होम्योपैथी की दवाइयां क्यों होती है मीठी ? क्या है इसके सेवन करने का नियम ?:

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होम्योपैथिक दवाएं कई बीमारियों के लिए एक तरीके से वरदान मानी
जाती हैं. इन मीठी गोलियों का जादू ऐसा है कि ये कई खतरनाक बीमारियों से
हमेशा के लिए निजात दिला देती हैं. लेकिन मरीजों की कई बार शिकायत होती है
कि हमें तो होम्योपैथिक की दवा असर ही नहीं करती. उसका कारण है, डॉक्टर की
सलाह के बावजूद हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं कि दवा का असर नहीं हो
पाता.


एक होम्योपैथी चिकित्सकों के अनुसार बीमार व्यक्ति खुद डॉक्टर बनने से
बचें. ये हमारे यहां सबसे बड़ी समस्या है. ज्यादातर केस में मरीज अपने मन
से दवाई ले ले कर वे उसको बढ़ा लेते हैं. खासकर होम्योपैथी की दवाइयां तो
लोग ऐसे लेते-देते हैं जैसे चॉकलेट्स बांट रहे हों. ये धारणा मन से निकालना
जरूरी है कि होम्योपैथी दवाइयों के साइड इफेक्ट्स नहीं होते.


होम्योपैथिक दवा लेने का सही नियम


जब भी हम दवा लें तो हमारा मुंह साफ हो, किसी भी प्रकार का खाद्य पदार्थ मुंह में ना हो. कुछ भी खाने के 5 मिनट बाद ही दवा लें.


गंध वाली चीज जैसे इलायची, लहसुन, प्याज या पिपरमिंट खाई है तो 30 मिनट
के बाद ही दवा लें. इस दौरान कॉफी ना पीएं. ये दवा के असर को खत्म करती है.


इसे निगलने और चबाने की बजाय चूसकर ही खाएं क्योंकि दवा का असर जीभ के जरिये होता है. दवा खाने के 5-10 मिनट बाद तक कुछ न खाएं.




होम्योपैथी दवाएं मीठी क्यों होती हैं ?


इस बारे में डॉ. सरपाल बताते हैं कि होम्योपैथिक औषधियां अल्कोहल में
तैयार की जाती हैं जो काफी कड़वा होता है. कुछ अल्कोहल काफी कड़वे होते
हैं. जिससे मुंह में छाले पड़ने की आशंका रहती है. इसलिए इसे सफेद मीठी
गोलियों में डालकर देते हैं. यानी दिया जाने वाला लिक्विड मीठा नहीं होता,
असल में गोलियां मीठी होती हैं. एक और बात जो ध्यान में रखने लायक है वो
है- दवा के हाथ में आते ही उसमें मौजूद अल्कोहल वाष्पीकृत (evaporated)
होने के कारण असर कम हो जाता है. इसलिए दवा को ढक्कन या कागज पर रखकर खाने
को कहा जाता है.


होम्योपैथिक दवाएं कई बीमारियों के लिए एक तरीके से वरदान मानी
जाती हैं. इन मीठी गोलियों का जादू ऐसा है कि ये कई खतरनाक बीमारियों से
हमेशा के लिए निजात दिला देती हैं. लेकिन मरीजों की कई बार शिकायत होती है
कि हमें तो होम्योपैथिक की दवा असर ही नहीं करती. उसका कारण है, डॉक्टर की
सलाह के बावजूद हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं कि दवा का असर नहीं हो
पाता.


एक होम्योपैथी चिकित्सकों के अनुसार बीमार व्यक्ति खुद डॉक्टर बनने से
बचें. ये हमारे यहां सबसे बड़ी समस्या है. ज्यादातर केस में मरीज अपने मन
से दवाई ले ले कर वे उसको बढ़ा लेते हैं. खासकर होम्योपैथी की दवाइयां तो
लोग ऐसे लेते-देते हैं जैसे चॉकलेट्स बांट रहे हों. ये धारणा मन से निकालना
जरूरी है कि होम्योपैथी दवाइयों के साइड इफेक्ट्स नहीं होते.


होम्योपैथिक दवा लेने का सही नियम


जब भी हम दवा लें तो हमारा मुंह साफ हो, किसी भी प्रकार का खाद्य पदार्थ मुंह में ना हो. कुछ भी खाने के 5 मिनट बाद ही दवा लें.


गंध वाली चीज जैसे इलायची, लहसुन, प्याज या पिपरमिंट खाई है तो 30 मिनट
के बाद ही दवा लें. इस दौरान कॉफी ना पीएं. ये दवा के असर को खत्म करती है.


इसे निगलने और चबाने की बजाय चूसकर ही खाएं क्योंकि दवा का असर जीभ के जरिये होता है. दवा खाने के 5-10 मिनट बाद तक कुछ न खाएं.




होम्योपैथी दवाएं मीठी क्यों होती हैं ?


इस बारे में डॉ. सरपाल बताते हैं कि होम्योपैथिक औषधियां अल्कोहल में
तैयार की जाती हैं जो काफी कड़वा होता है. कुछ अल्कोहल काफी कड़वे होते
हैं. जिससे मुंह में छाले पड़ने की आशंका रहती है. इसलिए इसे सफेद मीठी
गोलियों में डालकर देते हैं. यानी दिया जाने वाला लिक्विड मीठा नहीं होता,
असल में गोलियां मीठी होती हैं. एक और बात जो ध्यान में रखने लायक है वो
है- दवा के हाथ में आते ही उसमें मौजूद अल्कोहल वाष्पीकृत (evaporated)
होने के कारण असर कम हो जाता है. इसलिए दवा को ढक्कन या कागज पर रखकर खाने
को कहा जाता है.


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