बड़े ही नहीं, बच्चों में भी हो सकती है नींद से जुड़ी ये समस्या, समय रहते पहचानें ये लक्षण:

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साल 2021 में हुए
इंडिया स्लीप सर्वे के मुताबिक 25% लोग अपने स्लीपिंग पैटर्न से खुश नहीं
हैं। नींद एक दवा की तरह शरीर को रिपेयर करने का काम करती है। प्रतिदिन 8
घंटे की नींद बहुत जरूरी होती है, लेकिन जब ये नींद किसी न किसी से बाधित
होती है तो इससे शारीरिक और मानसिक विकार होने लगते हैं। नींद का पैटर्न
गड़बड़ होने की कई वजहें हो सकती हैं। लेकिन नींद में खलल गंभीर बीमारी का
कारण बनता है। तो चलिए जानें कि बड़े और बच्चों में नींद में खलल के क्या
कारण हो सकते हैं। ये 5 स्लीप डिसऑर्डर्स से हर उम्र के लोग होते हैं परेशान

1. इंसोम्निया
इंसोम्निया
यानी नींद न आना। इस बीमारी में नींद आना ही बंद हो जाती है। चिंता,
एंग्जाइटी, हॉरमोन्स और पाचन की समस्या की वजह से भी इंसोम्निया हो सकती
है। इंसोम्निया डिप्रेशन, मोटापा, चिड़चिड़ापन और फोकस न कर पाने जैसी
परेशानियां का कारण हो सकता है। इंसोम्निया किसी भी उम्र में हो सकता है,
लेकिन महिलाओं और उम्रदराज लोगों में ये समस्या ज्यादा होती है।
2. स्लीप एप्ने
स्लीप एप्ने की समस्या तब होती है जब
किसी को खर्राटे आते हों या नींद में बेहद गर्मी के कारण पसीने आने लगें7
ये स्लीप एप्ने के प्रारंभिक लक्षण होता हैं। बॉलीवुड गायक और संगीतकार
बप्पी लहरी की मौत ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्ने से ही हुई थी। यह स्लीप एप्ने
का एक गंभीरर स्टेज होता है। इस बीमारी में सोते सांस रुक जाती है। खर्राटे
लेने को कभी सामान्य नहीं समझना चाहिए। असल में ये नींद से जुड़ी एक समस्या
का लक्षण है। वेट ज्यादा होने पर स्लीप एप्ने का खतरा बढ़ जाता है। इससे
दिल पर जोर पड़ता है। ज्यादा खर्राटे लेना, सोकर उठने के बाद मुंह सूखा
महसूस होना और रात में पसीना आना इसके कुछ लक्षण हैं।

3. पैरासोम्निया
कई
बार नींद में कराहने की समस्या भी दिखती है। ऐसा पैरासोम्निया नामक नींद
से जुड़ी बीमारी के कारण होता है। इस समस्या में व्यक्ति नींद में चलने या
कराहने लगता है। नींद में खलल की ये समस्या अगर समय रहते इलाज न कराई जाए
तो पैरासोम्निया में बदल जाती है। इस बीमारी में नींद में चलना, नींद में
बड़बड़ाना, सोते वक्त कराहना, बुरे सपने देखना, बिस्तर गीला करना, शरीर का
सुन्न हो जाना और जबड़ा जकड़ने जैसी दिक्कते भी होती हैं। पैरासोम्निया बच्चे
से लेकर बूढ़े तक किसी में भी देखने को मिल सकती है। नींद पूरी न होने,
अच्छी नींद बीच में टूटने और कई दवाओं के कारण भी ऐसा होता है। ज्यादा
चिंता, प्रेग्नेंसी, दिमाग में चोट, शराब या ड्रग्स का सेवन और परिवार में
किसी को ये बीमारी होने से भी आप इसके शिकार हो सकते हैं।
4. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम
लगातार
पैर हिलाने की इस आदत आपके नींद से जुड़ी समस्या का कारण बन सकती है। पैरों
के हिलाने के कारण झुनझुनी होने लगती है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में पीड़ित
व्यकति पैरों पर कंट्रोल नहीं होता, यानी ध्यान हटा और पैर हिलना शुरू।
इसके अधिकतर मरीज अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर या पार्किंसंस
बीमारी से पीड़ित होते हैं।
5. नार्कोलेप्सी
नार्कोलेप्सी
एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति नींद से उठने के बाद कुछ देर तक अपने
शरीर को हिला नहीं पाता। शरीर का मूवमेंट न होने की स्थिति को नार्कोलेप्सी
या 'स्लीप अटैक' भी कहते हैं। इसमें व्यक्ति को जागते समय अचानक थकान होती
है, जिससे वह तुरंत सो जाता है। ये डिसऑर्डर लोगों में स्लीप पैरालिसिस की
समस्या ईजाद कर सकता है। इसके चलते आप नींद से उठने के कुछ समय बाद तक
अपना शरीर मूव नहीं कर सकते। वैसे तो नार्कोलेप्सी अपने आप हो सकती है,
लेकिन फिर भी इसे कुछ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स से लिंक किया जाता है। इनमें
मल्टिपल स्क्लेरोसिस शामिल है।




साल 2021 में हुए
इंडिया स्लीप सर्वे के मुताबिक 25% लोग अपने स्लीपिंग पैटर्न से खुश नहीं
हैं। नींद एक दवा की तरह शरीर को रिपेयर करने का काम करती है। प्रतिदिन 8
घंटे की नींद बहुत जरूरी होती है, लेकिन जब ये नींद किसी न किसी से बाधित
होती है तो इससे शारीरिक और मानसिक विकार होने लगते हैं। नींद का पैटर्न
गड़बड़ होने की कई वजहें हो सकती हैं। लेकिन नींद में खलल गंभीर बीमारी का
कारण बनता है। तो चलिए जानें कि बड़े और बच्चों में नींद में खलल के क्या
कारण हो सकते हैं। ये 5 स्लीप डिसऑर्डर्स से हर उम्र के लोग होते हैं परेशान

1. इंसोम्निया
इंसोम्निया
यानी नींद न आना। इस बीमारी में नींद आना ही बंद हो जाती है। चिंता,
एंग्जाइटी, हॉरमोन्स और पाचन की समस्या की वजह से भी इंसोम्निया हो सकती
है। इंसोम्निया डिप्रेशन, मोटापा, चिड़चिड़ापन और फोकस न कर पाने जैसी
परेशानियां का कारण हो सकता है। इंसोम्निया किसी भी उम्र में हो सकता है,
लेकिन महिलाओं और उम्रदराज लोगों में ये समस्या ज्यादा होती है।
2. स्लीप एप्ने
स्लीप एप्ने की समस्या तब होती है जब
किसी को खर्राटे आते हों या नींद में बेहद गर्मी के कारण पसीने आने लगें7
ये स्लीप एप्ने के प्रारंभिक लक्षण होता हैं। बॉलीवुड गायक और संगीतकार
बप्पी लहरी की मौत ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्ने से ही हुई थी। यह स्लीप एप्ने
का एक गंभीरर स्टेज होता है। इस बीमारी में सोते सांस रुक जाती है। खर्राटे
लेने को कभी सामान्य नहीं समझना चाहिए। असल में ये नींद से जुड़ी एक समस्या
का लक्षण है। वेट ज्यादा होने पर स्लीप एप्ने का खतरा बढ़ जाता है। इससे
दिल पर जोर पड़ता है। ज्यादा खर्राटे लेना, सोकर उठने के बाद मुंह सूखा
महसूस होना और रात में पसीना आना इसके कुछ लक्षण हैं।

3. पैरासोम्निया
कई
बार नींद में कराहने की समस्या भी दिखती है। ऐसा पैरासोम्निया नामक नींद
से जुड़ी बीमारी के कारण होता है। इस समस्या में व्यक्ति नींद में चलने या
कराहने लगता है। नींद में खलल की ये समस्या अगर समय रहते इलाज न कराई जाए
तो पैरासोम्निया में बदल जाती है। इस बीमारी में नींद में चलना, नींद में
बड़बड़ाना, सोते वक्त कराहना, बुरे सपने देखना, बिस्तर गीला करना, शरीर का
सुन्न हो जाना और जबड़ा जकड़ने जैसी दिक्कते भी होती हैं। पैरासोम्निया बच्चे
से लेकर बूढ़े तक किसी में भी देखने को मिल सकती है। नींद पूरी न होने,
अच्छी नींद बीच में टूटने और कई दवाओं के कारण भी ऐसा होता है। ज्यादा
चिंता, प्रेग्नेंसी, दिमाग में चोट, शराब या ड्रग्स का सेवन और परिवार में
किसी को ये बीमारी होने से भी आप इसके शिकार हो सकते हैं।
4. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम
लगातार
पैर हिलाने की इस आदत आपके नींद से जुड़ी समस्या का कारण बन सकती है। पैरों
के हिलाने के कारण झुनझुनी होने लगती है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में पीड़ित
व्यकति पैरों पर कंट्रोल नहीं होता, यानी ध्यान हटा और पैर हिलना शुरू।
इसके अधिकतर मरीज अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर या पार्किंसंस
बीमारी से पीड़ित होते हैं।
5. नार्कोलेप्सी
नार्कोलेप्सी
एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति नींद से उठने के बाद कुछ देर तक अपने
शरीर को हिला नहीं पाता। शरीर का मूवमेंट न होने की स्थिति को नार्कोलेप्सी
या 'स्लीप अटैक' भी कहते हैं। इसमें व्यक्ति को जागते समय अचानक थकान होती
है, जिससे वह तुरंत सो जाता है। ये डिसऑर्डर लोगों में स्लीप पैरालिसिस की
समस्या ईजाद कर सकता है। इसके चलते आप नींद से उठने के कुछ समय बाद तक
अपना शरीर मूव नहीं कर सकते। वैसे तो नार्कोलेप्सी अपने आप हो सकती है,
लेकिन फिर भी इसे कुछ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स से लिंक किया जाता है। इनमें
मल्टिपल स्क्लेरोसिस शामिल है।



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