माता सत्यवती ने देवव्रत से राजपाट संभालने को कहा तो भीष्म ने फिर कर ली ऐसी प्रतिज्ञा, फिर कैसे आगे बढ़ा वंश:

post

Bhishma Pledge: विचित्र वीर्य विवाह के बाद काम वासना
की गिरफ्त में आ गया और सात वर्षों तक विषय सेवन करते रहने से टीबी रोग से
ग्रस्त हो गया. उसका बहुत इलाज कराया गया किंतु ठीक न हो सका और चल बसा.
इस घटना से भीष्म  को बड़ी ठेस लगी फिर उन्होंने ब्राह्मणों की
सलाह से उसका क्रिया कर्म किया.

माता सत्यवती ने भीष्म से संतान उत्पन्न कर राज्य चलाने को कहा


कुछ दिनों तक तो ऐसे ही चलता रहा फिर सत्यवती  ने वंश रक्षा
को ध्यान में रखते हुए भीष्म को बुला भेजा. उन्होंने भीष्म से कहा कि हे
पुत्र अब धर्म परायण पिता के पिंडदान, राज्य के सुयश और वंश रक्षा का भार
तुम्हारे ऊपर ही है. उन्होंने कहा मैं तुम्हें एक काम सौंपती हूं, जिसे तुम
किसी भी कीमत पर पूरा करो. तुम्हारा भाई विचित्र वीर्य इस लोक में कोई
संतान छोड़े बिना ही परलोक वासी हो गया है. अब तुम काशी नरेश की कन्याओं से
संतान उत्पन्न कर वंश की रक्षा करो. मेरी आज्ञा मानकर तुम्हें यह काम करना
चाहिए. तुम स्वयं राज सिंहासन पर बैठो और प्रजा का पालन करो. केवल माता
सत्यवती ही नहीं, अन्य सगे संबंधियों ने भी इस कार्य की प्रेरणा दी.

भीष्म ने फिर प्रतिज्ञा ली 



माता सत्यवती का सुझाव सुनकर देवव्रत भीष्म बोले माता, आपकी बात
बिल्कुल सही है, किंतु आपको तो मालूम ही है कि आपके विवाह के समय मैने क्या
प्रतिज्ञा की थी. अब मैं पुनः प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं त्रिलोकी का
राज्य, ब्रह्मा का पद और इन दोनों से बढ़कर मोक्ष का भी परित्याग कर दूंगा,
लेकिन सत्य का मार्ग नहीं छोड़ूंगा. यह भूमि गंध छोड़ दे, जल सरसता छोड़
दे, तेज रूप छोड़ दे, वायु स्पर्श छोड़ दे, सूर्य प्रकाश छोड़ दे, अग्नि
उष्णता छोड़ दे, आकाश शब्द छोड़ दे, चंद्रमा शीतलता छोड़ दे, इंद्र अपना बल
पराक्रम छोड़ दें और स्वयं धर्मराज भले ही अपना धर्म छोड़ दें तो भी मैं
अपनी सत्य प्रतिज्ञा छोड़ने का संकल्प नहीं कर सकता हूं.  


सत्यवती ने फिर भीष्म से सलाह लेकर व्यास जी बुलाया और कहा कि तुम विचित्र
वीर्य के क्षेत्र में संतान उत्पन्न करो. उनकी आज्ञा से व्यास ने अम्बिका
से धृतराष्ट्र और अम्बालिका से पांडु को उत्पन्न किया, किंतु माताओं के दोष
के कारण धृतराष्ट्र अंधे और पांडु पीले हो गये, तब अम्बिका की प्रेरणा से
उसकी दासी से व्यास जी ने विदुर को उत्पन्न किया. 



Bhishma Pledge: विचित्र वीर्य विवाह के बाद काम वासना
की गिरफ्त में आ गया और सात वर्षों तक विषय सेवन करते रहने से टीबी रोग से
ग्रस्त हो गया. उसका बहुत इलाज कराया गया किंतु ठीक न हो सका और चल बसा.
इस घटना से भीष्म  को बड़ी ठेस लगी फिर उन्होंने ब्राह्मणों की
सलाह से उसका क्रिया कर्म किया.

माता सत्यवती ने भीष्म से संतान उत्पन्न कर राज्य चलाने को कहा


कुछ दिनों तक तो ऐसे ही चलता रहा फिर सत्यवती  ने वंश रक्षा
को ध्यान में रखते हुए भीष्म को बुला भेजा. उन्होंने भीष्म से कहा कि हे
पुत्र अब धर्म परायण पिता के पिंडदान, राज्य के सुयश और वंश रक्षा का भार
तुम्हारे ऊपर ही है. उन्होंने कहा मैं तुम्हें एक काम सौंपती हूं, जिसे तुम
किसी भी कीमत पर पूरा करो. तुम्हारा भाई विचित्र वीर्य इस लोक में कोई
संतान छोड़े बिना ही परलोक वासी हो गया है. अब तुम काशी नरेश की कन्याओं से
संतान उत्पन्न कर वंश की रक्षा करो. मेरी आज्ञा मानकर तुम्हें यह काम करना
चाहिए. तुम स्वयं राज सिंहासन पर बैठो और प्रजा का पालन करो. केवल माता
सत्यवती ही नहीं, अन्य सगे संबंधियों ने भी इस कार्य की प्रेरणा दी.

भीष्म ने फिर प्रतिज्ञा ली 



माता सत्यवती का सुझाव सुनकर देवव्रत भीष्म बोले माता, आपकी बात
बिल्कुल सही है, किंतु आपको तो मालूम ही है कि आपके विवाह के समय मैने क्या
प्रतिज्ञा की थी. अब मैं पुनः प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं त्रिलोकी का
राज्य, ब्रह्मा का पद और इन दोनों से बढ़कर मोक्ष का भी परित्याग कर दूंगा,
लेकिन सत्य का मार्ग नहीं छोड़ूंगा. यह भूमि गंध छोड़ दे, जल सरसता छोड़
दे, तेज रूप छोड़ दे, वायु स्पर्श छोड़ दे, सूर्य प्रकाश छोड़ दे, अग्नि
उष्णता छोड़ दे, आकाश शब्द छोड़ दे, चंद्रमा शीतलता छोड़ दे, इंद्र अपना बल
पराक्रम छोड़ दें और स्वयं धर्मराज भले ही अपना धर्म छोड़ दें तो भी मैं
अपनी सत्य प्रतिज्ञा छोड़ने का संकल्प नहीं कर सकता हूं.  


सत्यवती ने फिर भीष्म से सलाह लेकर व्यास जी बुलाया और कहा कि तुम विचित्र
वीर्य के क्षेत्र में संतान उत्पन्न करो. उनकी आज्ञा से व्यास ने अम्बिका
से धृतराष्ट्र और अम्बालिका से पांडु को उत्पन्न किया, किंतु माताओं के दोष
के कारण धृतराष्ट्र अंधे और पांडु पीले हो गये, तब अम्बिका की प्रेरणा से
उसकी दासी से व्यास जी ने विदुर को उत्पन्न किया. 



...
...
...
...
...
...
...
...