस्यों की
घोषणा पर भाजपा ने निशाना साधा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष
विष्णुदेव साय ने कहा कि प्रदेश सरकार अपने एक मंत्री की संलिप्तता को लेकर
विचलित है। वह मंत्री और उनके नक्सली कनेक्शन के बेनकाब होने से डरी हुई
है। कांग्रेस का इतिहास है कि जब-जब किसी जांच आयोग की रिपोर्ट में उसकी
सरकार व पार्टी नेताओं का चरित्र दागदार होता है, तो वह जांच आयोग की
रिपोर्ट ही गायब कर देती है। मुख्यमंत्री घबराकर झीरम मामले की जांच के लिए
बने आयोग में नए सदस्य जोड़ रहे हैं।


साय
ने कहा कि सरकार की कैबिनेट के किसी सदस्य की संलिप्तता को देखते हुए जांच
आयोग ने अपना प्रतिवेदन सरकार के बजाय राज्यपाल को सौंपा है, तो प्रदेश
सरकार इतना बिफर क्यों रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते मौजूदा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम मामले के सबूत जेब में रखने की डींगे हांकी
थी। लेकिन जरूरत पड़ने पर वह सबूत पेश ही नहीं की एनआइए की जांच प्रक्रिया
पर सवाल उठाने और उसमें अड़ंगा डालने में ही अपना वक्त जाया किया।
साय ने कहा कि किसी भी हत्याकांड या अनहोनी की जांच करते समय पुलिस सबसे
पहले यह पता लगाती है कि इससे सर्वाधिक लाभ किसे होना है? अब मुख्यमंत्री
बघेल को बताना चाहिए कि झीरम हत्याकांड का सर्वाधिक लाभ किस राजनीतिक नेता
को होना था और हुआ? साय ने कहा कि यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि इस मामले के
एक पुलिस के चश्मदीद मुखबिर से मिलने बिलासपुर कौन गया था, क्यों गया था,
और किसने भेजा था? यह मुखबिर बाद में बागी क्यों हो गया था? नए आयोग के गठन
की बात कहकर मुख्यमंत्री जांच प्रतिवेदन को विधानसभा के पटल पर रखे जाने
से रोकने का असंवैधानिक कृत्य कर रहे हैं।

 


...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...