news mumbai:: अदालत ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने में देरी पर ठेकेदारों की खिचाई की…:

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मुंबई. महाराष्ट्र के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे
लगाने में देरी के लिए आलोचनाएं झेल रहे परियोजना के एक ठेकेदार ने बंबई
उच्च न्यायालय के समक्ष शुक्रवार को अपना प्रमाण देते हुए कहा कि नयी
दिल्ली में उसने जो कैमरे लगाए थे उससे पुलिस को 2020 के उत्तरपूर्वी दंगों
में ‘‘दोषियों’’ की पहचान करने में मदद मिली थी। बेंगलूरु स्थित कंपनी जवी सिस्टम्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने
न्यायमूर्ति एस जे कठवल्ला और न्यायमूर्ति मिंिलद जाधव के समक्ष दलीलें पेश
कीं। पीठ ने जवी और अन्य ठेकेदार पुणे स्थित सुजाता कम्प्यूटर्स को काम
में देरी की वजह बताने के लिए शुक्रवार को अदालत में पेश होने के लिए कहा
था।



सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम पिछले साल अगस्त में अनुबंध तय होने की
तारीख से 22 हफ्तों के भीतर पूरा होना था जबकि दोनों ठेकेदारों ने तय
संख्या से केवल आधे ही कैमरे लगाए और काम पूरा करेन के लिए 16 और हफ्तों का
समय मांगा। महाराष्ट्र के महाधिवक्ता (एजी) आशुतोष कुम्भकोणी ने अदालत को सूचित
किया कि दोनों ठेकेदारों ने देरी पर खेद जताया और वे अदालत को यह बताने के
लिए एक हलफनामा देना चाहते हैं कि काम कब तक पूरा होगा। ठेकेदारों ने अदालत में कहा कि उन्होंने 65 फीसदी काम कर दिया है और बाकी का काम ‘‘आठ से 10 दिनों’’ में हो जाएगा। महाधिवक्ता ने जवी के बारे में अदालत में कहा, ‘‘वे कह रहे हैं कि उनकी
प्रणाली ने दिल्ली प्रशासन को दंगों में दोषियों की पहचान करने में मदद
की।’’



इस पर उच्च न्यायालय ने पूछा कि राज्य सरकार ने एलएंडटी का चयन क्यों
नहीं किया जिसने मुंबई में ट्रैफिक सिग्नल्स पर सीसीटीवी कैमरे लगाए थे।
कुम्भकोणी ने कहा, ‘‘खुली अदालत में यह कहना बहुत अजीब है लेकिन एलएंडटी ने
कहा कि वह ‘पान बीड़ी दुकान का काम’ नहीं करती। उनके लिए ?65 करोड़ रुपये
बहुत कम थे।’’



इस पर अदालत ने टोकते हुए कहा कि अगर काम पूरा हो गया होता तो उसे फर्क
नहीं पड़ता चाहे इसका बजट 650 करोड़ रुपये होता। अदालत ने कहा, ‘‘हम मौजूदा
मामले में जिस तरीके से ये ठेके दिए गए, उससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।
13 और आवेदक थे और बस यह देखा गया कि इन दोनों कंपनियों की बोली कम थी।’’
उच्च न्यायालय ने दोनों ठेकेदारों से सुनवाई की अगली तारीख 15 मार्च को
हलफनामा देने का निर्देश दिया।



मुंबई. महाराष्ट्र के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे
लगाने में देरी के लिए आलोचनाएं झेल रहे परियोजना के एक ठेकेदार ने बंबई
उच्च न्यायालय के समक्ष शुक्रवार को अपना प्रमाण देते हुए कहा कि नयी
दिल्ली में उसने जो कैमरे लगाए थे उससे पुलिस को 2020 के उत्तरपूर्वी दंगों
में ‘‘दोषियों’’ की पहचान करने में मदद मिली थी। बेंगलूरु स्थित कंपनी जवी सिस्टम्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने
न्यायमूर्ति एस जे कठवल्ला और न्यायमूर्ति मिंिलद जाधव के समक्ष दलीलें पेश
कीं। पीठ ने जवी और अन्य ठेकेदार पुणे स्थित सुजाता कम्प्यूटर्स को काम
में देरी की वजह बताने के लिए शुक्रवार को अदालत में पेश होने के लिए कहा
था।



सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम पिछले साल अगस्त में अनुबंध तय होने की
तारीख से 22 हफ्तों के भीतर पूरा होना था जबकि दोनों ठेकेदारों ने तय
संख्या से केवल आधे ही कैमरे लगाए और काम पूरा करेन के लिए 16 और हफ्तों का
समय मांगा। महाराष्ट्र के महाधिवक्ता (एजी) आशुतोष कुम्भकोणी ने अदालत को सूचित
किया कि दोनों ठेकेदारों ने देरी पर खेद जताया और वे अदालत को यह बताने के
लिए एक हलफनामा देना चाहते हैं कि काम कब तक पूरा होगा। ठेकेदारों ने अदालत में कहा कि उन्होंने 65 फीसदी काम कर दिया है और बाकी का काम ‘‘आठ से 10 दिनों’’ में हो जाएगा। महाधिवक्ता ने जवी के बारे में अदालत में कहा, ‘‘वे कह रहे हैं कि उनकी
प्रणाली ने दिल्ली प्रशासन को दंगों में दोषियों की पहचान करने में मदद
की।’’



इस पर उच्च न्यायालय ने पूछा कि राज्य सरकार ने एलएंडटी का चयन क्यों
नहीं किया जिसने मुंबई में ट्रैफिक सिग्नल्स पर सीसीटीवी कैमरे लगाए थे।
कुम्भकोणी ने कहा, ‘‘खुली अदालत में यह कहना बहुत अजीब है लेकिन एलएंडटी ने
कहा कि वह ‘पान बीड़ी दुकान का काम’ नहीं करती। उनके लिए ?65 करोड़ रुपये
बहुत कम थे।’’



इस पर अदालत ने टोकते हुए कहा कि अगर काम पूरा हो गया होता तो उसे फर्क
नहीं पड़ता चाहे इसका बजट 650 करोड़ रुपये होता। अदालत ने कहा, ‘‘हम मौजूदा
मामले में जिस तरीके से ये ठेके दिए गए, उससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।
13 और आवेदक थे और बस यह देखा गया कि इन दोनों कंपनियों की बोली कम थी।’’
उच्च न्यायालय ने दोनों ठेकेदारों से सुनवाई की अगली तारीख 15 मार्च को
हलफनामा देने का निर्देश दिया।



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