बिलासपुर रेलवे स्टेशन स्थित मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स
(एमएफसी) का टेंडर करीब 1 महीने पहले जनवरी में टर्मिनेट कर दिया गया है.
हैरानी की बात ये है कि टर्मिनेशन ऑडर में 7 दिनों के अंदर इसे खाली करना
था. लेकिन एक महीने बितने के बाद भी अब तक एमएफसी खाली नहीं कराया गया है.
अब इरकॉन और रेलवे के अधिकारी आमने सामने है. दोनो के बीच कौन इसे खाली
कराएगा ये जिम्मेदारी तय नहीं हुई है. यही कारण है कि इसका फायदा एमएफसी
लेने वाली सीजी इंजीनियरिंग कंपनी को मिल रहा है.
सूत्रों ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया है कि सीजी इंजीनियरिंग कंपनी ने
दिसंबर 2019 से अब तक रेलवे को 1 रूपए का भी शुल्क अदा नहीं किया है. जबकि
टेंडर शर्तों के मुताबिक कंपनी को करीब 3 लाख रूपए प्रति महीने देना था. जो
टेंडर शर्तों के मुताबिक अब बढ़कर करीब 4 लाख 62 हजार रूपए प्रति महीने हो
गया है.
शुल्क जमा करने को लेकर कई बार कंपनी को नोटिस जारी किया गया. लेकिन
कंपनी द्वारा कोई भी शुल्क नहीं जमा किया गया. जिसके बाद इसे टर्मिनेट कर
दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक टर्मिनेशन ऑर्डर जारी होने के करीब 1
महीने बाद भी इसे खाली नहीं कराया गया है.
सूत्रों के मुताबिक रेलवे की जगह जो लीज पर ली गई है वो कंपनी ने अन्य
को किराये पर दी है और कई दुकानों का किराया वे प्रतिदिन वसूल रहा है.
बिलासपुर रेलवे स्टेशन स्थित मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स
(एमएफसी) का टेंडर करीब 1 महीने पहले जनवरी में टर्मिनेट कर दिया गया है.
हैरानी की बात ये है कि टर्मिनेशन ऑडर में 7 दिनों के अंदर इसे खाली करना
था. लेकिन एक महीने बितने के बाद भी अब तक एमएफसी खाली नहीं कराया गया है.
अब इरकॉन और रेलवे के अधिकारी आमने सामने है. दोनो के बीच कौन इसे खाली
कराएगा ये जिम्मेदारी तय नहीं हुई है. यही कारण है कि इसका फायदा एमएफसी
लेने वाली सीजी इंजीनियरिंग कंपनी को मिल रहा है.
सूत्रों ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया है कि सीजी इंजीनियरिंग कंपनी ने
दिसंबर 2019 से अब तक रेलवे को 1 रूपए का भी शुल्क अदा नहीं किया है. जबकि
टेंडर शर्तों के मुताबिक कंपनी को करीब 3 लाख रूपए प्रति महीने देना था. जो
टेंडर शर्तों के मुताबिक अब बढ़कर करीब 4 लाख 62 हजार रूपए प्रति महीने हो
गया है.
शुल्क जमा करने को लेकर कई बार कंपनी को नोटिस जारी किया गया. लेकिन
कंपनी द्वारा कोई भी शुल्क नहीं जमा किया गया. जिसके बाद इसे टर्मिनेट कर
दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक टर्मिनेशन ऑर्डर जारी होने के करीब 1
महीने बाद भी इसे खाली नहीं कराया गया है.
सूत्रों के मुताबिक रेलवे की जगह जो लीज पर ली गई है वो कंपनी ने अन्य
को किराये पर दी है और कई दुकानों का किराया वे प्रतिदिन वसूल रहा है.