रायपुर 10 सितंबर - भिलाई टाकीज पिक्चर्स, निम्स फिल्म प्रोडक्शन और वान्या फिल्म्स प्रोडक्शन के संयुक्त बैनर तले बनी इस फिल्म में समाज में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर हो रहे व्यापार को जनता के सामने पेश करने की कोशिश की गई है।
इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि, स्वास्थ्य सेवा के नाम पर मरीजों को ठगा जा रहा है। ज्यादा पैसा कमाने के लिए अस्पतालों में मुर्दों को भी जिंदा दिखा कर ICU में इलाज किया जाता है और संगठित गिरोह मिलीभगत से ख़ून , किडनी के साथ बच्चों को भी बेंच देते है, और ज़िम्मेदार संस्थाएं और तंत्र पूरी ख़ामोशी से सारा तमाशा देखता रहता है।
फिल्म के निर्मता के. सी. अग्रवाल, निम्मी सवाने और गुलाम हैदर मंसूरी हैं, कथा, पटकथा, संवाद एवं निर्देशन गुलाम हैदर मंसूरी का है।
रायपुर 10 सितंबर - भिलाई टाकीज पिक्चर्स, निम्स फिल्म प्रोडक्शन और वान्या फिल्म्स प्रोडक्शन के संयुक्त बैनर तले बनी इस फिल्म में समाज में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर हो रहे व्यापार को जनता के सामने पेश करने की कोशिश की गई है।
इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि, स्वास्थ्य सेवा के नाम पर मरीजों को ठगा जा रहा है। ज्यादा पैसा कमाने के लिए अस्पतालों में मुर्दों को भी जिंदा दिखा कर ICU में इलाज किया जाता है और संगठित गिरोह मिलीभगत से ख़ून , किडनी के साथ बच्चों को भी बेंच देते है, और ज़िम्मेदार संस्थाएं और तंत्र पूरी ख़ामोशी से सारा तमाशा देखता रहता है।
फिल्म के निर्मता के. सी. अग्रवाल, निम्मी सवाने और गुलाम हैदर मंसूरी हैं, कथा, पटकथा, संवाद एवं निर्देशन गुलाम हैदर मंसूरी का है।