अन्य post authorJournalist खबरीलाल LAST UPDATED ON:Friday ,December 02,2022

24 घंटे पहरे में रहने वाला वो ‘फल’ जिसके लिए शाहजहां ने औरंगजेब को फटकार लगाई थी:

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भारत में जितने भी मुगलों
ने शासन किया उसमें से औरंगजेब एकमात्र ऐसा बादशाह रहा जो भारतीयों के
दिलों में जगह बनाने में नाकामयाब रहा. उसकी छवि क्रूर शासक, हिन्दुओं से
नफरत करने वाला और धार्मिक उन्माद से भरे बादशाह की रही है. एक ऐसा बादशाह
जो अपने राजनीतिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. वो
बादशाह जो पिता को कैद और दारा शिकोह की हत्या करने से भी पीछे नहीं चूका.


औरंगजेब के सोचने और काम करने का तरीका उसकी पिछली पीढ़ियों से
बिल्कुल भी नहीं मिलता था, लेकिन खानपान के मामले में वह काफी हद तक अपने
पिता शाहजहां पर गया था.


आम से शुरू हुई प्रेम कहानी


खानपान के मामलों में औरंगजेब को सबसे ज्यादा लगाव आम से था. इस
आम का कनेक्शन उसकी प्रेम कहानी से भी था. इतिहासकार कैथरीन ब्राउन ने अपने
एक लेख ‘डिड औरंगज़ेब बैन म्यूज़िक?’ में लिखा, एक बार औरंगजेब अपनी मौसी
के बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) स्थित घर गया. यहां उसकी नजर हीराबाई जैनाबादी
नाम की नर्तकी पर पड़ह. औरंगजेब ने जब पहली बार हीराबाई को देखा तो वो आम
तोड़ रही थी. पहली बार उसे देखते ही वो मर मिटे. औरंगजेब के सिर पर इस कदर
उसके इश्क का भूत सवार हुआ कि सबकुछ छोड़ने के लिए राजी हो गए.


यहां तक कि कभी शराब न पीने की कसम को तोड़ने का मन बना लिया था.
औरंगजेब शराब को पीने ही वाले थे कि हीराबाई ने उसे रोक दिया. करीब एक साल
चली इस प्रेम कहानी में हीराबाई की मौत हो गई और उसे औरंगबाद में उसे दफना
दिया गया. इस घटना ने औरंगजेब के मन में आम के प्रति चाह को और भी बढ़ाया.


औरंगजेब ने आम के नाम रखे


औरंगजेब ने आम के एक किस्से का जिक्र अपनी किताब
‘रुकात-ए-आलमगीरी’ में किया है. इस किताब का अनुवाद करने वाले जमशीद
बिलिमोरिया लिखते हैं, बाबर से लेकर मुगलों की बाद की पीढ़ियों तक सभी को
आम से विशेष लगाव रहा है. औरंगजेब जब दक्षिण में थे तो उन्हें सबसे ज्यादा
आमों की कमी खलती थी. बादशाह अपने दरबारियों से खास आमों की फरमाइश करता था
औीर उनसे आमों की खेप भेजने का कहता था. औरंगजेब को आम से कितना लगाव था
उसे इस बात से समझा जा सकता है कि उसने आमों की दो दिलचस्प वैरायटी के नाम
खुद रखे रखे थे. वो नाम थे सुधारस और रसनाबिलास.


आम के लिए शाहजहां ने औरंगजेब को लगाई थी डांट


आम को लेकर शाहजहां और बेटे औरंगजेब की पसंद एक जैसी रही थी.
दक्कन में दो आम के ऐसे पेड़ थे जिसकी वैरायटी दोनों को काफी पसंद थी. यही
वजह थी कि उन आमों को काफी खास माना जाता था, जिसकी देखभाल कई सैनिक 24
घंटे करते थे. एक सीजन ऐसा भी आया जब आमों की पैदावार कम हुई तो शाहजहां को
कम आम भेजे गए गए. उस घटना पर शााहजहां ने नाराजगी जताते हुए औरंगजेब को
डांट लगाई थी.


आइन-ए-अकबरी के मुताबिक, उस दौर में गर्मियों में दो महीने आम
काफी संख्या में मिलते थे, लेकिन जो आम दिल्ली में उगाया जाता था वो स्वाद
में काफी अलग होता था. उस दौर में बंगाल और गोलकुंडा से आने वाले आमों को
सबसे अच्छा माना जाता था.


भारत में जितने भी मुगलों
ने शासन किया उसमें से औरंगजेब एकमात्र ऐसा बादशाह रहा जो भारतीयों के
दिलों में जगह बनाने में नाकामयाब रहा. उसकी छवि क्रूर शासक, हिन्दुओं से
नफरत करने वाला और धार्मिक उन्माद से भरे बादशाह की रही है. एक ऐसा बादशाह
जो अपने राजनीतिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. वो
बादशाह जो पिता को कैद और दारा शिकोह की हत्या करने से भी पीछे नहीं चूका.


औरंगजेब के सोचने और काम करने का तरीका उसकी पिछली पीढ़ियों से
बिल्कुल भी नहीं मिलता था, लेकिन खानपान के मामले में वह काफी हद तक अपने
पिता शाहजहां पर गया था.


आम से शुरू हुई प्रेम कहानी


खानपान के मामलों में औरंगजेब को सबसे ज्यादा लगाव आम से था. इस
आम का कनेक्शन उसकी प्रेम कहानी से भी था. इतिहासकार कैथरीन ब्राउन ने अपने
एक लेख ‘डिड औरंगज़ेब बैन म्यूज़िक?’ में लिखा, एक बार औरंगजेब अपनी मौसी
के बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) स्थित घर गया. यहां उसकी नजर हीराबाई जैनाबादी
नाम की नर्तकी पर पड़ह. औरंगजेब ने जब पहली बार हीराबाई को देखा तो वो आम
तोड़ रही थी. पहली बार उसे देखते ही वो मर मिटे. औरंगजेब के सिर पर इस कदर
उसके इश्क का भूत सवार हुआ कि सबकुछ छोड़ने के लिए राजी हो गए.


यहां तक कि कभी शराब न पीने की कसम को तोड़ने का मन बना लिया था.
औरंगजेब शराब को पीने ही वाले थे कि हीराबाई ने उसे रोक दिया. करीब एक साल
चली इस प्रेम कहानी में हीराबाई की मौत हो गई और उसे औरंगबाद में उसे दफना
दिया गया. इस घटना ने औरंगजेब के मन में आम के प्रति चाह को और भी बढ़ाया.


औरंगजेब ने आम के नाम रखे


औरंगजेब ने आम के एक किस्से का जिक्र अपनी किताब
‘रुकात-ए-आलमगीरी’ में किया है. इस किताब का अनुवाद करने वाले जमशीद
बिलिमोरिया लिखते हैं, बाबर से लेकर मुगलों की बाद की पीढ़ियों तक सभी को
आम से विशेष लगाव रहा है. औरंगजेब जब दक्षिण में थे तो उन्हें सबसे ज्यादा
आमों की कमी खलती थी. बादशाह अपने दरबारियों से खास आमों की फरमाइश करता था
औीर उनसे आमों की खेप भेजने का कहता था. औरंगजेब को आम से कितना लगाव था
उसे इस बात से समझा जा सकता है कि उसने आमों की दो दिलचस्प वैरायटी के नाम
खुद रखे रखे थे. वो नाम थे सुधारस और रसनाबिलास.


आम के लिए शाहजहां ने औरंगजेब को लगाई थी डांट


आम को लेकर शाहजहां और बेटे औरंगजेब की पसंद एक जैसी रही थी.
दक्कन में दो आम के ऐसे पेड़ थे जिसकी वैरायटी दोनों को काफी पसंद थी. यही
वजह थी कि उन आमों को काफी खास माना जाता था, जिसकी देखभाल कई सैनिक 24
घंटे करते थे. एक सीजन ऐसा भी आया जब आमों की पैदावार कम हुई तो शाहजहां को
कम आम भेजे गए गए. उस घटना पर शााहजहां ने नाराजगी जताते हुए औरंगजेब को
डांट लगाई थी.


आइन-ए-अकबरी के मुताबिक, उस दौर में गर्मियों में दो महीने आम
काफी संख्या में मिलते थे, लेकिन जो आम दिल्ली में उगाया जाता था वो स्वाद
में काफी अलग होता था. उस दौर में बंगाल और गोलकुंडा से आने वाले आमों को
सबसे अच्छा माना जाता था.


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