विश्व चाय दिवस आज, अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस की शुरुआत 15 December 2005 को दिल्ली से हुई थी:

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रायपुर. खूबसूरत वादियों से घिरा छत्तीसगढ़ का सरगुजा
अपनी कुदरती सुंदरता के लिए पहले से ही मशहूर रहा है. इस पर चार चांद लगाती
है ऊंची-ऊंची पहाडिय़ों पर बिछी हरियाली की चादर पर्यटकों का मन मोह लेती
है. बात जब चाय बागान घूमने की आती है तब पर्यटक असम और दार्जिलिंग का रुख
करते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की पहल का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ की चाय
की खेती ने दुनिया का अपनी ओर ध्यान खींचा हैं. धान की खेती के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ की चर्चा अब चाय की खेती को लेकर भी
होने लगी है. दरअसल राज्य के सरगुजा अंचल के जशपुर जिले में छत्तीसगढ़
सरकार ने चाय का बागान स्थापित किया है, जिसके साथ ही यहां अन्य प्लांट भी
संचालित है. यहां की चाय का बेमिसाल स्वाद बाजार में बेहद पसंद किया जा रहा
है

पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है चाय बागान


जशपुर जिला मुख्यालय से तीन किमी की दूरी पर पहाड़ी और जंगल के बीच
स्थित सारूडीह चाय बागान एक पर्यटन स्थल के रूप में भी लोकप्रिय होता जा
रहा है. यहां रोजना बड़ी संख्या में लोग चाय बागान देखने पहुंचते हैं.
दोनों जगहों पर ग्रीन टी और सीटीसी चाय का उत्पादन हो रहा है. जशपुर की चाय
अन्य राज्यों की तुलना में काफी अ’छी बताई जा रही है.


दूसरे राज्यों में हो रही सप्लाई


जशपुर के सारूडीह में उत्पादन होने वाली चाय छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य कई
राज्यों में भी सप्लाई की जा रही है. ये चाय सारूडीह के नाम से बाजारों
में बिक रही है. चाय बागान से जिले की एक विशेष पहचान स्थापित हो चुकी है.
यही नहीं चाय बागान को देखने दूर-दूर से पर्यटक जशपुर पहुंच रहे हैं.


कैसे शुरू हुई चाय की खेती


जशपुर के सोगड़ा आश्रम में सबसे पहले चाय की खेती शुरू हुई. आश्रम से
संत गुरुपद संभव राम ने जशपुर के वातावरण को देखते हुए चाय की खेती की
योजना बनाई और टी एक्सपर्ट को जशपुर बुलाया. परीक्षण के बाद टी एक्सपर्ट ने
पाया कि यहां मिट्टी और जलवायु दोनों चाय की खेती के अनुकूल हैं. सोगड़ा
आश्रम में सबसे पहले 5 एकड़ में चाय की खेती शुरू हुईं और चाय का सफल
उत्पादन भी किया जाने लगा.


इंटरनेशनल टी डे का इतिहास


अभी हर साल 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है. साल
2004 में मुंबई में व्यापार संघों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक हुई.
उसमें अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का फैसला किया गया. पहली बार
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 15 दिसंबर, 2005 को मनाया गया था. देश के पांच
प्रमुख चाय उत्पादक देश चीन, भारत, केन्या, वियतनाम और श्रीलंका के अलावा
मलावी, तंजानिया, बांग्लादेश, यूगांडा, इंडोनेशिया और मलयेशिया में
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है.


रायपुर. खूबसूरत वादियों से घिरा छत्तीसगढ़ का सरगुजा
अपनी कुदरती सुंदरता के लिए पहले से ही मशहूर रहा है. इस पर चार चांद लगाती
है ऊंची-ऊंची पहाडिय़ों पर बिछी हरियाली की चादर पर्यटकों का मन मोह लेती
है. बात जब चाय बागान घूमने की आती है तब पर्यटक असम और दार्जिलिंग का रुख
करते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की पहल का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ की चाय
की खेती ने दुनिया का अपनी ओर ध्यान खींचा हैं. धान की खेती के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ की चर्चा अब चाय की खेती को लेकर भी
होने लगी है. दरअसल राज्य के सरगुजा अंचल के जशपुर जिले में छत्तीसगढ़
सरकार ने चाय का बागान स्थापित किया है, जिसके साथ ही यहां अन्य प्लांट भी
संचालित है. यहां की चाय का बेमिसाल स्वाद बाजार में बेहद पसंद किया जा रहा
है

पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है चाय बागान


जशपुर जिला मुख्यालय से तीन किमी की दूरी पर पहाड़ी और जंगल के बीच
स्थित सारूडीह चाय बागान एक पर्यटन स्थल के रूप में भी लोकप्रिय होता जा
रहा है. यहां रोजना बड़ी संख्या में लोग चाय बागान देखने पहुंचते हैं.
दोनों जगहों पर ग्रीन टी और सीटीसी चाय का उत्पादन हो रहा है. जशपुर की चाय
अन्य राज्यों की तुलना में काफी अ’छी बताई जा रही है.


दूसरे राज्यों में हो रही सप्लाई


जशपुर के सारूडीह में उत्पादन होने वाली चाय छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य कई
राज्यों में भी सप्लाई की जा रही है. ये चाय सारूडीह के नाम से बाजारों
में बिक रही है. चाय बागान से जिले की एक विशेष पहचान स्थापित हो चुकी है.
यही नहीं चाय बागान को देखने दूर-दूर से पर्यटक जशपुर पहुंच रहे हैं.


कैसे शुरू हुई चाय की खेती


जशपुर के सोगड़ा आश्रम में सबसे पहले चाय की खेती शुरू हुई. आश्रम से
संत गुरुपद संभव राम ने जशपुर के वातावरण को देखते हुए चाय की खेती की
योजना बनाई और टी एक्सपर्ट को जशपुर बुलाया. परीक्षण के बाद टी एक्सपर्ट ने
पाया कि यहां मिट्टी और जलवायु दोनों चाय की खेती के अनुकूल हैं. सोगड़ा
आश्रम में सबसे पहले 5 एकड़ में चाय की खेती शुरू हुईं और चाय का सफल
उत्पादन भी किया जाने लगा.


इंटरनेशनल टी डे का इतिहास


अभी हर साल 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है. साल
2004 में मुंबई में व्यापार संघों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक हुई.
उसमें अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का फैसला किया गया. पहली बार
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 15 दिसंबर, 2005 को मनाया गया था. देश के पांच
प्रमुख चाय उत्पादक देश चीन, भारत, केन्या, वियतनाम और श्रीलंका के अलावा
मलावी, तंजानिया, बांग्लादेश, यूगांडा, इंडोनेशिया और मलयेशिया में
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है.


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