इंदौर । बांग्लादेश में गहराए राजनीतिक संकट का असर वहां की रेडिमेड इंडस्ट्री पर भी पड़ रहा है। कई बड़े ब्रांडों के रेडिमेड कपड़े बांग्लादेश में तैयार होते है और इससे वहां के लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन अब माना जा रहा है कि कई बड़ी कंपनियां भारत की तरफ मुड सकती हैै। मालवा निमाड़ भी रेडिमेंड इंडस्ट्री का बड़ा हब है। पीथमपुर में कुछ बड़े ब्रांड है। इसके अलावा इंदौर और आसपास के क्षेत्रों मेें कई रेडिमेड की 22 यूनिट है। रेडिमेड कपड़े बेचने वाली कंपनियां अब इन यूनिटो को जाॅब वर्क दे सकती हैै। इंदौर में काॅॅटन के कपड़ों पर ज्यादा काम होता हैै। रेडिमेड इंडस्ट्री में काटन के कपड़ों की बड़ी डिमांड रहती है। बांग्लादेश में भी काॅटन के कपड़े ज्यादा बनते है। रेडिमेड इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों के अनुसार बांग्लादेश में लेबर काफी सस्ती है और रेडिमेड कारखानों को वहां की सरकार भी कई तरह की रियायतें देती है। इससे वहां रेडिमेड इंडस्ट्री ग्रोथ कर रही थी, लेकिन अब देश की राजनीतिक अस्थिरता के कारण बड़े ब्रांड वहां निवेश करने से बच रहे हैै। इसका फायदा भारत सरकार को उठाना चाहिए,ताकि देश में भी रेडिमेड इंडस्ट्री पनप सके।
इंदौर रेडिमेड वस्त्र व्यापारी संघ के अध्यक्ष आशीष निगम बताते है कि पहले जारा, एच एंड एम के ब्रांड इंदौर में भी जाॅब वर्क देते थे, लेकिन बाद में बांग्लादेश की यूनिटों से काम कराने लगे। बांग्लादेश की परिस्थियों को देखते हुए अब फिर से रेडिमेड इंडस्ट्री मेें 20 प्रतिशत ग्रोथ दिख सकती हैै।
इंदौर और आसपास के क्षेत्रों की यूनिटों को भी इसका फायदा होगा। पीथमपुर,इंदौर में भी कुछ बड़े ब्रांड के जाॅब वर्क होते हैै। रेडिमेड इंडस्ट्री अकुशल काॅरीगरों को सबसे ज्यादा रोजगार देती है। महिलाएं घर से जाॅब वर्क करती है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। रेडिमेड इंडस्ट्री से जुड़ी नीतियों में बदलाव कर सरकार रेडिमेड इंडस्ट्री को बढ़ावा दे सकती हैै।
इंदौर । बांग्लादेश में गहराए राजनीतिक संकट का असर वहां की रेडिमेड इंडस्ट्री पर भी पड़ रहा है। कई बड़े ब्रांडों के रेडिमेड कपड़े बांग्लादेश में तैयार होते है और इससे वहां के लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन अब माना जा रहा है कि कई बड़ी कंपनियां भारत की तरफ मुड सकती हैै। मालवा निमाड़ भी रेडिमेंड इंडस्ट्री का बड़ा हब है। पीथमपुर में कुछ बड़े ब्रांड है। इसके अलावा इंदौर और आसपास के क्षेत्रों मेें कई रेडिमेड की 22 यूनिट है। रेडिमेड कपड़े बेचने वाली कंपनियां अब इन यूनिटो को जाॅब वर्क दे सकती हैै। इंदौर में काॅॅटन के कपड़ों पर ज्यादा काम होता हैै। रेडिमेड इंडस्ट्री में काटन के कपड़ों की बड़ी डिमांड रहती है। बांग्लादेश में भी काॅटन के कपड़े ज्यादा बनते है। रेडिमेड इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों के अनुसार बांग्लादेश में लेबर काफी सस्ती है और रेडिमेड कारखानों को वहां की सरकार भी कई तरह की रियायतें देती है। इससे वहां रेडिमेड इंडस्ट्री ग्रोथ कर रही थी, लेकिन अब देश की राजनीतिक अस्थिरता के कारण बड़े ब्रांड वहां निवेश करने से बच रहे हैै। इसका फायदा भारत सरकार को उठाना चाहिए,ताकि देश में भी रेडिमेड इंडस्ट्री पनप सके।
इंदौर रेडिमेड वस्त्र व्यापारी संघ के अध्यक्ष आशीष निगम बताते है कि पहले जारा, एच एंड एम के ब्रांड इंदौर में भी जाॅब वर्क देते थे, लेकिन बाद में बांग्लादेश की यूनिटों से काम कराने लगे। बांग्लादेश की परिस्थियों को देखते हुए अब फिर से रेडिमेड इंडस्ट्री मेें 20 प्रतिशत ग्रोथ दिख सकती हैै।
इंदौर और आसपास के क्षेत्रों की यूनिटों को भी इसका फायदा होगा। पीथमपुर,इंदौर में भी कुछ बड़े ब्रांड के जाॅब वर्क होते हैै। रेडिमेड इंडस्ट्री अकुशल काॅरीगरों को सबसे ज्यादा रोजगार देती है। महिलाएं घर से जाॅब वर्क करती है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। रेडिमेड इंडस्ट्री से जुड़ी नीतियों में बदलाव कर सरकार रेडिमेड इंडस्ट्री को बढ़ावा दे सकती हैै।