मुख्तार अंसारी पर सख्त ऐक्शन लेने वाले पूर्व DSP ने क्या कहा?:

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नई दिल्ली. माफिया
से नेता बने मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक आने के बाद मौत हो गई। बीती रात
मुख्तार जेल में बेहोश हो गया, जिसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती
करवाया गया। देर रात उसकी मौत की आधिकारिक पुष्टि कर दी गई। पूर्वांचल के
इलाके में मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया का बड़ा नाम था। मुलायम सिंह
यादव की सरकार के समय यूपी की राजनीति में मुख्तार अंसारी की काफी हनक थी।
जो भी उस पर कार्रवाई करने की कोशिश करता, उस अधिकारी के खिलाफ ही ऐक्शन ले
लिया जाता। इसका जीता जागता उदाहरण यूपी के पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र
सिंह हैं, जिन्होंने लाइट मशीन गन (LMG) रिकवरी मामले में मुख्तार पर ऐक्शन
लिया था, लेकिन फिर उनके खिलाफ ही कार्रवाई हो गई और इस्तीफा तक देना पड़
गया। मुख्तार की मौत पर पूर्व डीएसपी ने कहा कि जब उसे हार्ट अटैक आया तो
दिमाग में आया कि देखो जिस डर का साम्राज्य से उसने राज किया, वह ही उसे ले
डूबा। भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है। जो कर्म आपने किया है, उसका फल
आपको मिलेगा।

पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने 'आजतक/इंडिया टुडे' से
बात करते हुए कहा, ''जनवरी, 2004 की बात थी। उस समय मैं एसटीएफ में था और
हम लोग शासन-प्रशासन की अनुमति से फोन कॉल सुनते थे। इसी दौरान एक बात
सामने आई कि आर्मी का एक भगौड़ा है जो लाइट मशीन गन लेकर भागा है और
मुख्तार अंसारी उसे एक करोड़ रुपये में खरीदना चाहता है। इसके पीछे वजह यह
थी कि वह कृष्णानंद राय को मारना चाहता था। उनकी गाड़ी बुलेटप्रूफ राइफल की
गोली सह सकती थी, लेकिन उसे एलएमजी भेज देती। हम लोगों ने उसे पकड़ा और
एलएमजी रिकवर किया और उसके खिलाफ पोटा लगाया। 

उन्होंने आगे कहा, ''इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने
दबाव बनाना शुरू कर दिया कि मुख्तार को निकालना है। मैंने कहा कि यह संभव
नहीं है और शुरू में ही इसका नाम लिखाया है। बाद में कहा गया कि विवेचना
में नाम मत लीजिएगा, लेकिन मैंने उससे भी मना कर दिया। इसके बाद अपनी सरकार
बचाने के लिए मुख्तार पर पोटा लगाने की अनुमति नहीं दी गई और मुझे पर ही
आरोप लगाया गया कि मैंने ही गलत किया और फिर 15 दिन बाद मुझे इस्तीफा देना
पड़ा। सभी को उम्मीद थी कि हमारी टीम को प्रमोशन मिलेगा, लेकिन स्थिति बदल
गई और रातों-रात बनारस रेंज के अधिकारियों को ट्रांसफर कर दिया गया।''


नई दिल्ली. माफिया
से नेता बने मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक आने के बाद मौत हो गई। बीती रात
मुख्तार जेल में बेहोश हो गया, जिसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती
करवाया गया। देर रात उसकी मौत की आधिकारिक पुष्टि कर दी गई। पूर्वांचल के
इलाके में मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया का बड़ा नाम था। मुलायम सिंह
यादव की सरकार के समय यूपी की राजनीति में मुख्तार अंसारी की काफी हनक थी।
जो भी उस पर कार्रवाई करने की कोशिश करता, उस अधिकारी के खिलाफ ही ऐक्शन ले
लिया जाता। इसका जीता जागता उदाहरण यूपी के पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र
सिंह हैं, जिन्होंने लाइट मशीन गन (LMG) रिकवरी मामले में मुख्तार पर ऐक्शन
लिया था, लेकिन फिर उनके खिलाफ ही कार्रवाई हो गई और इस्तीफा तक देना पड़
गया। मुख्तार की मौत पर पूर्व डीएसपी ने कहा कि जब उसे हार्ट अटैक आया तो
दिमाग में आया कि देखो जिस डर का साम्राज्य से उसने राज किया, वह ही उसे ले
डूबा। भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है। जो कर्म आपने किया है, उसका फल
आपको मिलेगा।

पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने 'आजतक/इंडिया टुडे' से
बात करते हुए कहा, ''जनवरी, 2004 की बात थी। उस समय मैं एसटीएफ में था और
हम लोग शासन-प्रशासन की अनुमति से फोन कॉल सुनते थे। इसी दौरान एक बात
सामने आई कि आर्मी का एक भगौड़ा है जो लाइट मशीन गन लेकर भागा है और
मुख्तार अंसारी उसे एक करोड़ रुपये में खरीदना चाहता है। इसके पीछे वजह यह
थी कि वह कृष्णानंद राय को मारना चाहता था। उनकी गाड़ी बुलेटप्रूफ राइफल की
गोली सह सकती थी, लेकिन उसे एलएमजी भेज देती। हम लोगों ने उसे पकड़ा और
एलएमजी रिकवर किया और उसके खिलाफ पोटा लगाया। 

उन्होंने आगे कहा, ''इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने
दबाव बनाना शुरू कर दिया कि मुख्तार को निकालना है। मैंने कहा कि यह संभव
नहीं है और शुरू में ही इसका नाम लिखाया है। बाद में कहा गया कि विवेचना
में नाम मत लीजिएगा, लेकिन मैंने उससे भी मना कर दिया। इसके बाद अपनी सरकार
बचाने के लिए मुख्तार पर पोटा लगाने की अनुमति नहीं दी गई और मुझे पर ही
आरोप लगाया गया कि मैंने ही गलत किया और फिर 15 दिन बाद मुझे इस्तीफा देना
पड़ा। सभी को उम्मीद थी कि हमारी टीम को प्रमोशन मिलेगा, लेकिन स्थिति बदल
गई और रातों-रात बनारस रेंज के अधिकारियों को ट्रांसफर कर दिया गया।''


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