नयी दिल्ली. नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने
बुधवार को कहा कि रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण भारतीय रक्षा
क्षेत्र को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि मॉस्को के पास
अंर्तिनहित सैन्य शक्ति है और वह अपनी उत्पादन दक्षताओं के मामले में
स्वावलंबी है।
रूस द्विपक्षीय करार के तहत भारत के लिए रक्षा उत्पादों एवं साजो-सामान
के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। सारस्वत ने ‘पीटीआई-भाषा’ से
कहा, ‘‘रूस के पास अंर्तिनहित सैन्य शक्ति है, उनके पास सैन्य साजो-सामान
के विनिर्माण के क्षेत्र में आधारभूत संरचनाएं मौजूद हैं और वे उत्पादन
क्षमताओं के मामले में कमोबेश स्वावलंबी हैं।’’
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को घोषणा की कि अमेरिका यूक्रेन
पर हमले के जवाब में रूसी तेल एवं प्राकृतिक गैस के आयात पर प्रतिबंध
लगायेगा। रूसी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से तेल एवं प्राकृतिक गैस के निर्यात
पर निर्भर करती है। ब्रिटेन ने भी पांच रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगाये
हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व प्रमुख सारस्वत ने
कहा, ‘‘इसलिए, मेरे विचार में, रिजर्व काफी अधिक है। रूस पर इस तरह के
अप्लकालिक प्रतिबंध भारत के लिए कोई समस्या पैदा नहीं करेंगे।’’ वह इस सवाल
का जवाब दे रहे थे कि क्या पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाये गये
प्रतिबंधों का भारत के रक्षा आयातों पर कोई असर होगा?
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ही कहा है कि अब
सरकार 68 प्रतिशत रक्षा साजो-सामान स्वदेशी श्रेणी के चाहती है। उन्होंने
कहा, ‘‘और यही वजह है कि 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री ने घोषणा की है
कि देश में अधिक से अधिक उद्योग होने चाहिए, जो सशस्त्र बलों के लिए सैन्य
साजो-सामान बनाएं।’’
नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सरकार की अपील
व्यापक तौर पर रक्षा क्षेत्र पर भी लागू है। स्टॉकहोम के रक्षा विचारक समूह
(ंिथक-टैंक) एसआईपीआरआई द्वारा पिछले वर्ष मार्च में जारी रिपोर्ट में कहा
गया था कि 2011-15 और 2016-20 के बीच भारत के हथियारों का आयात 33 प्रतिशत
कम हुआ है और रूस सबसे प्रभावित आपूर्तिकर्ता है।
कांग्रेसनल रिसर्च र्सिवस (सीआरएस) की गत वर्ष अक्टूबर में जारी एक
रिपोर्ट में कहा गया है कि हथियारों और सैन्य साजो-सामान के मामले में भारत
की रूस पर निर्भरता में भारी गिरावट दर्ज की गयी है, लेकिन भारतीय सेना
रूस द्वारा आपूर्ति किये गये साजो-सामान के बिना प्रभावी तरीके से संचालन
नहीं कर सकती और निकट और मध्यम अवधि में उसकी हथियार प्रणालियों पर निर्भर
रहना जारी रखेगी।
नयी दिल्ली. नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने
बुधवार को कहा कि रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण भारतीय रक्षा
क्षेत्र को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि मॉस्को के पास
अंर्तिनहित सैन्य शक्ति है और वह अपनी उत्पादन दक्षताओं के मामले में
स्वावलंबी है।
रूस द्विपक्षीय करार के तहत भारत के लिए रक्षा उत्पादों एवं साजो-सामान
के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। सारस्वत ने ‘पीटीआई-भाषा’ से
कहा, ‘‘रूस के पास अंर्तिनहित सैन्य शक्ति है, उनके पास सैन्य साजो-सामान
के विनिर्माण के क्षेत्र में आधारभूत संरचनाएं मौजूद हैं और वे उत्पादन
क्षमताओं के मामले में कमोबेश स्वावलंबी हैं।’’
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को घोषणा की कि अमेरिका यूक्रेन
पर हमले के जवाब में रूसी तेल एवं प्राकृतिक गैस के आयात पर प्रतिबंध
लगायेगा। रूसी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से तेल एवं प्राकृतिक गैस के निर्यात
पर निर्भर करती है। ब्रिटेन ने भी पांच रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगाये
हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व प्रमुख सारस्वत ने
कहा, ‘‘इसलिए, मेरे विचार में, रिजर्व काफी अधिक है। रूस पर इस तरह के
अप्लकालिक प्रतिबंध भारत के लिए कोई समस्या पैदा नहीं करेंगे।’’ वह इस सवाल
का जवाब दे रहे थे कि क्या पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाये गये
प्रतिबंधों का भारत के रक्षा आयातों पर कोई असर होगा?
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ही कहा है कि अब
सरकार 68 प्रतिशत रक्षा साजो-सामान स्वदेशी श्रेणी के चाहती है। उन्होंने
कहा, ‘‘और यही वजह है कि 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री ने घोषणा की है
कि देश में अधिक से अधिक उद्योग होने चाहिए, जो सशस्त्र बलों के लिए सैन्य
साजो-सामान बनाएं।’’
नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सरकार की अपील
व्यापक तौर पर रक्षा क्षेत्र पर भी लागू है। स्टॉकहोम के रक्षा विचारक समूह
(ंिथक-टैंक) एसआईपीआरआई द्वारा पिछले वर्ष मार्च में जारी रिपोर्ट में कहा
गया था कि 2011-15 और 2016-20 के बीच भारत के हथियारों का आयात 33 प्रतिशत
कम हुआ है और रूस सबसे प्रभावित आपूर्तिकर्ता है।
कांग्रेसनल रिसर्च र्सिवस (सीआरएस) की गत वर्ष अक्टूबर में जारी एक
रिपोर्ट में कहा गया है कि हथियारों और सैन्य साजो-सामान के मामले में भारत
की रूस पर निर्भरता में भारी गिरावट दर्ज की गयी है, लेकिन भारतीय सेना
रूस द्वारा आपूर्ति किये गये साजो-सामान के बिना प्रभावी तरीके से संचालन
नहीं कर सकती और निकट और मध्यम अवधि में उसकी हथियार प्रणालियों पर निर्भर
रहना जारी रखेगी।