होर्मोन इम्बैलेंस से रहते हैं परेशान तो रोजाना करें शीर्षासन:

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नई दिल्लीहार्मोन्स
में थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने पर उसका सीधा असर व्यक्ति की भूख, नींद और तनाव
के स्तर पर दिखने लगता है। हार्मोन्स में गड़बड़ी या असंतुलन का मतलब है
कि शरीर में या तो कोई हार्मोन ज्यादा बन रहा होता है या फिर बहुत कम।
हार्मोन्स के असंतुलन की वजह से मूड में उतार-चढ़ाव, सूजन, मेनोपॉज,
नपुंसकता, छोटा कद, दुबलापन, मेटाबॉलिज्म में असंतुलन और मुंहासे आदि
समस्याएं देखी जा सकती हैं। वास्तव में हार्मोन्स सभी शारीरिक एवं मानसिक
गतिविधियों को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। यही वजह है कि इस समस्या
को समय रहते ठीक करना जरूरी होता है। जिसमें शीर्षासन आपकी मदद कर सकता है।
आइए जानते हैं क्या है शीर्षासन करने का सही तरीका और सावधानियां।  

क्या होते हैं हार्मोन्स-

हार्मोन्स एंडोक्राइन ग्रंथि से बनने वाले ऐसे रसायन होते हैं, जो खून के
जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंच कर उन्हें अलग-अलग कार्यों के लिए एक
संदेशवाहक के रूप में निर्देश देते हैं। हार्मोन्स की छोटी सी मात्रा के
घटने-बढ़ने भर से ही शरीर की कोशिकाओं का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता
है। मानव शरीर में कुल 230 हार्मोन्स होते हैं। कई हार्मोन, दूसरे
हार्मोन्स के निर्माण और स्राव को भी काबू रखते हैं। उम्र, तनाव की अधिकता,
अस्वस्थ जीवनशैली, स्टेरॉएड दवाओं का अधिक सेवन, ज्यादा वजन या कुछ खास
दवाओं के कारण हार्मोन्स के स्तर में गड़बड़ी हो सकती है।

कैसे करें शीर्षासन- 

शीर्षासन करने के लिए आपको सबसे पहले किसी चद्दर या मेट को सपाट जगह पर
बिछाकर वज्रासन में बैठना चाहिए। आप इस तरह से बैठें की आगे की ओर झुकने के
लिए आपके पास भरपूर जगह हो।

वज्रासन में बैठकर आप दोनों कोहनियों को जमीन पर टिकाकर दोनों हाथों की
अंगुलियों को आपस में मिला लें। दोनों हाथों की अंगुलियों को मिलाकर आपकी
हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए जिससे आप अपने सिर को हथेलियों का सहारा दे
सकें। धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हए अपने सिर को हथेलियों पर रखें और सांस
सामान्य रखें। फिर धीरे-धीरे अपने सिर पर शरीर का भार आने दें। इस स्थिति
में आकर आपको अपने पैरों को आसमान की ओर उठाना है ठीक इस तरह से जैसे आप
सीधें पैरों के बल खड़े होते हैं वैसे ही आप उल्टा सिर के बल खड़े हैं। कुछ
देर इसी स्थिती में रहें और फिर सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं।

शीर्षासन करते हुए ध्यान रखें ये सावधानियां-

-शीर्षासन का अभ्यास पहली बार किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। 

-अस्वस्थ महसूस करने पर शीर्षासन करने से बचना चाहिए।

-शुरूआत में शीर्षासन का अभ्यास करते समय आप दीवार का सहारा भी ले सकते हैं।

-आपका रक्तचाप बहुत अधिक बढ़ा रहता है तो आपको शीर्षासन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

-आपको सर्वाइकल की समस्या है या फिर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आपको शीर्षासन नहीं करना चाहिए।


नई दिल्लीहार्मोन्स
में थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने पर उसका सीधा असर व्यक्ति की भूख, नींद और तनाव
के स्तर पर दिखने लगता है। हार्मोन्स में गड़बड़ी या असंतुलन का मतलब है
कि शरीर में या तो कोई हार्मोन ज्यादा बन रहा होता है या फिर बहुत कम।
हार्मोन्स के असंतुलन की वजह से मूड में उतार-चढ़ाव, सूजन, मेनोपॉज,
नपुंसकता, छोटा कद, दुबलापन, मेटाबॉलिज्म में असंतुलन और मुंहासे आदि
समस्याएं देखी जा सकती हैं। वास्तव में हार्मोन्स सभी शारीरिक एवं मानसिक
गतिविधियों को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। यही वजह है कि इस समस्या
को समय रहते ठीक करना जरूरी होता है। जिसमें शीर्षासन आपकी मदद कर सकता है।
आइए जानते हैं क्या है शीर्षासन करने का सही तरीका और सावधानियां।  

क्या होते हैं हार्मोन्स-

हार्मोन्स एंडोक्राइन ग्रंथि से बनने वाले ऐसे रसायन होते हैं, जो खून के
जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंच कर उन्हें अलग-अलग कार्यों के लिए एक
संदेशवाहक के रूप में निर्देश देते हैं। हार्मोन्स की छोटी सी मात्रा के
घटने-बढ़ने भर से ही शरीर की कोशिकाओं का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता
है। मानव शरीर में कुल 230 हार्मोन्स होते हैं। कई हार्मोन, दूसरे
हार्मोन्स के निर्माण और स्राव को भी काबू रखते हैं। उम्र, तनाव की अधिकता,
अस्वस्थ जीवनशैली, स्टेरॉएड दवाओं का अधिक सेवन, ज्यादा वजन या कुछ खास
दवाओं के कारण हार्मोन्स के स्तर में गड़बड़ी हो सकती है।

कैसे करें शीर्षासन- 

शीर्षासन करने के लिए आपको सबसे पहले किसी चद्दर या मेट को सपाट जगह पर
बिछाकर वज्रासन में बैठना चाहिए। आप इस तरह से बैठें की आगे की ओर झुकने के
लिए आपके पास भरपूर जगह हो।

वज्रासन में बैठकर आप दोनों कोहनियों को जमीन पर टिकाकर दोनों हाथों की
अंगुलियों को आपस में मिला लें। दोनों हाथों की अंगुलियों को मिलाकर आपकी
हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए जिससे आप अपने सिर को हथेलियों का सहारा दे
सकें। धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हए अपने सिर को हथेलियों पर रखें और सांस
सामान्य रखें। फिर धीरे-धीरे अपने सिर पर शरीर का भार आने दें। इस स्थिति
में आकर आपको अपने पैरों को आसमान की ओर उठाना है ठीक इस तरह से जैसे आप
सीधें पैरों के बल खड़े होते हैं वैसे ही आप उल्टा सिर के बल खड़े हैं। कुछ
देर इसी स्थिती में रहें और फिर सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं।

शीर्षासन करते हुए ध्यान रखें ये सावधानियां-

-शीर्षासन का अभ्यास पहली बार किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। 

-अस्वस्थ महसूस करने पर शीर्षासन करने से बचना चाहिए।

-शुरूआत में शीर्षासन का अभ्यास करते समय आप दीवार का सहारा भी ले सकते हैं।

-आपका रक्तचाप बहुत अधिक बढ़ा रहता है तो आपको शीर्षासन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

-आपको सर्वाइकल की समस्या है या फिर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आपको शीर्षासन नहीं करना चाहिए।


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