अगर आप अपनी फर्टिलिटी में सुधार के साथ कई अन्य फायदे पाना चाहती हैं तो इस मुद्रा
को अपने रूटीन में जरूर करें।
क्या आप प्रसव उम्र की महिला हैं?
क्या अपनी फर्टिलिटी में सुधार करना चाहती हैं?
क्या आप हेल्दी मेनोपॉज चाहती हैं?
क्या आप अपनी एनर्जी को स्थिर करना चाहती हैं और जीवन में आगे बढ़ना चाहती हैं?
तो
योनि मुद्रा को अपने फिटनेस रूटीन में शामिल करें। जी हां, मुद्राएं एक
अनूठी और सर्वोत्तम तकनीकों में से एक है जो हमारे शरीर में पांच तत्वों को
संतुलित करती हैं। मुद्राएं शरीर में तीन दोषों यानि वात, पित्त और कफ को
संतुलित करने में मदद करती हैं। इसके निरंतर और नियमित अभ्यास से किसी भी
स्वास्थ्य लाभ को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। इस बारे में हमें
आयुर्वेदिक डॉक्टर जीतू रामचंद्रन जी के इंस्टाग्राम को देखने के बाद पता
चला।
आज हम आपको योनि मुद्रा के बारे में बताने जा रहे हैं जो महिलाओं की
हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद होती है। हिंदू धर्म में, योनि मुद्रा स्त्री
देवता शक्ति को समर्पित है। योनि मुद्रा गर्भ की 'महिला रचनात्मक शक्ति' को
जन्म देती है। इसलिए, योनि मुद्रा देवी शक्ति की तरह शक्ति देती है।
योनि मुद्रा एक विशेष प्रकार की मुद्रा है जो एक नवजात शिशु की तरह
दिमाग पाने में मदद करती है। जिस प्रकार गर्भ में बच्चा बाहरी दुनिया से
अलग शांत रहता है ठीक वैसे ही इस मुद्रा को करने वाली महिला भी बाहरी
दुनिया से कट जाती है और आनंद की स्थिति का अनुभव करती है।
योनि मुद्रा में शामिल दोनों शब्द संस्कृत से बने है, 'योनि' का अर्थ है
'गर्भ' जो महिला के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को संदर्भित करता है और 'मुद्रा'
का अर्थ है 'हाथ की उंगलियों और अंगूठे का इशारा'। महिलाओं में
रिप्रोडक्टिव सिस्टम में सुधार के लिए इस मुद्रा का अभ्यास किया जा सकता
है। साथ ही इसे करने वाली महिला को मन और शरीर में ताजगी का अहसास होता है।
योनि मुद्रा की विधि
- इसे करने के लिए सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं।
- अपने कंधों को ऊपर उठाकर या दीवार के सहारे सीधे बैठकर अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करें।
- अपने हाथ को इस तरह मोड़ें कि वह गर्भ जैसा आकार बना ले।
- अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और अंगूठों को कानों के पास रखें।
- फिर तर्जनी उंगली को अपनी आंखों पर और मध्यमिका को नाक के बगल और अनामिका को होंठों के ऊपरी हिस्से पर रखें।
- साथ ही छोटी उंगली को होंठों के नीचे वाले हिस्से पर रख दें।
- सांस को नाक से भरते हुए मध्यमिका से नाक को दोनों से बंद कर दें।
- सांस को अपनी क्षमतानुसार रोकें और कुछ समय पश्चात ओम का जाप करते हुए धीरे से सांस को बाहर छोड़ दें।
- धीरे से वापस पुरानी पोजीशन में आ जाएं।
- शुरुआत में किसी की देखरेख में करें।
महिलाओं के लिए योनि मुद्रा के लाभ
योनि मुद्रा के कई लाभ हैं। मुद्रा का अभ्यास करने के कुछ प्राथमिक लाभ नीचे दिए गए हैं।
यूट्रस का कामकाज होता है नियंत्रित
यह यूट्रस के लिए लाभकारी
और अनुशंसित योग है और प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। इस मुद्रा का
अभ्यास महिलाओं के लिए एक बेहतरीन व्यायाम माना जाता है। यह हार्मोनल
असंतुलन को नियंत्रित करता है और एक महिला की प्रजनन प्रणाली के इष्टतम
कामकाज में परिणाम देता है।
स्त्री ऊर्जा को बढ़ाती है यह मुद्रा
योनि मुद्रा एक महिला को उसकी आंतरिक स्त्री ऊर्जा से जुड़ने में मदद
करती है। यह शरीर और प्राण के बीच सामंजस्य और संतुलन महिलाओं को खुद को
उत्तेजित और फिर से जीवंत करने में मदद करती है।
पीरियड्स के लिए योनि मुद्रा
योनि मुद्रा गर्भ और मासिक धर्म चक्र और जड़ चक्र से जुड़ी होती है। यह गर्भ में प्राण को मजबूत करने में मदद करती है। इसलिए यह पीरियड्स के दौरान बेहद फायदेमंदहोती है।
तनाव होता है दूर
उंगलियों में मौजूद पांच पृथ्वी तत्वों को मिलाकर योनि मुद्रा के कई रूप
विकसित किए गए हैं। योग मुद्रा में उपयोग किए जाने वाले हाथ की विविधता का
उपयोग मन और शरीर को शांत करने के लिए किया जाता है। यह तनाव मुक्त करने
में मदद करती है और अस्थिरता को कम करती है। यह मुद्रा हमारे नर्वस
सिस्टम के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। यह एकाग्रता को बढ़ाती है। साथ
ही साथ हमें आंतरिक शांति भी प्रदान करती है।
धरती से जोड़ती है आपको
योनि मुद्रा आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने वाली है। यह जीवित प्राणियों
की उत्पत्ति और पोषण का प्रतीक है। इन आसनों से उत्पन्न शांति और मन की
शांति आत्मा को मुक्त करती है और आत्मविश्वास का निर्माण करती है। यह मन के
भीतर शरीर के तत्वों के बारे में जागरूकता पैदा करती है।
फिटनेस से जुड़े ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
अगर आप अपनी फर्टिलिटी में सुधार के साथ कई अन्य फायदे पाना चाहती हैं तो इस मुद्रा
को अपने रूटीन में जरूर करें।
क्या आप प्रसव उम्र की महिला हैं?
क्या अपनी फर्टिलिटी में सुधार करना चाहती हैं?
क्या आप हेल्दी मेनोपॉज चाहती हैं?
क्या आप अपनी एनर्जी को स्थिर करना चाहती हैं और जीवन में आगे बढ़ना चाहती हैं?
तो
योनि मुद्रा को अपने फिटनेस रूटीन में शामिल करें। जी हां, मुद्राएं एक
अनूठी और सर्वोत्तम तकनीकों में से एक है जो हमारे शरीर में पांच तत्वों को
संतुलित करती हैं। मुद्राएं शरीर में तीन दोषों यानि वात, पित्त और कफ को
संतुलित करने में मदद करती हैं। इसके निरंतर और नियमित अभ्यास से किसी भी
स्वास्थ्य लाभ को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। इस बारे में हमें
आयुर्वेदिक डॉक्टर जीतू रामचंद्रन जी के इंस्टाग्राम को देखने के बाद पता
चला।
आज हम आपको योनि मुद्रा के बारे में बताने जा रहे हैं जो महिलाओं की
हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद होती है। हिंदू धर्म में, योनि मुद्रा स्त्री
देवता शक्ति को समर्पित है। योनि मुद्रा गर्भ की 'महिला रचनात्मक शक्ति' को
जन्म देती है। इसलिए, योनि मुद्रा देवी शक्ति की तरह शक्ति देती है।
योनि मुद्रा एक विशेष प्रकार की मुद्रा है जो एक नवजात शिशु की तरह
दिमाग पाने में मदद करती है। जिस प्रकार गर्भ में बच्चा बाहरी दुनिया से
अलग शांत रहता है ठीक वैसे ही इस मुद्रा को करने वाली महिला भी बाहरी
दुनिया से कट जाती है और आनंद की स्थिति का अनुभव करती है।
योनि मुद्रा में शामिल दोनों शब्द संस्कृत से बने है, 'योनि' का अर्थ है
'गर्भ' जो महिला के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को संदर्भित करता है और 'मुद्रा'
का अर्थ है 'हाथ की उंगलियों और अंगूठे का इशारा'। महिलाओं में
रिप्रोडक्टिव सिस्टम में सुधार के लिए इस मुद्रा का अभ्यास किया जा सकता
है। साथ ही इसे करने वाली महिला को मन और शरीर में ताजगी का अहसास होता है।
योनि मुद्रा की विधि
- इसे करने के लिए सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं।
- अपने कंधों को ऊपर उठाकर या दीवार के सहारे सीधे बैठकर अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करें।
- अपने हाथ को इस तरह मोड़ें कि वह गर्भ जैसा आकार बना ले।
- अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और अंगूठों को कानों के पास रखें।
- फिर तर्जनी उंगली को अपनी आंखों पर और मध्यमिका को नाक के बगल और अनामिका को होंठों के ऊपरी हिस्से पर रखें।
- साथ ही छोटी उंगली को होंठों के नीचे वाले हिस्से पर रख दें।
- सांस को नाक से भरते हुए मध्यमिका से नाक को दोनों से बंद कर दें।
- सांस को अपनी क्षमतानुसार रोकें और कुछ समय पश्चात ओम का जाप करते हुए धीरे से सांस को बाहर छोड़ दें।
- धीरे से वापस पुरानी पोजीशन में आ जाएं।
- शुरुआत में किसी की देखरेख में करें।
महिलाओं के लिए योनि मुद्रा के लाभ
योनि मुद्रा के कई लाभ हैं। मुद्रा का अभ्यास करने के कुछ प्राथमिक लाभ नीचे दिए गए हैं।
यूट्रस का कामकाज होता है नियंत्रित
यह यूट्रस के लिए लाभकारी
और अनुशंसित योग है और प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। इस मुद्रा का
अभ्यास महिलाओं के लिए एक बेहतरीन व्यायाम माना जाता है। यह हार्मोनल
असंतुलन को नियंत्रित करता है और एक महिला की प्रजनन प्रणाली के इष्टतम
कामकाज में परिणाम देता है।
स्त्री ऊर्जा को बढ़ाती है यह मुद्रा
योनि मुद्रा एक महिला को उसकी आंतरिक स्त्री ऊर्जा से जुड़ने में मदद
करती है। यह शरीर और प्राण के बीच सामंजस्य और संतुलन महिलाओं को खुद को
उत्तेजित और फिर से जीवंत करने में मदद करती है।
पीरियड्स के लिए योनि मुद्रा
योनि मुद्रा गर्भ और मासिक धर्म चक्र और जड़ चक्र से जुड़ी होती है। यह गर्भ में प्राण को मजबूत करने में मदद करती है। इसलिए यह पीरियड्स के दौरान बेहद फायदेमंदहोती है।
तनाव होता है दूर
उंगलियों में मौजूद पांच पृथ्वी तत्वों को मिलाकर योनि मुद्रा के कई रूप
विकसित किए गए हैं। योग मुद्रा में उपयोग किए जाने वाले हाथ की विविधता का
उपयोग मन और शरीर को शांत करने के लिए किया जाता है। यह तनाव मुक्त करने
में मदद करती है और अस्थिरता को कम करती है। यह मुद्रा हमारे नर्वस
सिस्टम के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। यह एकाग्रता को बढ़ाती है। साथ
ही साथ हमें आंतरिक शांति भी प्रदान करती है।
धरती से जोड़ती है आपको
योनि मुद्रा आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने वाली है। यह जीवित प्राणियों
की उत्पत्ति और पोषण का प्रतीक है। इन आसनों से उत्पन्न शांति और मन की
शांति आत्मा को मुक्त करती है और आत्मविश्वास का निर्माण करती है। यह मन के
भीतर शरीर के तत्वों के बारे में जागरूकता पैदा करती है।
फिटनेस से जुड़े ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।