Kanpur News:: विकास दुबे के मददगार अफसरों पर गिरेगी गाज, शासन ने 2 दर्जन अफसरों को जारी किया कारण बताओ नोटिस:

post

Kanpur News: बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे के मददगार रहे अफसरों पर शासन की नजरें टेढ़ी हो गई है. शासन ने विकास दुबे की मदद करने के आरोप में करीब 2 दर्जन से ज्यादा अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ये अधिकारी ऐसे हैं, जिन्होंने आपराधिक पृष्टभूमि के बाद भी असलहा जारी किए और उनका नवीनीकरण भी कराया. जवाब संतोषजनक न होने पर संबन्धित अफसर के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.


जानकारी के अनुसार, शहर में तैनात रहे एसडीएम समेत दो दर्जन अफसरों को शासन ने नोटिस जारी किया है. इनमें 19 अफसर अन्य जिलों में तैनात हैं, जबकि सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं. माना जा रहा है कि अवैध असलहा लाइसेंस की पड़ताल शुरू होने के बाद ऐसे अफसरों की मुश्किलें बढ़नी तय है.


दरअसल, बिकरू कांड के मुख्य आरोपी रहे विकास दुबे के दोनों असलहा लाइसेंस मुकदमे होने के बाद भी रिन्यू कर दिए गए थे. इसके साथ ही जिले में कई सालों तक असलहा लाइसेंस की जांच को कई अफसर दबाए रहे. बिकरु कांड के बाद जब एसआईटी ने जांच की तो बिल्हौर में तैनात रहे एसडीएम, एडीएम फाइनेंस और एडीएम सिटी को दोषी पाया गया है. उनके खिलाफ एसआईटी ने जांच करके कार्रवाई की संतुष्टि की थी. वहीं, मंडलायुक्त का कहना है कि शासन ने यहां पर तैनात तत्कालीन अफसरों की सूची मांगी थी. शासन को सूची मुहैया करा दी गई थी. अब शासन ने नोटिस भेजे हैं.


बता दें कि 2 जुलाई 2020 की आधी रात 12:45 बजे बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने डीएसपी और एसओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. एक-एक पुलिसकर्मी को दर्जनों गोलियां मारी थीं. पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर आठ दिन के भीतर विकास दुबे समेत छह बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. 45 आरोपी जेल में बंद हैं. केस का ट्रायल जारी है.


दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था. एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई. यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे. घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी. पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उन पर छतों सेे गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं. चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए, जिसके बाद गांव वालों में दहशत भर गई.


देश को हिला देने वाली वारदात के बाद तीन जुलाई की सुबह सबसे पहले पुलिस ने विकास दुबे के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था. यहीं से एनकाउंटर पर एनकाउंटर शुरू हुए. इसके बाद हमीरपुर में अमर दुबे और इटावा में प्रवीण दुबे को ढेर किया गया. पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा को भी ढेर कर दिया गया.


विकास दुबे का नौ जुलाई की सुबह उज्जैन में नाटकीय ढंग से सरेंडर हुआ था. एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी तो सचेंडी थाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में विकास मार दिया गया था.



Kanpur News: बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे के मददगार रहे अफसरों पर शासन की नजरें टेढ़ी हो गई है. शासन ने विकास दुबे की मदद करने के आरोप में करीब 2 दर्जन से ज्यादा अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ये अधिकारी ऐसे हैं, जिन्होंने आपराधिक पृष्टभूमि के बाद भी असलहा जारी किए और उनका नवीनीकरण भी कराया. जवाब संतोषजनक न होने पर संबन्धित अफसर के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.


जानकारी के अनुसार, शहर में तैनात रहे एसडीएम समेत दो दर्जन अफसरों को शासन ने नोटिस जारी किया है. इनमें 19 अफसर अन्य जिलों में तैनात हैं, जबकि सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं. माना जा रहा है कि अवैध असलहा लाइसेंस की पड़ताल शुरू होने के बाद ऐसे अफसरों की मुश्किलें बढ़नी तय है.


दरअसल, बिकरू कांड के मुख्य आरोपी रहे विकास दुबे के दोनों असलहा लाइसेंस मुकदमे होने के बाद भी रिन्यू कर दिए गए थे. इसके साथ ही जिले में कई सालों तक असलहा लाइसेंस की जांच को कई अफसर दबाए रहे. बिकरु कांड के बाद जब एसआईटी ने जांच की तो बिल्हौर में तैनात रहे एसडीएम, एडीएम फाइनेंस और एडीएम सिटी को दोषी पाया गया है. उनके खिलाफ एसआईटी ने जांच करके कार्रवाई की संतुष्टि की थी. वहीं, मंडलायुक्त का कहना है कि शासन ने यहां पर तैनात तत्कालीन अफसरों की सूची मांगी थी. शासन को सूची मुहैया करा दी गई थी. अब शासन ने नोटिस भेजे हैं.


बता दें कि 2 जुलाई 2020 की आधी रात 12:45 बजे बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने डीएसपी और एसओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. एक-एक पुलिसकर्मी को दर्जनों गोलियां मारी थीं. पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर आठ दिन के भीतर विकास दुबे समेत छह बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. 45 आरोपी जेल में बंद हैं. केस का ट्रायल जारी है.


दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था. एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई. यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे. घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी. पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उन पर छतों सेे गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं. चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए, जिसके बाद गांव वालों में दहशत भर गई.


देश को हिला देने वाली वारदात के बाद तीन जुलाई की सुबह सबसे पहले पुलिस ने विकास दुबे के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था. यहीं से एनकाउंटर पर एनकाउंटर शुरू हुए. इसके बाद हमीरपुर में अमर दुबे और इटावा में प्रवीण दुबे को ढेर किया गया. पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा को भी ढेर कर दिया गया.


विकास दुबे का नौ जुलाई की सुबह उज्जैन में नाटकीय ढंग से सरेंडर हुआ था. एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी तो सचेंडी थाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में विकास मार दिया गया था.



...
...
...
...
...
...
...
...