BBC डॉक्यूमेंट्री पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस:

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से
संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाए जाने पर केंद्र सरकार को
नोटिस जारी कर तीन हफ्तों में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली
सुनवाई अप्रैल में करेगा.


गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई बीबीसी की
डॉक्यूमेंट्री को केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है. केंद्र के फैसले
के खिलाफ एन राम, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एडवोकेट एमएल शर्मा ने
सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की है. इस पर आज जस्टिस संजीव खन्ना और
एमएम सुंदरेश की पीठ ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया
है.


एडवोकेट एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री
‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रतिबंध के फैसले को दुर्भावनापूर्ण और
असंवैधानिक बताया था. वहीं केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर बैन के साथ ही
इसके लिंक शेयर करने वाले ट्वीट पर हटवा दिया है. इन ट्वीट्स को हटाने के
फैसले को वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वकील प्रशांत भूषण ने एक अन्य याचिका
दायर की है.


क्या है डॉक्यूमेंट्री पर विवाद


बीबीसी ने इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम से दो पार्ट की एक डॉक्यूमेंट्री
बनाई है. इस डॉक्यूमेंट्री के पहले पार्ट के आते ही यह विवादों में घिर गई
थी. इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र
मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे. डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि
यह गुजरात दंगों के दौरान की गई कुछ पहलुओं की जांच रिपोर्ट का हिस्सा है.
वहीं केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा बताया है.


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से
संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाए जाने पर केंद्र सरकार को
नोटिस जारी कर तीन हफ्तों में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली
सुनवाई अप्रैल में करेगा.


गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई बीबीसी की
डॉक्यूमेंट्री को केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है. केंद्र के फैसले
के खिलाफ एन राम, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एडवोकेट एमएल शर्मा ने
सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की है. इस पर आज जस्टिस संजीव खन्ना और
एमएम सुंदरेश की पीठ ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया
है.


एडवोकेट एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री
‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रतिबंध के फैसले को दुर्भावनापूर्ण और
असंवैधानिक बताया था. वहीं केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर बैन के साथ ही
इसके लिंक शेयर करने वाले ट्वीट पर हटवा दिया है. इन ट्वीट्स को हटाने के
फैसले को वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वकील प्रशांत भूषण ने एक अन्य याचिका
दायर की है.


क्या है डॉक्यूमेंट्री पर विवाद


बीबीसी ने इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम से दो पार्ट की एक डॉक्यूमेंट्री
बनाई है. इस डॉक्यूमेंट्री के पहले पार्ट के आते ही यह विवादों में घिर गई
थी. इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र
मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे. डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि
यह गुजरात दंगों के दौरान की गई कुछ पहलुओं की जांच रिपोर्ट का हिस्सा है.
वहीं केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा बताया है.


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