पहली सूची में भाजपा ने राजस्थान में 15 सीटों पर उम्मीदवार तय किए हैं।
इनमें से एक चुरू लोकसभा सीट भी है। पार्टी ने इस बार यहां के मौजूदा सांसद
राहुल कस्वां की जगह देवेंद्र झाझरिया को टिकट दिया है। झाझरिया पैरालंपिक
के जैवलिन थ्रोअर हैं। टिकट कटने की वजह से 47 वर्षीय राहुल नाराज हो गए
हैं और जिस तरह वह खुलकर सवाल उठा रहे हैं, माना जा रहा है कि वह जल्द ही
कांग्रेस में जाने या निर्दलीय चुनाव में उतरने का ऐलान कर सकते हैं।
हालांकि, उन्होंने खुद इस बात का कोई साफ जवाब नहीं दिया है।
टिकट कटने के बाद राहुल ने सोशल मीडिया पर कई सवाल दागते हुए कहा कि उन्हें
कोई जवाब नहीं दे रहा है। राहुल ने लिखा, ' आखिर मेरा गुनाह क्या था...?
क्या मैं ईमानदार नहीं था? क्या मैं मेहनती नहीं था? क्या मैं निष्ठावान
नहीं था? क्या मैं दागदार था? क्या मैंने चूरू लोकसभा में काम करवाने में
कोई कमी छोड़ दी थी? मा. प्रधानमंत्री जी की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन
में, मैं सबसे आगे था। और क्या चाहिए था? जब भी इस प्रश्न को मैंने पूछा,
सभी निरुत्तर और निःशब्द रहे। कोई इसका उत्तर नही दे पा रहा। शायद मेरे
अपने ही मुझे कुछ बता पाएं...।' एक अन्य पोस्ट में भविष्य के लिए संकेत
देते हुए राहुल ने लिखा, 'राम-राम मेरे चूरू लोकसभा परिवार! लेकर
विश्वास-पाकर आपका साथ, देकर हर संकट को मात, ध्येय मार्ग पर बढ़ते जाएंगे,
उत्थानों के शिखर चढ़ते जाएंगे। आप सभी संयम रखें। आगामी कुछ दिन बाद आपके
बीच उपस्थित रहूंगा, जिसकी सूचना आपको दे दी जाएगी।'
जाट समुदाय से आने वाले कस्वां इस सीट पर काफी प्रभावशाली माने जाते हैं।
चुरू में जाट समुदाय की अच्छी आबादी है। राहुल 2014 और 2019 में लगातार दो
बार इस सीट से जीत हासिल कर चुके हैं। राहुल के पिता राम सिंह कस्वां भी इस
सीट से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। वह 1999, 2004 और 2009 में चुरू से
जीत दर्ज कर चुके हैं।
इस बीच कांग्रेस ने राहुल कस्वां को अपनी तरफ खींचने के लिए हाथ बढ़ाना
शुरू कर दिया है। कांग्रेस के बीकानेर जिला अध्यक्ष बिशनाराम सियाग ने कहा
कि यदि राहुल कांग्रेस से चुनाव लड़ते हैं तो 100 फीसदी जीत हासिल करेंगे।
राहुल ने जब सोशल मीडिया पर अपना गुनाह पूछा तो बिशनाराम ने लिखा, 'गुनाह
यह था कि आपने सामंतवाद की गुलामी कभी स्वीकार नहीं की।' कस्वां को उकसाते
हुए उन्होंने लिखा, 'द्वंद्व कहां तक पाला जाए। युद्ध कहां तक टाला जाए।
है तू भी तेजा का वंशज। फेंक जहां तक भाला जाए।'