मुंबई. महाराष्ट्र सरकार किसान कर्जमाफी योजना के तहत
किसानों के बकाया का भुगतान कर रही है, लेकिन वह एक असामान्य स्थिति का
सामना भी कर रही है क्योंकि लगभग 45,000 पात्र खाताधारक अब तक योजना के लाभ
के वास्ते दावा करने के लिए आगे नहीं आए हैं।
महात्मा ज्योतिबा फुले योजना का मकसद राज्य में किसानों के कर्ज के बोझ
को कम करना है। राज्य सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल ने पीटीआई-भाषा को
बताया, ‘‘ किसानों के ऐसे करीब 45,000 बैंक खाते हैं जिन्होंने फसल ऋण लिया
है और कर्ज को समय पर चुका नहीं पाए हैं। वे फसल ऋण माफी योजना के पात्र
हैं, लेकिन खाताधारक लाभ का दावा करने के लिए आगे नहीं आए हैं। इसलिए ये
कर्ज माफ नहीं किया जाएगा।’’
पाटिल ने कहा कि यह खाताधारक का काम है कि वह बैंक जाकर अपना दावा जमा
कराए। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर वे आगे आते हैं और दावा करते हैं तो राज्य उनके
आवेदन पर विचार करेगा।’’ सहकारिता विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि
कुछ खातों को लेकर परिवार में विवाद है। उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ मामलों में
खाताधारक की मौत हो गई है और मृतक के बेटे को कर्ज विरासत में मिला है। वे
योजना के लाभ का दावा करने के लिए तब तक आगे नहीं आते जब तक कि वे इस बात
पर सहमत न हों कि कर्ज के बोझ को कैसे साझा किया जाए।’’
पाटिल ने कहा कि राज्य ने 32.82 लाख बैंक खाकों की पहचान की है जो कर्ज
माफी योजना के पात्र हैं और उनमें से 32.37 लाख ने संबंधित बैंक के साथ
आधार सत्यापन पूरा करा लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 20,250
करोड़ रुपये बैंक को स्थानांतरित कर दिए हैं ताकि किसानों के कर्ज का निपटान
हो जाए।
मंत्री ने कहा, ‘‘ 54000 खाताधारक पात्र हैं और उन्होंने जरूरी
प्रक्रिया भी पूरी कर ली है लेकिन कोष उपलब्ध नहीं है। (विधानमंडल में बजट
में) अनूपूरक मांग में 82 करोड़ रुपये मांगे गए हैं ताकि लंबित खातों का
कर्ज भी निपटाया जा सके। इस वित्त वर्ष के अंत तक इन खातों के बकाए का
भुगतान कर दिया जाएगा।’’ योजना के तहत किसान के दो लाख रुपये तक के कर्ज
को माफ किया जाएगा।
मुंबई. महाराष्ट्र सरकार किसान कर्जमाफी योजना के तहत
किसानों के बकाया का भुगतान कर रही है, लेकिन वह एक असामान्य स्थिति का
सामना भी कर रही है क्योंकि लगभग 45,000 पात्र खाताधारक अब तक योजना के लाभ
के वास्ते दावा करने के लिए आगे नहीं आए हैं।
महात्मा ज्योतिबा फुले योजना का मकसद राज्य में किसानों के कर्ज के बोझ
को कम करना है। राज्य सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल ने पीटीआई-भाषा को
बताया, ‘‘ किसानों के ऐसे करीब 45,000 बैंक खाते हैं जिन्होंने फसल ऋण लिया
है और कर्ज को समय पर चुका नहीं पाए हैं। वे फसल ऋण माफी योजना के पात्र
हैं, लेकिन खाताधारक लाभ का दावा करने के लिए आगे नहीं आए हैं। इसलिए ये
कर्ज माफ नहीं किया जाएगा।’’
पाटिल ने कहा कि यह खाताधारक का काम है कि वह बैंक जाकर अपना दावा जमा
कराए। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर वे आगे आते हैं और दावा करते हैं तो राज्य उनके
आवेदन पर विचार करेगा।’’ सहकारिता विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि
कुछ खातों को लेकर परिवार में विवाद है। उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ मामलों में
खाताधारक की मौत हो गई है और मृतक के बेटे को कर्ज विरासत में मिला है। वे
योजना के लाभ का दावा करने के लिए तब तक आगे नहीं आते जब तक कि वे इस बात
पर सहमत न हों कि कर्ज के बोझ को कैसे साझा किया जाए।’’
पाटिल ने कहा कि राज्य ने 32.82 लाख बैंक खाकों की पहचान की है जो कर्ज
माफी योजना के पात्र हैं और उनमें से 32.37 लाख ने संबंधित बैंक के साथ
आधार सत्यापन पूरा करा लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 20,250
करोड़ रुपये बैंक को स्थानांतरित कर दिए हैं ताकि किसानों के कर्ज का निपटान
हो जाए।
मंत्री ने कहा, ‘‘ 54000 खाताधारक पात्र हैं और उन्होंने जरूरी
प्रक्रिया भी पूरी कर ली है लेकिन कोष उपलब्ध नहीं है। (विधानमंडल में बजट
में) अनूपूरक मांग में 82 करोड़ रुपये मांगे गए हैं ताकि लंबित खातों का
कर्ज भी निपटाया जा सके। इस वित्त वर्ष के अंत तक इन खातों के बकाए का
भुगतान कर दिया जाएगा।’’ योजना के तहत किसान के दो लाख रुपये तक के कर्ज
को माफ किया जाएगा।