नई दिल्ली। भारत में कोयला उत्पादन ने 6 मार्च 2024 तक
900 मिलियन टन (एमटी) के आंकड़े को पार करके एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की
है और यह 31 मार्च 2024 तक एक बिलियन टन (बीटी) के महत्वाकांक्षी लक्ष्य
को हासिल करने की ओर अग्रसर है। विशेष रूप से, वर्तमान वित्तीय वर्ष यानी
2023-24 के दौरान देश ने सत्ताईस दिन पहले ही पिछले वर्ष के 893.19 एमटी
कोयला उत्पादन के आंकड़े को पीछे छोड़कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
इसके अतिरिक्त, कोयला कंपनियों के पास लगभग 85 एमटी कोयले का पर्याप्त
स्टॉक उपलब्ध है, जबकि घरेलू कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के पास 5
मार्च, 2024 तक 43.28 एमटी कोयले का स्टॉक उपलब्ध था, जिससे देश भर में
निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होती है। पर्याप्त कोयला भंडार और
रिकॉर्ड-तोड़ कोयला उत्पादन बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करता
है, खासकर चरम खपत की अवधि के दौरान। इससे ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता को
बढ़ावा मिलता है और आर्थिक विकास को समर्थन मिलता है।
कोयला उत्पादन में भारत की 900 एमटी से अधिक की उपलब्धि न केवल भारत की
ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करती है बल्कि कोयला आयात पर निर्भरता को भी कम
करती है, जिससे विदेशी मुद्रा की काफी बचत होती है।
प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण के अनुरूप, ऊर्जा
क्षेत्र में सतत विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में अपनी यात्रा को आगे
बढ़ाने हेतु कोयला मंत्रालय द्वारा अथक प्रयास और रणनीतिक पहल की जा रही
है।
नई दिल्ली। भारत में कोयला उत्पादन ने 6 मार्च 2024 तक
900 मिलियन टन (एमटी) के आंकड़े को पार करके एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की
है और यह 31 मार्च 2024 तक एक बिलियन टन (बीटी) के महत्वाकांक्षी लक्ष्य
को हासिल करने की ओर अग्रसर है। विशेष रूप से, वर्तमान वित्तीय वर्ष यानी
2023-24 के दौरान देश ने सत्ताईस दिन पहले ही पिछले वर्ष के 893.19 एमटी
कोयला उत्पादन के आंकड़े को पीछे छोड़कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
इसके अतिरिक्त, कोयला कंपनियों के पास लगभग 85 एमटी कोयले का पर्याप्त
स्टॉक उपलब्ध है, जबकि घरेलू कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के पास 5
मार्च, 2024 तक 43.28 एमटी कोयले का स्टॉक उपलब्ध था, जिससे देश भर में
निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होती है। पर्याप्त कोयला भंडार और
रिकॉर्ड-तोड़ कोयला उत्पादन बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करता
है, खासकर चरम खपत की अवधि के दौरान। इससे ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता को
बढ़ावा मिलता है और आर्थिक विकास को समर्थन मिलता है।
कोयला उत्पादन में भारत की 900 एमटी से अधिक की उपलब्धि न केवल भारत की
ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करती है बल्कि कोयला आयात पर निर्भरता को भी कम
करती है, जिससे विदेशी मुद्रा की काफी बचत होती है।
प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण के अनुरूप, ऊर्जा
क्षेत्र में सतत विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में अपनी यात्रा को आगे
बढ़ाने हेतु कोयला मंत्रालय द्वारा अथक प्रयास और रणनीतिक पहल की जा रही
है।