चैत्र अमावस्या के दिन करें इन चीजों का दान, पितृ होंगे प्रसन्न, देंगे मनचाहा आशीर्वाद:

post

धार्मिक दृष्टिकोण से हर अमावस्या तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है. लेकिन चैत्र मास की अमावस्या अपने आप में एक विशेष दिन है. बता दें कि चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि 29 मार्च को पड़ेगी. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस अमावस्या पर यदि कुछ उपाय किए जाएं तो जातक को पितृ दोष सहित कई परेशानियों से छुटकारा मिलता है.

दरअसल, हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि खासकर पितरों को समर्पित होती है. इसलिए इस तिथि पर सामान्यतः सभी लोग अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ तर्पण, दान आदि करते हैं. वहीं ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक चैत्र मास में पड़ने वाली अमावस्या पर वह पितृ देव को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष उपाय किये जाएं तो भी आपको कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं. इन उपायों को करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितृ प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. तो आईए जानते हैं पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार जानते हैं चैत्र अमवास्या तिथि के दिन कौन-कौन से उपाय करने से आपको लाभ मिल सकता है.

चैत्र अमावस्या के दिन करें ये उपाय

पीपल के पेड़ का करें पूजन
कहा जाता है कि पीपल के वृक्ष में पितृ का वास होता है. अमावस्या पर इस वृक्ष की पूजा करने से पितृ बहुत प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं. पीपल की पूजा करने से परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है.

दान करें ये वस्तुएं
अगर आप पितृ दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कुछ वस्तुओं का दान जरूर करें. पितृ को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को भूतड़ी अमावस्या पर मंदिर में काले तिल का दान करना चाहिए. इस दिन आप अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को भी दान दे सकते हैं ऐसा करने से आपके पितृ मोक्ष को प्राप्त होते हैं.

पवित्र नदियों में करें स्नान
चैत्र मास की भूतड़ी अमावस्या पर व्यक्ति को पवित्र तीर्थों की नदियों में स्नान करना चाहिए. यदि ऐसा संभव न हो तो निवास में आस-पास बने किसी कुआं बावड़ी के जल से भी स्नान कर सकते है. इस उपाय को करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है और पितृ देव प्रसन्न होते हैं.

पितरों से मांगे क्षमा
चैत्र अमावस्या पर घर की दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाएं.बतादें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा पितृ देव और मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होती है. इस दिशा में दीपक लगाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.


धार्मिक दृष्टिकोण से हर अमावस्या तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है. लेकिन चैत्र मास की अमावस्या अपने आप में एक विशेष दिन है. बता दें कि चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि 29 मार्च को पड़ेगी. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस अमावस्या पर यदि कुछ उपाय किए जाएं तो जातक को पितृ दोष सहित कई परेशानियों से छुटकारा मिलता है.

दरअसल, हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि खासकर पितरों को समर्पित होती है. इसलिए इस तिथि पर सामान्यतः सभी लोग अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ तर्पण, दान आदि करते हैं. वहीं ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक चैत्र मास में पड़ने वाली अमावस्या पर वह पितृ देव को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष उपाय किये जाएं तो भी आपको कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं. इन उपायों को करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितृ प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. तो आईए जानते हैं पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार जानते हैं चैत्र अमवास्या तिथि के दिन कौन-कौन से उपाय करने से आपको लाभ मिल सकता है.

चैत्र अमावस्या के दिन करें ये उपाय

पीपल के पेड़ का करें पूजन
कहा जाता है कि पीपल के वृक्ष में पितृ का वास होता है. अमावस्या पर इस वृक्ष की पूजा करने से पितृ बहुत प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं. पीपल की पूजा करने से परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है.

दान करें ये वस्तुएं
अगर आप पितृ दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कुछ वस्तुओं का दान जरूर करें. पितृ को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को भूतड़ी अमावस्या पर मंदिर में काले तिल का दान करना चाहिए. इस दिन आप अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को भी दान दे सकते हैं ऐसा करने से आपके पितृ मोक्ष को प्राप्त होते हैं.

पवित्र नदियों में करें स्नान
चैत्र मास की भूतड़ी अमावस्या पर व्यक्ति को पवित्र तीर्थों की नदियों में स्नान करना चाहिए. यदि ऐसा संभव न हो तो निवास में आस-पास बने किसी कुआं बावड़ी के जल से भी स्नान कर सकते है. इस उपाय को करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है और पितृ देव प्रसन्न होते हैं.

पितरों से मांगे क्षमा
चैत्र अमावस्या पर घर की दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाएं.बतादें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा पितृ देव और मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होती है. इस दिशा में दीपक लगाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.


...
...
...
...
...
...
...
...