बिलासपुर। तखतपुर वन
परिक्षेत्र में शुक्रवार की सुबह एक लंगूर घायल हो गया। इसकी सूचना
ग्रामीणों ने कानन पेंडारी जू को दी पर हमेशा की तरह टीम साढ़े तीन घंटे
विलंब से वहां पहुंची। तब तक लंगूर की मौत हो चुकी थी। वन अमले के इस
लेटलतीफी को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी भी नजर आई। घटना सुबह सात से आठ के
बीच की है। ग्रामीणों ने एक लंगूर को घायल स्थिति में देखा , उसकी सांसे
चल रही थी। जिसे देख कर ग्रामीणों ने सोचा कि यदि तत्काल लंगूर को उपचार
मिल जात है तो वह तो उसकी जान बच जाएगी।
उन्होंने तत्काल इसकी सूचना
कानन पेंडारी जू को दी। नियमानुसार जू प्रबंधन को तत्काल टीम भेजनी चाहिए
थी पर हमेशा की तरह टीम के सदस्यों को एकत्र करने में समय लगा। जब कर्मचारी
आ गए तो रेस्क्यू वाहन पेट्रोल नहीं होने की समस्या आ गई। अधूरी तैयारी के
चलते दोपहर के 12:30 बज गए। उस समय तक लंगूर की मौत हो चुकी थी,
ग्रामीणों ने वन हमले पर नाराजगी भी जताई। बताया जा रहा है कि रेस्क्यू टीम
के वाहन में हमेशा पेट्रोल को लेकर यही दिक्कत आती है।
बिलासपुर। तखतपुर वन
परिक्षेत्र में शुक्रवार की सुबह एक लंगूर घायल हो गया। इसकी सूचना
ग्रामीणों ने कानन पेंडारी जू को दी पर हमेशा की तरह टीम साढ़े तीन घंटे
विलंब से वहां पहुंची। तब तक लंगूर की मौत हो चुकी थी। वन अमले के इस
लेटलतीफी को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी भी नजर आई। घटना सुबह सात से आठ के
बीच की है। ग्रामीणों ने एक लंगूर को घायल स्थिति में देखा , उसकी सांसे
चल रही थी। जिसे देख कर ग्रामीणों ने सोचा कि यदि तत्काल लंगूर को उपचार
मिल जात है तो वह तो उसकी जान बच जाएगी।
उन्होंने तत्काल इसकी सूचना
कानन पेंडारी जू को दी। नियमानुसार जू प्रबंधन को तत्काल टीम भेजनी चाहिए
थी पर हमेशा की तरह टीम के सदस्यों को एकत्र करने में समय लगा। जब कर्मचारी
आ गए तो रेस्क्यू वाहन पेट्रोल नहीं होने की समस्या आ गई। अधूरी तैयारी के
चलते दोपहर के 12:30 बज गए। उस समय तक लंगूर की मौत हो चुकी थी,
ग्रामीणों ने वन हमले पर नाराजगी भी जताई। बताया जा रहा है कि रेस्क्यू टीम
के वाहन में हमेशा पेट्रोल को लेकर यही दिक्कत आती है।