अडानी ग्रुप के लिए एक और बुरी खबर - चेन्नई में कंपनी के ऑयल स्टोरेज टैंक और पाइपलाइन को तोड़ा जाएगा:

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भारत के बड़े उद्योगपतियों में से एक गौतम अदानी के बहुत मुश्किल भरे दिन चल रहे हैं। व्यवसायिक सर्वे की कंपनी हिंडेनबर्ग की अदानी कंपनी के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से ही अडानी ग्रुप की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। एक तरफ कंपनी के शेयर्स में लगातार गिरावट हो रही है, तो दूसरी तरफ कंपनी को 20 हजार करोड़ का FPO भी वापस लेना पड़ा अब अदानी के एक टैंक और पाइप तोड़ने का आदेश एनजीटी ने दिया है।

चेन्नई में कंपनी के ऑयल स्टोरेज टैंक और पाइपलाइन को तोड़ा जाएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश पर मुहर लगाते हुए काम को 6 महीने में पूरा करने को कहा है।

चेन्नई पोर्ट से 4 किलोमीटर दूर एन्नोर एक्सप्रेसवे पर KTV ऑयल मिल्स और KTV फूड्स ने ऑयल स्टोरेज टैंक और पाइपलाइन का निर्माण किया था। ये दोनों कंपनियां KTV ग्रुप और अडानी विल्मर का जॉइंट वेंचर है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत से पहले पर्यावरण मंत्रालय से कॉस्टल रेगुलेशन जोन का क्लियरेंस नहीं लिया था। इसके खिलाफ मछुआरों के लिए काम करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने NGT में शिकायत की थी।

कॉस्टल रेगुलेशन जोन नोटिफिकेशन, 2011 के मुताबिक, तेल को स्टोर करने के लिए स्टोरेज फैसिलिटी नोटिफाइड एरिया में ही होनी चाहिए। नोटिफाइड एरिया यानी इस काम के लिए समुद्र तट के पास का निर्धारित किया गया इलाका।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 2015 में जब टैंक और पाइपलाइन का निर्माण शुरू हुआ, तो कंपनी के पास कॉस्टल रेगुलेशन जोन का क्लियरेंस नहीं था. मामला जब NGT के पास पहुंचा तो पर्यावरण मंत्रालय ने एक एक्सपर्ट पैनल का गठन किया. 2017 में पैनल ने प्रोजेक्ट को क्लियरेंस देने की सिफारिश की। कहा गया कि कॉस्टल रेगुलेशन जोन नोटिफिकेशन, 2011 में प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद अप्रूवल के लिए स्पष्ट नियम नहीं हैं। हालांकि, एक्सपर्ट पैनल की सिफारिश के बाद भी मंत्रालय की ओर से परमिशन नहीं मिली. 2018 में मंत्रालय ने कॉस्टल रेगुलेशन जोन नोटिफिकेशन, 2011 में ही संशोधन करते हुए प्रोजेक्ट अप्रूव कर दिया. कंपनी को कहा गया कि वो तमिलनाडु कॉस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी से एक अनुमति पत्र ले ले, जिसके बाद प्रोजेक्ट मंजूर हो गया।

2020 में NGT ने लगाई थी फटकार :: इस मामले में NGT ने 30 सितंबर 2020 को फैसला सुनाया था। जस्टिस के रामकृष्णन और एक एक्सपर्ट सैबल दासगुप्ता की बेंच ने प्रोजेक्ट को रद्द करते हुए कहा था कि प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद मंजूरी देना गैरकानूनी है और नियम-कायदों की गलत व्याख्या की गई. NGT ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय के एक्सपर्ट पैनल को प्रोजेक्ट मंजूर करने की सलाह नहीं देनी चाहिए थी। इसके साथ ही NGT ने कंपनी पर 25 लाख का जुर्माना लगाते हुए 3 महीने में जगह खाली करने का आदेश दिया. तमिलनाडु कॉस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी को कहा गया कि कंपनी अगर ऐसा नहीं करती है, तो वो खुद जगह खाली करवाए।


भारत के बड़े उद्योगपतियों में से एक गौतम अदानी के बहुत मुश्किल भरे दिन चल रहे हैं। व्यवसायिक सर्वे की कंपनी हिंडेनबर्ग की अदानी कंपनी के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से ही अडानी ग्रुप की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। एक तरफ कंपनी के शेयर्स में लगातार गिरावट हो रही है, तो दूसरी तरफ कंपनी को 20 हजार करोड़ का FPO भी वापस लेना पड़ा अब अदानी के एक टैंक और पाइप तोड़ने का आदेश एनजीटी ने दिया है।

चेन्नई में कंपनी के ऑयल स्टोरेज टैंक और पाइपलाइन को तोड़ा जाएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश पर मुहर लगाते हुए काम को 6 महीने में पूरा करने को कहा है।

चेन्नई पोर्ट से 4 किलोमीटर दूर एन्नोर एक्सप्रेसवे पर KTV ऑयल मिल्स और KTV फूड्स ने ऑयल स्टोरेज टैंक और पाइपलाइन का निर्माण किया था। ये दोनों कंपनियां KTV ग्रुप और अडानी विल्मर का जॉइंट वेंचर है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत से पहले पर्यावरण मंत्रालय से कॉस्टल रेगुलेशन जोन का क्लियरेंस नहीं लिया था। इसके खिलाफ मछुआरों के लिए काम करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने NGT में शिकायत की थी।

कॉस्टल रेगुलेशन जोन नोटिफिकेशन, 2011 के मुताबिक, तेल को स्टोर करने के लिए स्टोरेज फैसिलिटी नोटिफाइड एरिया में ही होनी चाहिए। नोटिफाइड एरिया यानी इस काम के लिए समुद्र तट के पास का निर्धारित किया गया इलाका।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 2015 में जब टैंक और पाइपलाइन का निर्माण शुरू हुआ, तो कंपनी के पास कॉस्टल रेगुलेशन जोन का क्लियरेंस नहीं था. मामला जब NGT के पास पहुंचा तो पर्यावरण मंत्रालय ने एक एक्सपर्ट पैनल का गठन किया. 2017 में पैनल ने प्रोजेक्ट को क्लियरेंस देने की सिफारिश की। कहा गया कि कॉस्टल रेगुलेशन जोन नोटिफिकेशन, 2011 में प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद अप्रूवल के लिए स्पष्ट नियम नहीं हैं। हालांकि, एक्सपर्ट पैनल की सिफारिश के बाद भी मंत्रालय की ओर से परमिशन नहीं मिली. 2018 में मंत्रालय ने कॉस्टल रेगुलेशन जोन नोटिफिकेशन, 2011 में ही संशोधन करते हुए प्रोजेक्ट अप्रूव कर दिया. कंपनी को कहा गया कि वो तमिलनाडु कॉस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी से एक अनुमति पत्र ले ले, जिसके बाद प्रोजेक्ट मंजूर हो गया।

2020 में NGT ने लगाई थी फटकार :: इस मामले में NGT ने 30 सितंबर 2020 को फैसला सुनाया था। जस्टिस के रामकृष्णन और एक एक्सपर्ट सैबल दासगुप्ता की बेंच ने प्रोजेक्ट को रद्द करते हुए कहा था कि प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद मंजूरी देना गैरकानूनी है और नियम-कायदों की गलत व्याख्या की गई. NGT ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय के एक्सपर्ट पैनल को प्रोजेक्ट मंजूर करने की सलाह नहीं देनी चाहिए थी। इसके साथ ही NGT ने कंपनी पर 25 लाख का जुर्माना लगाते हुए 3 महीने में जगह खाली करने का आदेश दिया. तमिलनाडु कॉस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी को कहा गया कि कंपनी अगर ऐसा नहीं करती है, तो वो खुद जगह खाली करवाए।


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