उज्जैन में शिप्रा नदी में तड़प-तड़प कर मर गईं सैकड़ों मछलियां, बदबू से रहवासी परेशान:

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भोपाल । एक ओर से शिप्रा में मटमैला बदबूदार कीड़े युक्त पानी जमा है,
किनारे पर मृत मछलियां पड़ी हैं। दूसरी ओर प्रशासन यहां पर शिव ज्योति
अर्पणम कार्यक्रम की तैयारी में जुटा है। यहां पर गुड़ी पड़वा के दिन पांच
लाख दीपक जलाए जाएंगे। शिप्रा के दोनों ओर यह दीपक जलाए जाना है। दीपों को
जलाने के लिए रामघाट और दत्त अखाड़ा क्षेत्र में कलर से ब्लॉक बनाना शुरू
कर दिए गए हैं। गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल को है। यानी कुल 11 दिन शेष हैं। ऐसे
में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि शिप्रा तट के ऐसे हालत में गुड़ी पड़वा पर
शिव ज्योति अर्पणम् और विक्रम उत्सव के कार्यक्रम क्या बदबूदार पानी के बीच
होंगे।

शिप्रा के प्रदूषित पानी में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण सैकड़ों की
संख्या में मछलियां रोज मर रही हैं। पिछले तीन दिनों से मछलियों के मरने की
संख्या तेजी से बढ़ी है। सुबह घाट पर सफाई होती है अगले दिन फिर मृत
मछलियों का ढेर किनारे पर लग जाता है। मरी मछलियों की बदबू पूरे क्षेत्र
में श्रद्धालुओं को परेशान किए हुए है। रामघाट पर इन दिनों हालत ये हैं कि
पानी बुरी तरह प्रदूषित है। इस पानी में दूरदराज से आए श्रद्धालु स्नान,
आचमन कर रहे हैं। साथ ही मरी हुई मछलियों के कारण और पानी में तैर रहे
कीड़ों के कारण उनका मन भी व्यथित हो रहा है। शिप्रा नदी के रामघाट छोटी
रपट से टच होकर भरे पानी में असंख्य कीड़े हैं। श्रद्धालु इसी पानी में
स्नान, आचमन करने के बाद भगवान का अभिषेक भी कर रहे हैं।

कान्ह का प्रदूषित पानी है मां शिप्रा में

रामघाट के आसपास के क्षेत्र में जो पानी नदी में जमा है, वो कान्ह का
प्रदूषित पानी है। जो पिछले दिनों त्रिवेणी के पास बने मिट्टी के अस्थाई
डैम के टूटने के कारण शिप्रा में प्रवाहित हुआ था। बाद में प्रशासन ने दावा
किया था कि शिप्रा से कान्ह का प्रदूषित पानी निकाला जा रहा है और उसमें
नर्मदा का साफ पानी भरा जा रहा है, ताकि गुड़ी पड़वा के मौके पर होने वाले
स्नान पर दर्शनार्थियों को साफ पानी मिल सके। यहां के हालात देखकर तो ऐसा
नहीं लगता है कि कान्ह नदी का पानी यहां से पूरी तरह खाली किया गया हो।



भोपाल । एक ओर से शिप्रा में मटमैला बदबूदार कीड़े युक्त पानी जमा है,
किनारे पर मृत मछलियां पड़ी हैं। दूसरी ओर प्रशासन यहां पर शिव ज्योति
अर्पणम कार्यक्रम की तैयारी में जुटा है। यहां पर गुड़ी पड़वा के दिन पांच
लाख दीपक जलाए जाएंगे। शिप्रा के दोनों ओर यह दीपक जलाए जाना है। दीपों को
जलाने के लिए रामघाट और दत्त अखाड़ा क्षेत्र में कलर से ब्लॉक बनाना शुरू
कर दिए गए हैं। गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल को है। यानी कुल 11 दिन शेष हैं। ऐसे
में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि शिप्रा तट के ऐसे हालत में गुड़ी पड़वा पर
शिव ज्योति अर्पणम् और विक्रम उत्सव के कार्यक्रम क्या बदबूदार पानी के बीच
होंगे।

शिप्रा के प्रदूषित पानी में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण सैकड़ों की
संख्या में मछलियां रोज मर रही हैं। पिछले तीन दिनों से मछलियों के मरने की
संख्या तेजी से बढ़ी है। सुबह घाट पर सफाई होती है अगले दिन फिर मृत
मछलियों का ढेर किनारे पर लग जाता है। मरी मछलियों की बदबू पूरे क्षेत्र
में श्रद्धालुओं को परेशान किए हुए है। रामघाट पर इन दिनों हालत ये हैं कि
पानी बुरी तरह प्रदूषित है। इस पानी में दूरदराज से आए श्रद्धालु स्नान,
आचमन कर रहे हैं। साथ ही मरी हुई मछलियों के कारण और पानी में तैर रहे
कीड़ों के कारण उनका मन भी व्यथित हो रहा है। शिप्रा नदी के रामघाट छोटी
रपट से टच होकर भरे पानी में असंख्य कीड़े हैं। श्रद्धालु इसी पानी में
स्नान, आचमन करने के बाद भगवान का अभिषेक भी कर रहे हैं।

कान्ह का प्रदूषित पानी है मां शिप्रा में

रामघाट के आसपास के क्षेत्र में जो पानी नदी में जमा है, वो कान्ह का
प्रदूषित पानी है। जो पिछले दिनों त्रिवेणी के पास बने मिट्टी के अस्थाई
डैम के टूटने के कारण शिप्रा में प्रवाहित हुआ था। बाद में प्रशासन ने दावा
किया था कि शिप्रा से कान्ह का प्रदूषित पानी निकाला जा रहा है और उसमें
नर्मदा का साफ पानी भरा जा रहा है, ताकि गुड़ी पड़वा के मौके पर होने वाले
स्नान पर दर्शनार्थियों को साफ पानी मिल सके। यहां के हालात देखकर तो ऐसा
नहीं लगता है कि कान्ह नदी का पानी यहां से पूरी तरह खाली किया गया हो।


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