जगदलपुर विधायक रेखचन्द जैन के पिता सिरेमल जी जैन ने लिया संथारा :

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जगदलपुर- जगदलपुर नगर के प्रतिष्ठित नागरिक एवं जैन समाज के पूर्व संरक्षक सिरेमल जी जैन ने 92 वर्ष की आयु में अन्न, दवा आदि का त्याग कर यावत जीवन संथारा व्रत का प्रत्याख्यान लिया श्री सिरेमल जैन विगत कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे ,उन्होंने प्रभु की शरण में जाने की इच्छा व्यक्त की और परिवार जनों ने उन्हें इस बात की सहमति प्रदान की, उल्लेखनीय है जैन धर्म में संथारा एक व्रत की भांति है और श्रावक के अंतिम मनोरथ के रूप में संथारा को माना जाता है । जब किसी व्यक्ति को लगता है कि कोई भी चिकित्सा सुविधा उसे ठीक नहीं कर सकती और जब अंतिम समय नजदीक आया जान पड़ता है तो व्यक्ति स्वयं की इच्छा से तीन या चार आहार का त्याग कर प्रभु की शरण ले सकता है यही संथारा व्रत होता है ।


जैन धर्म में संथारा पूर्वक अवसान को बहुत ही उच्च कोटि का अवसान माना गया है सिरेमलजी जैन का दृढ़ निश्चय ही उन्हें इस मार्ग की ओर अग्रसर करता है। समाज में सेवा के क्षेत्र में सिरेमल जैन जी ने अपना बहुत योगदान दिया, वे अपनी बातों को स्पष्ट रूप से कहे जाने के लिए जाने जाते रहे हैं, संथारा व्रत लेने के बाद जैन परिवार में धार्मिक भजन एवं धार्मिक मंत्रों का उच्चारण निर्बाध रूप से जारी है और यह अनवरत तब तक चलता रहेगा जब तक संथारा लेने वाले श्री जैन पूरी तरह से प्रभु शरण में लीन ना हो जाएं, श्री जैन की अंतिम सांस तक यह संथारा व्रत चलता रहेगा।

 आज बस्तर सांसद दीपक बैज, चित्रकूट विधायक राजमन बेंजाम भी श्री जैन के निवास पहुंचकर संथारा व्रत धारण किए श्री जैन को प्रणाम किया।

     श्री सिरेमल जैन गौतमचंद जैन, जगदलपुर विधायक रेखचन्द जैन, संतोष जैन एवं रमेश जैन के पिताश्री हैं।


जगदलपुर- जगदलपुर नगर के प्रतिष्ठित नागरिक एवं जैन समाज के पूर्व संरक्षक सिरेमल जी जैन ने 92 वर्ष की आयु में अन्न, दवा आदि का त्याग कर यावत जीवन संथारा व्रत का प्रत्याख्यान लिया श्री सिरेमल जैन विगत कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे ,उन्होंने प्रभु की शरण में जाने की इच्छा व्यक्त की और परिवार जनों ने उन्हें इस बात की सहमति प्रदान की, उल्लेखनीय है जैन धर्म में संथारा एक व्रत की भांति है और श्रावक के अंतिम मनोरथ के रूप में संथारा को माना जाता है । जब किसी व्यक्ति को लगता है कि कोई भी चिकित्सा सुविधा उसे ठीक नहीं कर सकती और जब अंतिम समय नजदीक आया जान पड़ता है तो व्यक्ति स्वयं की इच्छा से तीन या चार आहार का त्याग कर प्रभु की शरण ले सकता है यही संथारा व्रत होता है ।


जैन धर्म में संथारा पूर्वक अवसान को बहुत ही उच्च कोटि का अवसान माना गया है सिरेमलजी जैन का दृढ़ निश्चय ही उन्हें इस मार्ग की ओर अग्रसर करता है। समाज में सेवा के क्षेत्र में सिरेमल जैन जी ने अपना बहुत योगदान दिया, वे अपनी बातों को स्पष्ट रूप से कहे जाने के लिए जाने जाते रहे हैं, संथारा व्रत लेने के बाद जैन परिवार में धार्मिक भजन एवं धार्मिक मंत्रों का उच्चारण निर्बाध रूप से जारी है और यह अनवरत तब तक चलता रहेगा जब तक संथारा लेने वाले श्री जैन पूरी तरह से प्रभु शरण में लीन ना हो जाएं, श्री जैन की अंतिम सांस तक यह संथारा व्रत चलता रहेगा।

 आज बस्तर सांसद दीपक बैज, चित्रकूट विधायक राजमन बेंजाम भी श्री जैन के निवास पहुंचकर संथारा व्रत धारण किए श्री जैन को प्रणाम किया।

     श्री सिरेमल जैन गौतमचंद जैन, जगदलपुर विधायक रेखचन्द जैन, संतोष जैन एवं रमेश जैन के पिताश्री हैं।


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