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बदलते मौसम में बीमार होने से बचाती हैं ये 5 गट डिटॉक्सिंग सब्जियां, जानिए क्यों है इसकी जरूरत:

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बदलता मौसम बहुत सारे बदलाव लेकर आता है। और हर बार इस मौसम में बहुत सारे संक्रमण सक्रिय हो जाते हैं। आयुर्वेद में 2 ऋतुओं के बीच की अवधि “ऋतु संधि” कहलाती है। इस दौरान दोषों (dosha) को संतुलित करने के लिए खानपान और जीवनशैली पर ध्यान देना जरूरी है। ताकि आप अगले मौसम के लिए तैयार करना और मन को शुद्ध करना आसान हो जाता है। बदलते मौसम के साथ वातावरण का तापमान बदल जाता है, साथ ही खान पान की आदतों में भी बदला आता है। ऐसे में शरीर को एक से दूसरे वातावरण में एडजस्ट होने में समय लगता है। कई बार इस दौरान शरीर संक्रमित हो जाता है, तो कई लोगों को पाचन संबंधी समस्या परेशान करना शुरू कर देती है।

बदलते मौसम में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए गट डिटॉक्स पर ध्यान देना बहुत जरुरी है। आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ चैताली राठौड़ ने बदलते मौसम में गट डेटॉक्स के लिए कुछ खास सब्जियों के नाम सुझाए हैं। तो चलिए जानते हैं, डिटॉक्स में कौन सी सब्जियां कारगर होती हैं .

बदलते मौसम में क्यों जरूरी है गट डिटॉक्स (importance of gut detox)

ठंड के मौसम में पाचन धीमा हो जाता है, जिससे ब्लोटिंग और कब्ज जैसी संभावित समस्याएं हो सकती हैं। दूसरी ओर, गर्म मौसम डिहाइड्रेशन और प्रोसेस्ड या ठंडे खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन का कारण बन सकता है, जिससे संभावित रूप से विभिन्न प्रकार की पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ऐस में गट डिटॉक्स जरुरी हो जाता है। एक स्वस्थ गट माइक्रोबायोम इम्युनिटी को मजबूत करता है, मौसमी बदलावों के दौरान होने वाले संक्रमणों और एलर्जी से लड़ने में मदद करता है।

गट डिटॉक्स से पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है, जिससे मौसम संबंधी परिवर्तनों के कारण होने वाली पाचन संबंधी परेशानी कम होती है। आंत डिटॉक्स तापमान और आर्द्रता परिवर्तनों के प्रति शारीरिक प्रतिक्रियाओं को बैलेंस रखने में मदद करता है।

ये 5 सब्जियां करेंगी गट की सफाई और आप नहीं पड़ेंगे बीमार (5 gut detoxing vegetables)

1. ब्रोकली

फाइबर एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट से भरपूर ब्रोकली पाचन क्रिया के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। इसमें सल्फोराफेन की मात्रा पाई जाती है, जो इंटेस्टाइन लाइनिंग को प्रोटेक्ट करती हैं, और आंतों के डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करती हैं। इसका सेवन हेल्दी गट बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है, और बदलते मौसम के अनुसार आतों को एडजस्ट होने में मदद करता है।

2. गाजर

नारंगी रंग के गाजर में पर्याप्त मात्रा में फाइबर और बिटा कैरोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा पाई जाती है, जो आपके आंतों को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से प्रोजेक्ट करते हैं। इसके साथ ही फाइबर वावेल मूवमेंट को नियमित रखता है, जिससे कि आंतों में टॉक्सिन जमा नहीं होते। यह गट क्लीनिंग प्रोसेस को बढ़ावा देता है और पाचन प्रक्रिया को पूरी तरह से स्वस्थ रहने में मदद करता है।

3. पालक

फाइबर सहित कई अन्य महत्वपूर्ण विटामिन और मिनरल से भरपूर पालक पाचन क्रिया के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। विशेष रूप से यह औरतों की सेहत को बढ़ावा देते हैं। पालक में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो खाद्य पदार्थों को पूरी तरह से पचाने में मदद करता है। बदलते मौसम में सबसे ज्यादा कब्ज की समस्या होती है, ऐसे में पालक नियमित मल त्याग को बनाए रखने में मदद करता है। जिससे आंत पूरी तरह से स्वस्थ रहते हैं, और पाचन क्रिया में किसी प्रकार का टॉक्सिन जमा नहीं होता।

4. लौकी

महत्वपूर्ण विटामिन एवं मिनरल से भरपूर लौकी में पर्याप्त मात्रा में पानी पाया जाता है। गट डिटॉक्स के लिए पानी बहुत जरूरी है, लौकी में मौजूद पानी आंतों से टॉक्सिंस रिमूव करने में मदद करती है, और पाचन सेहत को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही लौकी डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करती है, और बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। इसमें मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी शरीर और पेट के सूजन से राहत प्रदान करती है, जिससे पाचन संबंधी परेशानी नहीं होती।

5. बंद गोभी

इस मौसम बंद गोभी काफी ज्यादा खाई जाती है। बंद गोभी में मौजूद फाइबर और सल्फर कंपाउंड लीवर डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस को सपोर्ट करते हैं। ठंड के मौसम में आमतौर पर पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, और कब्ज रहने लगता है। ऐसे में बंद गोभी में मौजूद सॉल्युबल फाइबर की मात्रा मल को मुलायम बनाते हैं, और हमारे लिए मल त्याग आसान हो जाता है। जिससे कि हेल्दी डाइजेशन बनाए रखना अधिक आसान हो जाता है।


बदलता मौसम बहुत सारे बदलाव लेकर आता है। और हर बार इस मौसम में बहुत सारे संक्रमण सक्रिय हो जाते हैं। आयुर्वेद में 2 ऋतुओं के बीच की अवधि “ऋतु संधि” कहलाती है। इस दौरान दोषों (dosha) को संतुलित करने के लिए खानपान और जीवनशैली पर ध्यान देना जरूरी है। ताकि आप अगले मौसम के लिए तैयार करना और मन को शुद्ध करना आसान हो जाता है। बदलते मौसम के साथ वातावरण का तापमान बदल जाता है, साथ ही खान पान की आदतों में भी बदला आता है। ऐसे में शरीर को एक से दूसरे वातावरण में एडजस्ट होने में समय लगता है। कई बार इस दौरान शरीर संक्रमित हो जाता है, तो कई लोगों को पाचन संबंधी समस्या परेशान करना शुरू कर देती है।

बदलते मौसम में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए गट डिटॉक्स पर ध्यान देना बहुत जरुरी है। आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ चैताली राठौड़ ने बदलते मौसम में गट डेटॉक्स के लिए कुछ खास सब्जियों के नाम सुझाए हैं। तो चलिए जानते हैं, डिटॉक्स में कौन सी सब्जियां कारगर होती हैं .

बदलते मौसम में क्यों जरूरी है गट डिटॉक्स (importance of gut detox)

ठंड के मौसम में पाचन धीमा हो जाता है, जिससे ब्लोटिंग और कब्ज जैसी संभावित समस्याएं हो सकती हैं। दूसरी ओर, गर्म मौसम डिहाइड्रेशन और प्रोसेस्ड या ठंडे खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन का कारण बन सकता है, जिससे संभावित रूप से विभिन्न प्रकार की पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ऐस में गट डिटॉक्स जरुरी हो जाता है। एक स्वस्थ गट माइक्रोबायोम इम्युनिटी को मजबूत करता है, मौसमी बदलावों के दौरान होने वाले संक्रमणों और एलर्जी से लड़ने में मदद करता है।

गट डिटॉक्स से पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है, जिससे मौसम संबंधी परिवर्तनों के कारण होने वाली पाचन संबंधी परेशानी कम होती है। आंत डिटॉक्स तापमान और आर्द्रता परिवर्तनों के प्रति शारीरिक प्रतिक्रियाओं को बैलेंस रखने में मदद करता है।

ये 5 सब्जियां करेंगी गट की सफाई और आप नहीं पड़ेंगे बीमार (5 gut detoxing vegetables)

1. ब्रोकली

फाइबर एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट से भरपूर ब्रोकली पाचन क्रिया के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। इसमें सल्फोराफेन की मात्रा पाई जाती है, जो इंटेस्टाइन लाइनिंग को प्रोटेक्ट करती हैं, और आंतों के डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करती हैं। इसका सेवन हेल्दी गट बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है, और बदलते मौसम के अनुसार आतों को एडजस्ट होने में मदद करता है।

2. गाजर

नारंगी रंग के गाजर में पर्याप्त मात्रा में फाइबर और बिटा कैरोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा पाई जाती है, जो आपके आंतों को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से प्रोजेक्ट करते हैं। इसके साथ ही फाइबर वावेल मूवमेंट को नियमित रखता है, जिससे कि आंतों में टॉक्सिन जमा नहीं होते। यह गट क्लीनिंग प्रोसेस को बढ़ावा देता है और पाचन प्रक्रिया को पूरी तरह से स्वस्थ रहने में मदद करता है।

3. पालक

फाइबर सहित कई अन्य महत्वपूर्ण विटामिन और मिनरल से भरपूर पालक पाचन क्रिया के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। विशेष रूप से यह औरतों की सेहत को बढ़ावा देते हैं। पालक में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो खाद्य पदार्थों को पूरी तरह से पचाने में मदद करता है। बदलते मौसम में सबसे ज्यादा कब्ज की समस्या होती है, ऐसे में पालक नियमित मल त्याग को बनाए रखने में मदद करता है। जिससे आंत पूरी तरह से स्वस्थ रहते हैं, और पाचन क्रिया में किसी प्रकार का टॉक्सिन जमा नहीं होता।

4. लौकी

महत्वपूर्ण विटामिन एवं मिनरल से भरपूर लौकी में पर्याप्त मात्रा में पानी पाया जाता है। गट डिटॉक्स के लिए पानी बहुत जरूरी है, लौकी में मौजूद पानी आंतों से टॉक्सिंस रिमूव करने में मदद करती है, और पाचन सेहत को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही लौकी डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करती है, और बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। इसमें मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी शरीर और पेट के सूजन से राहत प्रदान करती है, जिससे पाचन संबंधी परेशानी नहीं होती।

5. बंद गोभी

इस मौसम बंद गोभी काफी ज्यादा खाई जाती है। बंद गोभी में मौजूद फाइबर और सल्फर कंपाउंड लीवर डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस को सपोर्ट करते हैं। ठंड के मौसम में आमतौर पर पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, और कब्ज रहने लगता है। ऐसे में बंद गोभी में मौजूद सॉल्युबल फाइबर की मात्रा मल को मुलायम बनाते हैं, और हमारे लिए मल त्याग आसान हो जाता है। जिससे कि हेल्दी डाइजेशन बनाए रखना अधिक आसान हो जाता है।


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