मृत्‍यु के पहले दिखने लगते हैं यम दूत, आप भी जानना चाहते हैं यह रहस्‍य तो जरूर पढ़ें ये आर्टिक। :

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जीवन का सबसे बड़ा सत्य यही है कि जो बना है उसका नष्‍ट होना तय है।
मनुष्यों में भी जन्म के बाद मृत्यु तय है। मगर मृत्यु के बाद क्या होता
है, यह जानने की इच्छा सभी के मन में होती है। आपने बहुत सारे हिंदू शास्त्रों में पढ़ा होगा कि मृत्यु के बाद स्वर्ग
और नर्क दोनों में से कोई एक स्थान मिलता है। मगर गरुड़ पुराण में मृत्यु
के बाद वास्तव में क्या होता है, इस बारे में विस्तार से बताया है। 


बहुत जल्द ही पितृ पक्ष आने वाले हैं और इसी के साथ अपने पूर्वजों और
पितरों की आत्मा की शांति के लिए लोग अपने-अपने घरों में गरुड़ पुराण का
पाठ कराएंगे। इसलिए आज हमने इस पुराण में मौजूद एक अध्याय, जिसमें बताया
गया है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति कहां जाता है और उसके साथ क्या होता है?
इस विषय पर जानने के लिए हमनें उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष
शर्मा जी से बातचीत की है। 


मनीष जी कहते हैं, 'मृत्‍यु से पहले अंतिम कुछ दिनों में
व्यक्ति को यमदूत नजर आने लगते हैं। यह पहले ही तय हो जाता है कि मृत्यु के
बाद व्यक्ति को कौन से द्वार से ले जाना है और शरीर में से उसके प्राण
कहां से निकलेंगे।'



What Is Death


शरीर से आत्मा कैसे निकलती है? 



यह व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है कि मृत्यु के समय आत्मा शरीर के किस अंग से बाहर निकलेगी। पंडित जी के अनुसार- 


  • यदि व्यक्ति पापी है तो उसकी आत्मा मल और मूत्र द्वार से बाहर निकलती
    है। ऐसे लोगों को यमदूत दक्षिण द्वार से ले जाते हैं, जिसे सबसे खराब माना
    गया है। 
  • जो लोग मोह माया से ग्रसित होते हैं और जीने की बहुत ज्यादा चाह रखते हैं, उनकी मृत्‍यु (शव यात्रा देखना शुभ है या अशुभ)
    जब निकट आती है तो उनके प्राण आंखों से निकलते हैं और आंखों खुली की खुली
    रह जाती हैं। ऐसे लोगों के प्राण यमदूत बलपूर्वक निकालता है और मृत्यु के
    वक्त उन्हें बहुत अधिक पीड़ा होती है। 
  • संत लोगों के प्राण मुंह से निकलते हैं और प्राण निकलते वक्त उनका मुंह टेढ़ा हो जाता है। 
  • मृत्‍यु के वक्त जब व्यक्ति के प्राण नाक से निकलते हैं, तो आवाज आती
    है। धार्मिक लिहाज से इसे शुभ माना गया है। ऐसा तब होता है जब मरने वाला
    व्‍यक्ति अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभा चुका होता है। 



what happens after death


यमलोक द्वार और उनका मतलब जानें 


पंडित जी कहते हैं, 'यह भी व्यक्ति के कर्मों पर निर्धारित करता है कि मृत्यु के बाद वह किस द्वार से यमलोक जाएगा।' 


दक्षिण द्वार- सबसे खराब द्वार माना गया है। यमलोक तक
जाने का सबसे कठिन रास्ता है। जिन लोगों ने जीवन में घोर पाप किए होते हैं,
उन्हीं को यह द्वार पार करके जाना होता है। 


उत्तर द्वार- जो लोग जीवन में माता-पिता की सेवा करते
हैं और बड़ों का आदर करते हैं, उनकी आत्मा को यमदूत उत्‍तर द्वार से ले
जाते हैं और यह यमलोक में प्रवेश करने का सबसे आसान द्वार होता है। 


पूर्व द्वार- जो लोग जीवन-मृत्यु के चक्र से बाहर
निकलकर मोक्ष प्राप्त करते हैं, उन्हें यह द्वारा प्राप्‍त होता है। इस
द्वार पर देवताओं द्वारा आत्मा का स्वागत किया जाता है। 


पश्चिम द्वार- पश्चिम द्वार से भी अच्‍छे लोगों को
स्‍वागत किया जाता है। खासतौर पर जिन लोगों के प्राण किसी की रक्षा करते
हुए या फिर किसी धार्मिक स्थल पर निकले हों, तो उन्हें इस रास्ते से यमलोक
में प्रवेश मिलता है। ऐसे लोगों का जन्‍म बहुत ही अच्छी योनी में होता है। 


journey of the soul after death


कब तक अपने परिवार वालों के साथ ही रहती है आत्मा? 



पंडित जी कहते हैं, 'आत्मा की शांति के लिए 13 दिन तक हिंदू धर्म में
क्रिया का विधान बताया गया है। जिस व्यक्ति के घर वाले इन सारी क्रियाओं को
विधि विधान से नहीं करते हैं, उनकी आत्मा को मरने के बाद भी कष्ट ही मिलता
है और वह नर्ख भोगते हैं।'


इतना ही नहीं, मृत्‍यु के बाद 13 दिन तक व्यक्ति की आत्मा अपने परिवार
वालों के पास ही रहती है और यह देखती है कि उसके परिवार वाले उसकी आत्मा को
शांत करने के लिए विधि से सारे काम कर रहे हैं या नहीं। 


13 दिन बाद ही मृत व्यक्ति की यात्रा यमलोक के लिए शुरू होती है। यमलोक
की यात्रा कितने वक्त में खत्म होगी यह भी व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर
करता है। धार्मिक ग्रंथ गरुड़ पुराण के मुताबिक, जो लोग दक्षिण द्वार से
यमलोक जाते हैं, उन्हें 100 वर्ष भी लग जाते हैं। 


जीवन का सबसे बड़ा सत्य यही है कि जो बना है उसका नष्‍ट होना तय है।
मनुष्यों में भी जन्म के बाद मृत्यु तय है। मगर मृत्यु के बाद क्या होता
है, यह जानने की इच्छा सभी के मन में होती है। आपने बहुत सारे हिंदू शास्त्रों में पढ़ा होगा कि मृत्यु के बाद स्वर्ग
और नर्क दोनों में से कोई एक स्थान मिलता है। मगर गरुड़ पुराण में मृत्यु
के बाद वास्तव में क्या होता है, इस बारे में विस्तार से बताया है। 


बहुत जल्द ही पितृ पक्ष आने वाले हैं और इसी के साथ अपने पूर्वजों और
पितरों की आत्मा की शांति के लिए लोग अपने-अपने घरों में गरुड़ पुराण का
पाठ कराएंगे। इसलिए आज हमने इस पुराण में मौजूद एक अध्याय, जिसमें बताया
गया है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति कहां जाता है और उसके साथ क्या होता है?
इस विषय पर जानने के लिए हमनें उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष
शर्मा जी से बातचीत की है। 


मनीष जी कहते हैं, 'मृत्‍यु से पहले अंतिम कुछ दिनों में
व्यक्ति को यमदूत नजर आने लगते हैं। यह पहले ही तय हो जाता है कि मृत्यु के
बाद व्यक्ति को कौन से द्वार से ले जाना है और शरीर में से उसके प्राण
कहां से निकलेंगे।'



What Is Death


शरीर से आत्मा कैसे निकलती है? 



यह व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है कि मृत्यु के समय आत्मा शरीर के किस अंग से बाहर निकलेगी। पंडित जी के अनुसार- 


  • यदि व्यक्ति पापी है तो उसकी आत्मा मल और मूत्र द्वार से बाहर निकलती
    है। ऐसे लोगों को यमदूत दक्षिण द्वार से ले जाते हैं, जिसे सबसे खराब माना
    गया है। 
  • जो लोग मोह माया से ग्रसित होते हैं और जीने की बहुत ज्यादा चाह रखते हैं, उनकी मृत्‍यु (शव यात्रा देखना शुभ है या अशुभ)
    जब निकट आती है तो उनके प्राण आंखों से निकलते हैं और आंखों खुली की खुली
    रह जाती हैं। ऐसे लोगों के प्राण यमदूत बलपूर्वक निकालता है और मृत्यु के
    वक्त उन्हें बहुत अधिक पीड़ा होती है। 
  • संत लोगों के प्राण मुंह से निकलते हैं और प्राण निकलते वक्त उनका मुंह टेढ़ा हो जाता है। 
  • मृत्‍यु के वक्त जब व्यक्ति के प्राण नाक से निकलते हैं, तो आवाज आती
    है। धार्मिक लिहाज से इसे शुभ माना गया है। ऐसा तब होता है जब मरने वाला
    व्‍यक्ति अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभा चुका होता है। 



what happens after death


यमलोक द्वार और उनका मतलब जानें 


पंडित जी कहते हैं, 'यह भी व्यक्ति के कर्मों पर निर्धारित करता है कि मृत्यु के बाद वह किस द्वार से यमलोक जाएगा।' 


दक्षिण द्वार- सबसे खराब द्वार माना गया है। यमलोक तक
जाने का सबसे कठिन रास्ता है। जिन लोगों ने जीवन में घोर पाप किए होते हैं,
उन्हीं को यह द्वार पार करके जाना होता है। 


उत्तर द्वार- जो लोग जीवन में माता-पिता की सेवा करते
हैं और बड़ों का आदर करते हैं, उनकी आत्मा को यमदूत उत्‍तर द्वार से ले
जाते हैं और यह यमलोक में प्रवेश करने का सबसे आसान द्वार होता है। 


पूर्व द्वार- जो लोग जीवन-मृत्यु के चक्र से बाहर
निकलकर मोक्ष प्राप्त करते हैं, उन्हें यह द्वारा प्राप्‍त होता है। इस
द्वार पर देवताओं द्वारा आत्मा का स्वागत किया जाता है। 


पश्चिम द्वार- पश्चिम द्वार से भी अच्‍छे लोगों को
स्‍वागत किया जाता है। खासतौर पर जिन लोगों के प्राण किसी की रक्षा करते
हुए या फिर किसी धार्मिक स्थल पर निकले हों, तो उन्हें इस रास्ते से यमलोक
में प्रवेश मिलता है। ऐसे लोगों का जन्‍म बहुत ही अच्छी योनी में होता है। 


journey of the soul after death


कब तक अपने परिवार वालों के साथ ही रहती है आत्मा? 



पंडित जी कहते हैं, 'आत्मा की शांति के लिए 13 दिन तक हिंदू धर्म में
क्रिया का विधान बताया गया है। जिस व्यक्ति के घर वाले इन सारी क्रियाओं को
विधि विधान से नहीं करते हैं, उनकी आत्मा को मरने के बाद भी कष्ट ही मिलता
है और वह नर्ख भोगते हैं।'


इतना ही नहीं, मृत्‍यु के बाद 13 दिन तक व्यक्ति की आत्मा अपने परिवार
वालों के पास ही रहती है और यह देखती है कि उसके परिवार वाले उसकी आत्मा को
शांत करने के लिए विधि से सारे काम कर रहे हैं या नहीं। 


13 दिन बाद ही मृत व्यक्ति की यात्रा यमलोक के लिए शुरू होती है। यमलोक
की यात्रा कितने वक्त में खत्म होगी यह भी व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर
करता है। धार्मिक ग्रंथ गरुड़ पुराण के मुताबिक, जो लोग दक्षिण द्वार से
यमलोक जाते हैं, उन्हें 100 वर्ष भी लग जाते हैं। 


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