मुफ्त में मिलता रहेगा गरीबों को गेहूं, सरकार ने कहा- स्टॉक घटा, लेकिन कमी नहीं:

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नई दिल्ली. भारत के सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक अगले महीने की शुरुआत में मौजूदा स्तर से लगभग 13% गिर जाएगा। हालांकि, केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों और खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि देश की कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनाज की कमी नहीं होगी। इसके लिए सरकार के स्टॉक में प्रयाप्त गेहूं है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दिसंबर में सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक बीते छह साल की तुलना में सबसे कम है। बढ़ती मांग के कारण कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। आपको बता दें कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। इसने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
एक सरकारी बयान के अनुसार, देश के सरकारी गोदामों में 1 जनवरी तक लगभग 1.59 करोड़ टन गेहूं उपलब्ध होगा। सरकार को बफर स्टॉक के लिए 1.38 करोड़ टन  गेहूं की जरूरत है। अभी सरकार के पास लगभग 1.82 करोड़ टन गेहूं उपलब्ध है।
सरकार ने कहा कि पिछले साल की तुलना में गेहूं की फसल की बुवाई में काफी वृद्धि हुई है। इसके कारण अप्रैल से शुरू होने वाले अगले खरीद सीजन में स्टॉक बढ़ जाएगा।
बयान में कहा गया है, "भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि देश भर में सभी कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है और कीमतें नियंत्रण में हैं।"
यह बयान ऐसे समय में आया है जब पैदावार में गिरावट के कारण देश में गेहूं की कीमतों में उछाल देखा गया है। सरकार ने इसके लिए पिछले सीजन में कम उत्पादन को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि किसानों ने राज्य की गारंटी वाली कीमतों से अधिक कीमत पर फसल को खुले बाजार में बेच दिया है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी भंडारों में गेहूं का भंडार एक साल पहले के 37.85 मिलियन टन से गिरकर 1 दिसंबर को 1.9 करोड़ टन हो गया। 2016 में आखिरी बार दिसंबर महीने में स्टॉक इतना कम था। जब पिछले दो वर्षों में सूखे ने गेहूं के उत्पादन को प्रभावित किया था।


नई दिल्ली. भारत के सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक अगले महीने की शुरुआत में मौजूदा स्तर से लगभग 13% गिर जाएगा। हालांकि, केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों और खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि देश की कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनाज की कमी नहीं होगी। इसके लिए सरकार के स्टॉक में प्रयाप्त गेहूं है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दिसंबर में सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक बीते छह साल की तुलना में सबसे कम है। बढ़ती मांग के कारण कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। आपको बता दें कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। इसने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
एक सरकारी बयान के अनुसार, देश के सरकारी गोदामों में 1 जनवरी तक लगभग 1.59 करोड़ टन गेहूं उपलब्ध होगा। सरकार को बफर स्टॉक के लिए 1.38 करोड़ टन  गेहूं की जरूरत है। अभी सरकार के पास लगभग 1.82 करोड़ टन गेहूं उपलब्ध है।
सरकार ने कहा कि पिछले साल की तुलना में गेहूं की फसल की बुवाई में काफी वृद्धि हुई है। इसके कारण अप्रैल से शुरू होने वाले अगले खरीद सीजन में स्टॉक बढ़ जाएगा।
बयान में कहा गया है, "भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि देश भर में सभी कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है और कीमतें नियंत्रण में हैं।"
यह बयान ऐसे समय में आया है जब पैदावार में गिरावट के कारण देश में गेहूं की कीमतों में उछाल देखा गया है। सरकार ने इसके लिए पिछले सीजन में कम उत्पादन को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि किसानों ने राज्य की गारंटी वाली कीमतों से अधिक कीमत पर फसल को खुले बाजार में बेच दिया है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी भंडारों में गेहूं का भंडार एक साल पहले के 37.85 मिलियन टन से गिरकर 1 दिसंबर को 1.9 करोड़ टन हो गया। 2016 में आखिरी बार दिसंबर महीने में स्टॉक इतना कम था। जब पिछले दो वर्षों में सूखे ने गेहूं के उत्पादन को प्रभावित किया था।


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