NEWS: RAIPUR युवाओं को वैक्सिनेशन की पारी आई तो केन्द्र सरकार ने अपने हाँथ खींच लिए फिर भी रमन सिंह मौन हैं - उपाध्याय:

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00 दूसरी लहर को भांप नहीं पाई और बहुत जल्दी इसके ख़त्म होने का जश्न मनाना शुरू कर दिया
रायपुर। 
युवाओं को वैक्सिनेशन को लेकर जिस तरह की नौटंकी कर भाजपा के तमाम नेता भूपेश सरकार पर टिका-टिप्पणी कर रहे हैं असल में इस बात के लिए मुख्य दोषी केन्द्र की भाजपा सरकार है न कि भूपेश सरकार या अन्य राज्य सरकारें। संसदीय सचिव व विधायक विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि देश में आज जो स्थिति निर्मित हुई है उसके लिए भी पूरी तरह से केन्द्र सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, वैज्ञानिकों ने वर्तमान स्थिति के लिए पहले ही चेता दिया था। बावजूद मोदी सरकार दूसरी लहर को भांप नहीं पाई और बहुत जल्दी इसके ख़त्म होने का जश्न मनाना शुरू कर दिया।



उन्होंने कहा कि मार्च की शुरुआत में, सरकार के बनाए वैज्ञानिकों के एक विशेषज्ञ समूह ने कोरोना वायरस के कहीं अधिक संक्रामक वैरियंट को लेकर केन्द्र सरकार को चेताया था और इस बारे में रोकथाम के कोई अहम उपाय न करने पर चेतावनी भी दी थी। परन्तु सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसके बावजूद, 8 मार्च को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवद्र्धन ने कोरोना महामारी के खत्म होने की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना को हरा देने का ऐलान कर दिया, जिसके बाद लोगों के मिलने-जुलने के सभी जगहों को खोल दिया गया और लोग जल्द ही कोविड प्रोटेक्शन प्रोटोकॉल को भूल से गए,जो सबसे बड़ी चूक थी।



इस आपदा ने अच्छे से बता दिया है कि भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य का ढांचा कितना कमज़ोर है और मोदी सरकार द्वारा इसकी कितनी उपेक्षा की गई है। उन्होंने  कहा,निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को मिलाकर देखें तो पिछले छह सालों में भारत का स्वास्थ्य पर खर्च जीडीपी का लगभग 3.6 प्रतिशत रहा है। 2018 में यह ब्रिक्स के सभी पांच देशों में सबसे कम है। सबसे अधिक ब्राजील ने 9.2 प्रतिशत, तो दक्षिण अफ्रीका ने 8.1 प्रतिशत, रूस ने 5.3 प्रतिशत और चीन ने 5 प्रतिशत खर्च किया और यदि विकसित देशों की बात करें तो वे स्वास्थ्य पर अपनी जीडीपी का कहीं ज्यादा हिस्सा खर्च करते हैं। 2018 में, अमेरिका ने इस सेक्टर पर 16.9 प्रतिशत जबकि जर्मनी ने 11.2 प्रतिशत खर्च किया था। भारत से कहीं छोटे देशों जैसे श्रीलंका और थाईलैंड ने भी हेल्थ सेक्टर पर कहीं ज्यादा खर्च किया है। श्रीलंका ने अपनी जीडीपी का 3.79 प्रतिशत इस मामले में खर्च किया, जबकि थाईलैंड ने 3.76 प्रतिशत इस तरह भारत सभी देशों से कम है।



उपाध्याय ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि बिना वैक्सीन की सप्लाई तय किए मोदी सरकार ने सभी वयस्कों के लिए टीकाकरण अभियान को शुरू कर दिया। देश की 140 करोड़ की आबादी में से अब तक महज 2.6 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन की दोनों खुराक लगाई गई है जबकि करीब 12.5 करोड़ लोगों को एक खुराक मिल सकी है। शुरू में भारत का जुलाई 2021 तक 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य था, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार ने टीकाकरण अभियान चलाने के लिए वैक्सीन के इंतज़ाम की पर्याप्त योजना बनाई ही नहीं है। ऐसे में भाजपा नेताओं का टिकाकरण को लेकर रोज रोज की नौटंकी सोभा नहीं देता।



विकास उपाध्याय ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर दोहरामापदण्ड अपनाये जाने का आरोप लगाते हुए कहा,केंद्र सरकार को 45 साल से ऊपर के सभी 44 करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए 61.5 करोड़ खुराक की आवश्यकता है। जिसे वह फ्री में अपनी जिम्मेदारी में ले ली वहीं 18 से 44 साल के 62.2 करोड़ लोगों के लिए 120 करोड़़ खुराकों की जरूरत पड़ रही है वो भी देश के युवा वर्ग पर जिसने भाजपा को केन्द्र में स्थापित किया तो इन्हें फ्री में वैक्सिन देने से मना कर दी। बावजूद राज्य सरकारें फ्री में इस वर्ग को वैक्सिनेशन करना चाह रही हैं तो देश में वैक्सिन नहीं है। यह जानबूझकर राज्य सरकारों को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ को पर्याप्त मात्रा में वैक्सिन उपलब्ध होता तो क्यों न 18 वर्ष के सभी को एक साथ वैक्सिनेशन नहीं होता। भूपेश सरकार की मंशा स्पष्ट है कि प्रदेश में शतप्रतिशत वैक्सिनेशन हो परंतु कोरोना काल में कांग्रेस सरकार द्वारा किये जा रहे व्यवस्थित कार्ययोजना प्रदेश के भाजपा नेताओं द्वारा देखी नहीं जा रही है और उसे बदनाम करने की नाकाम कोशिश हो रही है।


00 दूसरी लहर को भांप नहीं पाई और बहुत जल्दी इसके ख़त्म होने का जश्न मनाना शुरू कर दिया
रायपुर। 
युवाओं को वैक्सिनेशन को लेकर जिस तरह की नौटंकी कर भाजपा के तमाम नेता भूपेश सरकार पर टिका-टिप्पणी कर रहे हैं असल में इस बात के लिए मुख्य दोषी केन्द्र की भाजपा सरकार है न कि भूपेश सरकार या अन्य राज्य सरकारें। संसदीय सचिव व विधायक विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि देश में आज जो स्थिति निर्मित हुई है उसके लिए भी पूरी तरह से केन्द्र सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, वैज्ञानिकों ने वर्तमान स्थिति के लिए पहले ही चेता दिया था। बावजूद मोदी सरकार दूसरी लहर को भांप नहीं पाई और बहुत जल्दी इसके ख़त्म होने का जश्न मनाना शुरू कर दिया।



उन्होंने कहा कि मार्च की शुरुआत में, सरकार के बनाए वैज्ञानिकों के एक विशेषज्ञ समूह ने कोरोना वायरस के कहीं अधिक संक्रामक वैरियंट को लेकर केन्द्र सरकार को चेताया था और इस बारे में रोकथाम के कोई अहम उपाय न करने पर चेतावनी भी दी थी। परन्तु सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसके बावजूद, 8 मार्च को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवद्र्धन ने कोरोना महामारी के खत्म होने की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना को हरा देने का ऐलान कर दिया, जिसके बाद लोगों के मिलने-जुलने के सभी जगहों को खोल दिया गया और लोग जल्द ही कोविड प्रोटेक्शन प्रोटोकॉल को भूल से गए,जो सबसे बड़ी चूक थी।



इस आपदा ने अच्छे से बता दिया है कि भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य का ढांचा कितना कमज़ोर है और मोदी सरकार द्वारा इसकी कितनी उपेक्षा की गई है। उन्होंने  कहा,निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को मिलाकर देखें तो पिछले छह सालों में भारत का स्वास्थ्य पर खर्च जीडीपी का लगभग 3.6 प्रतिशत रहा है। 2018 में यह ब्रिक्स के सभी पांच देशों में सबसे कम है। सबसे अधिक ब्राजील ने 9.2 प्रतिशत, तो दक्षिण अफ्रीका ने 8.1 प्रतिशत, रूस ने 5.3 प्रतिशत और चीन ने 5 प्रतिशत खर्च किया और यदि विकसित देशों की बात करें तो वे स्वास्थ्य पर अपनी जीडीपी का कहीं ज्यादा हिस्सा खर्च करते हैं। 2018 में, अमेरिका ने इस सेक्टर पर 16.9 प्रतिशत जबकि जर्मनी ने 11.2 प्रतिशत खर्च किया था। भारत से कहीं छोटे देशों जैसे श्रीलंका और थाईलैंड ने भी हेल्थ सेक्टर पर कहीं ज्यादा खर्च किया है। श्रीलंका ने अपनी जीडीपी का 3.79 प्रतिशत इस मामले में खर्च किया, जबकि थाईलैंड ने 3.76 प्रतिशत इस तरह भारत सभी देशों से कम है।



उपाध्याय ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि बिना वैक्सीन की सप्लाई तय किए मोदी सरकार ने सभी वयस्कों के लिए टीकाकरण अभियान को शुरू कर दिया। देश की 140 करोड़ की आबादी में से अब तक महज 2.6 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन की दोनों खुराक लगाई गई है जबकि करीब 12.5 करोड़ लोगों को एक खुराक मिल सकी है। शुरू में भारत का जुलाई 2021 तक 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य था, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार ने टीकाकरण अभियान चलाने के लिए वैक्सीन के इंतज़ाम की पर्याप्त योजना बनाई ही नहीं है। ऐसे में भाजपा नेताओं का टिकाकरण को लेकर रोज रोज की नौटंकी सोभा नहीं देता।



विकास उपाध्याय ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर दोहरामापदण्ड अपनाये जाने का आरोप लगाते हुए कहा,केंद्र सरकार को 45 साल से ऊपर के सभी 44 करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए 61.5 करोड़ खुराक की आवश्यकता है। जिसे वह फ्री में अपनी जिम्मेदारी में ले ली वहीं 18 से 44 साल के 62.2 करोड़ लोगों के लिए 120 करोड़़ खुराकों की जरूरत पड़ रही है वो भी देश के युवा वर्ग पर जिसने भाजपा को केन्द्र में स्थापित किया तो इन्हें फ्री में वैक्सिन देने से मना कर दी। बावजूद राज्य सरकारें फ्री में इस वर्ग को वैक्सिनेशन करना चाह रही हैं तो देश में वैक्सिन नहीं है। यह जानबूझकर राज्य सरकारों को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ को पर्याप्त मात्रा में वैक्सिन उपलब्ध होता तो क्यों न 18 वर्ष के सभी को एक साथ वैक्सिनेशन नहीं होता। भूपेश सरकार की मंशा स्पष्ट है कि प्रदेश में शतप्रतिशत वैक्सिनेशन हो परंतु कोरोना काल में कांग्रेस सरकार द्वारा किये जा रहे व्यवस्थित कार्ययोजना प्रदेश के भाजपा नेताओं द्वारा देखी नहीं जा रही है और उसे बदनाम करने की नाकाम कोशिश हो रही है।


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