00 भाजपा नेता बताएं कि वे जोगी परिवार को आदिवासी मानते हैं या नहीं
रायपुर।
जोगी की जाति के फ़ैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष
धरमलाल कौशिक के बयानों पर संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने
कहा है कि इन नेताओं के पुराने बयान और नए बयान को सामने रख दिया जाए तो
गिरगिट भी रंग बदलना भूल जाएगा। सोरी ने कहा है कि ने कहा है कि जो लोग
जाति को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रहे थे वही बाद में जाति को लेकर राजनीतिक
लेन-देन का धंधा करने लगे और अब वही लोग जाति प्रमाण पत्र रद्द होने पर
आंसू बहा रहे हैं।
मरवाही विधानसभा उपचुनाव में चुनाव अधिकारी के फ़ैसले
पर संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने पूछा है कि डॉ रमन सिंह
और धरमलाल कौशिक सिर्फ़ यह बता दें कि वे जोगी परिवार को आदिवासी मानते हैं
या नहीं. अगर मानते हैं तो 2003 में जोगी की जाति को चुनावी मुद्दा बनाने
के लिए माफ़ी मांगें और अगर नहीं मानते तो यह बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के
आदेश के बावजूद उनकी सरकार ने इस मामले में स्पष्ट फ़ैसला क्यों नहीं किया?
सोरी ने पूछा है कि क्यों ऐसा लग रहा है कि जोगी की जाति को लेकर भाजपा के
भीतर ही घमासान मचा हुआ है और वे एकमत नहीं हो पा रहे हैं। एक ओर रमन सिंह
और धरम लाल कौशिक हैं तो दूसरी ओर अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय
अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद में रहे नंदकुमार साय, पूर्व गृह मंत्री ननकीराम
कंवर, संतराम नेताम और समीरा पैकरा जैसे भाजपा के आदिवासी नेता हैं। भाजपा
के इन आदिवासी नेताओं ने हमेशा जोगी के बारे में कहा कि वे आदिवासी नहीं
हैं और कभी अपना स्टैंड नहीं बदला जबकि रमन सिंह और धरम लाल कौशिक लगातार
रंग बदल रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि रमन सिंह ने मुख्यमंत्री रहते किस
तरह स्वर्गीय अजीत जोगी को ब्लैकमेल किया और लेनदेन की राजनीति की यह सबको
पता है. उन्होंने कहा है कि हर विधानसभा चुनाव के पहले छानबीन समिति का
फैसला आने की सुगबुगाहट उठती थी और सर्व अज्ञात कारणों से छानबीन समिति की
रिपोर्ट को दफन कर दिया जाता था। 13 अक्टूबर 2011 को सर्वोच्च न्यायालय ने
बिलासपुर कलेक्टर जिस मामले में शासन का पक्ष रख रहे थे उस मामले में आदेश
दिया और सर्वोच्च न्यायालय के इसी आदेश के पालनहार हाई पावर कमेटी का फैसला
आया।
सोरी ने पूछा है कि अजीत जोगी के जाति के मामले में राजनीतिक
लड़ाई और न्यायिक लड़ाई लडऩे वाले सर्वोच्च न्यायालय में इंटरवीनर बनने
वाले बृजमोहन अग्रवाल अजय चंद्राकर शिवरतन शर्मा को भी अब इस जाति मामले
में अपना नजरिया साफ करना चाहिए।
00 भाजपा नेता बताएं कि वे जोगी परिवार को आदिवासी मानते हैं या नहीं
रायपुर।
जोगी की जाति के फ़ैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष
धरमलाल कौशिक के बयानों पर संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने
कहा है कि इन नेताओं के पुराने बयान और नए बयान को सामने रख दिया जाए तो
गिरगिट भी रंग बदलना भूल जाएगा। सोरी ने कहा है कि ने कहा है कि जो लोग
जाति को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रहे थे वही बाद में जाति को लेकर राजनीतिक
लेन-देन का धंधा करने लगे और अब वही लोग जाति प्रमाण पत्र रद्द होने पर
आंसू बहा रहे हैं।
मरवाही विधानसभा उपचुनाव में चुनाव अधिकारी के फ़ैसले
पर संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने पूछा है कि डॉ रमन सिंह
और धरमलाल कौशिक सिर्फ़ यह बता दें कि वे जोगी परिवार को आदिवासी मानते हैं
या नहीं. अगर मानते हैं तो 2003 में जोगी की जाति को चुनावी मुद्दा बनाने
के लिए माफ़ी मांगें और अगर नहीं मानते तो यह बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के
आदेश के बावजूद उनकी सरकार ने इस मामले में स्पष्ट फ़ैसला क्यों नहीं किया?
सोरी ने पूछा है कि क्यों ऐसा लग रहा है कि जोगी की जाति को लेकर भाजपा के
भीतर ही घमासान मचा हुआ है और वे एकमत नहीं हो पा रहे हैं। एक ओर रमन सिंह
और धरम लाल कौशिक हैं तो दूसरी ओर अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय
अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद में रहे नंदकुमार साय, पूर्व गृह मंत्री ननकीराम
कंवर, संतराम नेताम और समीरा पैकरा जैसे भाजपा के आदिवासी नेता हैं। भाजपा
के इन आदिवासी नेताओं ने हमेशा जोगी के बारे में कहा कि वे आदिवासी नहीं
हैं और कभी अपना स्टैंड नहीं बदला जबकि रमन सिंह और धरम लाल कौशिक लगातार
रंग बदल रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि रमन सिंह ने मुख्यमंत्री रहते किस
तरह स्वर्गीय अजीत जोगी को ब्लैकमेल किया और लेनदेन की राजनीति की यह सबको
पता है. उन्होंने कहा है कि हर विधानसभा चुनाव के पहले छानबीन समिति का
फैसला आने की सुगबुगाहट उठती थी और सर्व अज्ञात कारणों से छानबीन समिति की
रिपोर्ट को दफन कर दिया जाता था। 13 अक्टूबर 2011 को सर्वोच्च न्यायालय ने
बिलासपुर कलेक्टर जिस मामले में शासन का पक्ष रख रहे थे उस मामले में आदेश
दिया और सर्वोच्च न्यायालय के इसी आदेश के पालनहार हाई पावर कमेटी का फैसला
आया।
सोरी ने पूछा है कि अजीत जोगी के जाति के मामले में राजनीतिक
लड़ाई और न्यायिक लड़ाई लडऩे वाले सर्वोच्च न्यायालय में इंटरवीनर बनने
वाले बृजमोहन अग्रवाल अजय चंद्राकर शिवरतन शर्मा को भी अब इस जाति मामले
में अपना नजरिया साफ करना चाहिए।