पितरों की शांति के लिए करें ये काम:

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आज से पितरों को समर्पित पितृ पक्ष आरंभ हो चुके हैं। 18, सितंबर के दिन पितृ पक्ष के प्रतिप्रदा तिथि का श्राद्ध है। इस साल पितृ पक्ष कुल 15 दिनों तक रहेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि कार्य किए जाते हैं, ताकि वह शांत रहें। जब पितर खुश रहते हैं तो वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान पितर तर्पण कार्य जरूर करना चाहिए। आइए पंडित जी से जानते हैं पितरों का आशीर्वाद पाने और उनकी शांति के लिए पितृ पक्ष के दौरान क्या करना चाहिए-

स्वामी ओमानंद महाराज के अनुसार, पितृपक्ष में गरीबों, दीन-दुखियों, असहायों, दरिद्रों की सहायता करनी चाहिए। पुरोहित, आचार्यों और विद्वानों की सेवा और दान से सुख, शांति, समृद्धि, यश, उन्नतिमय जीवन तथा सकल मनोरथ सिद्धि का वरदान मिलता है। श्राद्ध कर्म द्वारा ही पुत्र अपने जीवन में पितृ ऋण से मुक्त होता है। पितृपक्ष में पंचबलि देवताओं को भोग, गऊ ग्रास, कुत्ते-कौंवे तथा चींटी को भोजन देना अत्यंत श्रेयस्कर है। पितरों के निमित्त अन्न, जल, वस्त्र, द्रव्य, स्वर्ण आदि दान करने से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है।

महाराज ने कहा कि पितृ पक्ष पितृ उपासना का पावन काल है। देव उपासना के बाद पितृ उपासना की परंपरा है। इससे देवताओं के साथ पितृ देवता भी प्रसन्न होकर मनुष्य के सुखी पुष्टिमय जीवन एवं वंशवृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। मानव जीवन में तीन मुख्य ऋण होते हैं, देव ऋण, ऋषि ऋण, पितृ ऋण। देव ऋण से मुक्ति के लिए यज्ञ आदि पुण्य कर्म, ऋषि ऋण से मुक्ति के लिए स्वाध्याय कर्म तथा पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि कर्म करने का विधान है। 


आज से पितरों को समर्पित पितृ पक्ष आरंभ हो चुके हैं। 18, सितंबर के दिन पितृ पक्ष के प्रतिप्रदा तिथि का श्राद्ध है। इस साल पितृ पक्ष कुल 15 दिनों तक रहेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि कार्य किए जाते हैं, ताकि वह शांत रहें। जब पितर खुश रहते हैं तो वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान पितर तर्पण कार्य जरूर करना चाहिए। आइए पंडित जी से जानते हैं पितरों का आशीर्वाद पाने और उनकी शांति के लिए पितृ पक्ष के दौरान क्या करना चाहिए-

स्वामी ओमानंद महाराज के अनुसार, पितृपक्ष में गरीबों, दीन-दुखियों, असहायों, दरिद्रों की सहायता करनी चाहिए। पुरोहित, आचार्यों और विद्वानों की सेवा और दान से सुख, शांति, समृद्धि, यश, उन्नतिमय जीवन तथा सकल मनोरथ सिद्धि का वरदान मिलता है। श्राद्ध कर्म द्वारा ही पुत्र अपने जीवन में पितृ ऋण से मुक्त होता है। पितृपक्ष में पंचबलि देवताओं को भोग, गऊ ग्रास, कुत्ते-कौंवे तथा चींटी को भोजन देना अत्यंत श्रेयस्कर है। पितरों के निमित्त अन्न, जल, वस्त्र, द्रव्य, स्वर्ण आदि दान करने से अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है।

महाराज ने कहा कि पितृ पक्ष पितृ उपासना का पावन काल है। देव उपासना के बाद पितृ उपासना की परंपरा है। इससे देवताओं के साथ पितृ देवता भी प्रसन्न होकर मनुष्य के सुखी पुष्टिमय जीवन एवं वंशवृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। मानव जीवन में तीन मुख्य ऋण होते हैं, देव ऋण, ऋषि ऋण, पितृ ऋण। देव ऋण से मुक्ति के लिए यज्ञ आदि पुण्य कर्म, ऋषि ऋण से मुक्ति के लिए स्वाध्याय कर्म तथा पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि कर्म करने का विधान है। 


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