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बिलासपुर सिम्स में अब MBBS की पढ़ाई हिंदी में:

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बिलासपुर ।  सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) में अब हिंदी में भी एमबीबीएस (बैचलर आफ मेडिसिन एंड बैचलर आफ सर्जरी) की पढ़ाई होगी। यह पढ़ाई शिक्षा सत्र 2024-25 से शुरू हो रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हिंदी दिवस पर इसकी घोषणा की है। इसी के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने हिंदी में पढ़ाई शुरू करवाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए सिम्स में इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने सिम्स को हिंदी की पुस्तकें खरीदने के लिए पांच लाख रुपये दिए हैं। इसके तहत एमबीबीएस पाठयक्रम की पुस्तकें खरीदने की कवायद भी शुरू कर दी है।

संभवत शिक्षा सत्र अक्टूबर प्रथम सप्ताह से शुरू हो जाएगा। इससे पहले किताबें खरीदनी होगी। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई कराने वाला राज्य बन जाएगा।

हालांकि छात्र-छात्राएं इस बात को लेकर स्वतंत्र रहेंगे कि उन्हें किस भाषा में मेडिकल की पढ़ाई करनी है और परीक्षा देना है। इसमें छात्र हिंदी या अंग्रेजी में पढ़ाई कर सकेंगे।

हिंदी माध्यम के छात्रों की परेशानी होगी खत्म

नई व्यवस्था लागू होने से हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों की परेशानी दूर हो जाएगी। दरअसल, मेडिकल की पढ़ाई में जिन अंग्रेजी शब्दों का उपयोग होता है, वह बेहद कठिन होता है।

हिंदी माध्यम के छात्र इसे आसानी से समझ नहीं पाते। अब कक्षा हिंदी में भी होगी। वहीं मेडिकल का महत्वपूर्ण टर्म केवल अंग्रेजी में होगा। इससे अब छात्र परीक्षा भी हिंदी में दे सकेंगे। हालांकि अगर कोई छात्र अंग्रेजी में देना चाहते हैं तो वे उसके लिए भी स्वतंत्र होंगे।

अब एनाटामी नहीं शरीर रचना विज्ञान कहेंगे छात्र

हिंदी माध्यम से पढ़ाई शुरू होते ही एनाटामी को अब छात्र शरीर रचना विज्ञान के नाम से पुकारेंगे। इसी तरह बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलाजी, मेडिसिन, सर्जरी, पीडियाट्रिक को शरीर रचना विज्ञान, जैव रसायन शास्त्र, शरीर क्रिया विज्ञान, औषधि और शल्य क्रिया विज्ञान कहा जाएगा। यह बदलाव हिंदी भाषी छात्रों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।

प्राध्यापकों को भी दी जाएगी ट्रेनिंग

अभी तक प्राध्यापक अंग्रेजी में पढ़ाई कराते हैं। इसमे वे अभ्यस्त हो चुके हैं। वही अब हिंदी में पढ़ाई कराने में कुछ तकनीकी व व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

इन बातों को ध्यान में रखते हुए प्राध्यापकों को हिंदी में पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मेडिकल शब्दों को हिंदी में याद रखना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है, लेकिन अभ्यास के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा।


बिलासपुर ।  सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) में अब हिंदी में भी एमबीबीएस (बैचलर आफ मेडिसिन एंड बैचलर आफ सर्जरी) की पढ़ाई होगी। यह पढ़ाई शिक्षा सत्र 2024-25 से शुरू हो रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हिंदी दिवस पर इसकी घोषणा की है। इसी के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने हिंदी में पढ़ाई शुरू करवाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए सिम्स में इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने सिम्स को हिंदी की पुस्तकें खरीदने के लिए पांच लाख रुपये दिए हैं। इसके तहत एमबीबीएस पाठयक्रम की पुस्तकें खरीदने की कवायद भी शुरू कर दी है।

संभवत शिक्षा सत्र अक्टूबर प्रथम सप्ताह से शुरू हो जाएगा। इससे पहले किताबें खरीदनी होगी। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई कराने वाला राज्य बन जाएगा।

हालांकि छात्र-छात्राएं इस बात को लेकर स्वतंत्र रहेंगे कि उन्हें किस भाषा में मेडिकल की पढ़ाई करनी है और परीक्षा देना है। इसमें छात्र हिंदी या अंग्रेजी में पढ़ाई कर सकेंगे।

हिंदी माध्यम के छात्रों की परेशानी होगी खत्म

नई व्यवस्था लागू होने से हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों की परेशानी दूर हो जाएगी। दरअसल, मेडिकल की पढ़ाई में जिन अंग्रेजी शब्दों का उपयोग होता है, वह बेहद कठिन होता है।

हिंदी माध्यम के छात्र इसे आसानी से समझ नहीं पाते। अब कक्षा हिंदी में भी होगी। वहीं मेडिकल का महत्वपूर्ण टर्म केवल अंग्रेजी में होगा। इससे अब छात्र परीक्षा भी हिंदी में दे सकेंगे। हालांकि अगर कोई छात्र अंग्रेजी में देना चाहते हैं तो वे उसके लिए भी स्वतंत्र होंगे।

अब एनाटामी नहीं शरीर रचना विज्ञान कहेंगे छात्र

हिंदी माध्यम से पढ़ाई शुरू होते ही एनाटामी को अब छात्र शरीर रचना विज्ञान के नाम से पुकारेंगे। इसी तरह बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलाजी, मेडिसिन, सर्जरी, पीडियाट्रिक को शरीर रचना विज्ञान, जैव रसायन शास्त्र, शरीर क्रिया विज्ञान, औषधि और शल्य क्रिया विज्ञान कहा जाएगा। यह बदलाव हिंदी भाषी छात्रों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।

प्राध्यापकों को भी दी जाएगी ट्रेनिंग

अभी तक प्राध्यापक अंग्रेजी में पढ़ाई कराते हैं। इसमे वे अभ्यस्त हो चुके हैं। वही अब हिंदी में पढ़ाई कराने में कुछ तकनीकी व व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

इन बातों को ध्यान में रखते हुए प्राध्यापकों को हिंदी में पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मेडिकल शब्दों को हिंदी में याद रखना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है, लेकिन अभ्यास के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा।


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