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News Koriya (Shreekant Jaiswal) :: भरतपुर जनपद क्षेत्र में एक पंचायत सचिव ने कल पेड़ पर फांसी लगाकरका आत्महत्या कर लिया, सुसाइड नोट भी मिला...:
श्रीकांत जायसवाल/बैकुठपुर/
मृतक के पास मिले आत्महत्या नोट पर 6 फरवरी 2022 की तारीख लिखकर हस्ताक्षर किया गया था। आत्महत्या नोट के दूसरे पन्ने पर मृतक से हस्ताक्षर कर तारीख भी डाली थी। वहीं मामले में प्रशासनिक रवैए से लोग काफी नाराज दिखे। इस मामले में पुलिस ने मर्ग कायम कर पंचनामा पूर्ण की, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण कल पीएम नहीं हो पाया था। बाद में दूसरे दिन बुधवार को सुबह पीएम कराया गया।
वहीं मामले में अधिकारियों व कांग्रेस के बड़े नेता द्वारा मानसिक रूप से प्रताडऩा दिये जाने के आत्महत्या नोट के बाद लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठ रही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार भरतपुर जनपद क्षेत्र के ग्राम च्यूल निवासी छत्रपाल सिंह भरतपुर जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत नेरूआ में ग्राम पंचायत सचिव के पद पर कार्यरत था। वह 21 फरवरी की शाम के समय घर से बिना बताये निकल गया था और फिर वापस रात में घर नहीं लौटा, दूसरे दिन घर से कुछ दूरी पर स्थित एक महुआ पेड़ पर पंचायत सचिव छत्रपाल सिंह का शव फांसी पर लटकते देखा गया, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गयी। पुलिस मौके पर पहुंच कर शव का पंचनामा कराया।
ग्रामीणों की मौजूदगी में मृतक के पास से एक आत्महत्या नोट मिला, जिसमें सीईओ, पंचायत इंस्पेक्टर और कांग्रेस के बड़े नेता के नाम लिखे थे, देखते ही देखते आत्महत्या नोट सोशल मीडिया में वायरल हो गया। जिसके बाद ग्रामीण निष्पक्ष जांच की मांग करने लगे। ग्रामीणों के विरोध के कारण पूरे दिन पीएम नहीं हो पाया, देर शाम तहसीलदार की उपस्थिति में शव को एंबुलेंस से जनकपुर ले आया गया, शव के पास मृतक के परिवार के किसी भी सदस्य को साथ नहीं ले जाया गया। मृतक के परिवार के साथ ग्रामीण और ज्यादा नाराज हो गए।
आत्महत्या नोट में क्या है लिखा
पुलिस ने मृतक के पास से एक आत्महत्या नोट भी बरामद किया, जिसमें उल्लेख किया गया है कि मृतक ने जनपद पंचायत के मुख्य कार्यलन अधिकारी, पंचायत इंस्पेक्टर तथा कांग्रेस के बड़े नेता और एक पंचायत सचिव के नाम लिखा है। जिस सचिव का नाम लिखा, उससे सीईओ और पंचायत इंस्पेक्टर द्वारा पचास हजार लेकर उससे नेरूआ पंचायत से अतिरिक्त प्रभार लेकर भगाए, साथ ही कांग्रेस के बड़े नेता का नाम के साथ गांव का नाम व पद भी लिखते हुए नेता पर उसका वित्तीय प्रभार छिनने के कारण आत्महत्या करना बताया।
नोट के दूसरे पन्ने में साफ लिखा है कि आत्महत्या का कारण सीईओ, पंचायत इंस्पेक्टर और कांग्रेस के नेता को जिम्मेदार बताते हुए उसकी जान लेना बताया गया है। एक तरफ यह भी लिखा है कि उसकी जान के लिए उसके बच्चों का कोई दोष नहीं है। वहीं पुलिस ने आत्महत्या नोट में अधिकारियों व जनप्रतिनिधि पर मानसिक रूप से प्रताडि़त करने के आरोपों की जांच में लिया है।
आप ने की सीबीआई जांच की मांग
मामले की जानकारी लगते ही आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष सुखवंती सिंह कोटाडोल क्षेत्र में स्थित मृतक के घर पहुंची, देर रात तक उनके परिजनों के साथ रही, उसके बाद सभी को लेकर 40 किसी दूर जनकपुर पहुंची, सुबह पोस्टमार्टम के समय उपस्थित रही। मामले में सुखवंती सिंह ने कहा कि ये मामला बेहद गंभीर है। इसकी निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई से होनी चाहिए। मृतक परिवार को 50 लाख का मुआवजा मिलना चाहिए, और उनके पुत्र का नौकरी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रदेश की सत्ता में काबिज बड़े कांग्रेसी नेता पर मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाया गया है, जिससे कि मामला संगीन हो गया है, ऐसे में स्थानीय स्तर के जांच में निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती।
सीईओ के खिलाफ जनपद सदस्य
जनपद सीईओ के खिलाफ सभी जनपद सदस्यों ने कलेक्टर से उन्हें हटाने की शिकायत की थी, परन्तु जिला प्रशासन ने किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की थी। दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण ग्राम पंचायतों मे भारी भ्रष्टाचार की शिकायत देखने को मिल रही है, वहीं मृतक सचिव छत्रपाल सिंह कुछ दिनों से परेशान दिखाई दे रहा था। फरवरी के शुरूआत में पंचायत सचिव से वित्तीय प्रभार छिनकर सचिव बलराम यादव को दे दिया गया था। मृतक सचिव ने भी सीईओ पर ही प्रताऩा का आरोप लगाया है।
श्रीकांत जायसवाल/बैकुठपुर/
मृतक के पास मिले आत्महत्या नोट पर 6 फरवरी 2022 की तारीख लिखकर हस्ताक्षर किया गया था। आत्महत्या नोट के दूसरे पन्ने पर मृतक से हस्ताक्षर कर तारीख भी डाली थी। वहीं मामले में प्रशासनिक रवैए से लोग काफी नाराज दिखे। इस मामले में पुलिस ने मर्ग कायम कर पंचनामा पूर्ण की, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण कल पीएम नहीं हो पाया था। बाद में दूसरे दिन बुधवार को सुबह पीएम कराया गया।
वहीं मामले में अधिकारियों व कांग्रेस के बड़े नेता द्वारा मानसिक रूप से प्रताडऩा दिये जाने के आत्महत्या नोट के बाद लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठ रही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार भरतपुर जनपद क्षेत्र के ग्राम च्यूल निवासी छत्रपाल सिंह भरतपुर जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत नेरूआ में ग्राम पंचायत सचिव के पद पर कार्यरत था। वह 21 फरवरी की शाम के समय घर से बिना बताये निकल गया था और फिर वापस रात में घर नहीं लौटा, दूसरे दिन घर से कुछ दूरी पर स्थित एक महुआ पेड़ पर पंचायत सचिव छत्रपाल सिंह का शव फांसी पर लटकते देखा गया, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गयी। पुलिस मौके पर पहुंच कर शव का पंचनामा कराया।
ग्रामीणों की मौजूदगी में मृतक के पास से एक आत्महत्या नोट मिला, जिसमें सीईओ, पंचायत इंस्पेक्टर और कांग्रेस के बड़े नेता के नाम लिखे थे, देखते ही देखते आत्महत्या नोट सोशल मीडिया में वायरल हो गया। जिसके बाद ग्रामीण निष्पक्ष जांच की मांग करने लगे। ग्रामीणों के विरोध के कारण पूरे दिन पीएम नहीं हो पाया, देर शाम तहसीलदार की उपस्थिति में शव को एंबुलेंस से जनकपुर ले आया गया, शव के पास मृतक के परिवार के किसी भी सदस्य को साथ नहीं ले जाया गया। मृतक के परिवार के साथ ग्रामीण और ज्यादा नाराज हो गए।
आत्महत्या नोट में क्या है लिखा
पुलिस ने मृतक के पास से एक आत्महत्या नोट भी बरामद किया, जिसमें उल्लेख किया गया है कि मृतक ने जनपद पंचायत के मुख्य कार्यलन अधिकारी, पंचायत इंस्पेक्टर तथा कांग्रेस के बड़े नेता और एक पंचायत सचिव के नाम लिखा है। जिस सचिव का नाम लिखा, उससे सीईओ और पंचायत इंस्पेक्टर द्वारा पचास हजार लेकर उससे नेरूआ पंचायत से अतिरिक्त प्रभार लेकर भगाए, साथ ही कांग्रेस के बड़े नेता का नाम के साथ गांव का नाम व पद भी लिखते हुए नेता पर उसका वित्तीय प्रभार छिनने के कारण आत्महत्या करना बताया।
नोट के दूसरे पन्ने में साफ लिखा है कि आत्महत्या का कारण सीईओ, पंचायत इंस्पेक्टर और कांग्रेस के नेता को जिम्मेदार बताते हुए उसकी जान लेना बताया गया है। एक तरफ यह भी लिखा है कि उसकी जान के लिए उसके बच्चों का कोई दोष नहीं है। वहीं पुलिस ने आत्महत्या नोट में अधिकारियों व जनप्रतिनिधि पर मानसिक रूप से प्रताडि़त करने के आरोपों की जांच में लिया है।
आप ने की सीबीआई जांच की मांग
मामले की जानकारी लगते ही आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष सुखवंती सिंह कोटाडोल क्षेत्र में स्थित मृतक के घर पहुंची, देर रात तक उनके परिजनों के साथ रही, उसके बाद सभी को लेकर 40 किसी दूर जनकपुर पहुंची, सुबह पोस्टमार्टम के समय उपस्थित रही। मामले में सुखवंती सिंह ने कहा कि ये मामला बेहद गंभीर है। इसकी निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई से होनी चाहिए। मृतक परिवार को 50 लाख का मुआवजा मिलना चाहिए, और उनके पुत्र का नौकरी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रदेश की सत्ता में काबिज बड़े कांग्रेसी नेता पर मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाया गया है, जिससे कि मामला संगीन हो गया है, ऐसे में स्थानीय स्तर के जांच में निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती।
सीईओ के खिलाफ जनपद सदस्य
जनपद सीईओ के खिलाफ सभी जनपद सदस्यों ने कलेक्टर से उन्हें हटाने की शिकायत की थी, परन्तु जिला प्रशासन ने किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की थी। दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण ग्राम पंचायतों मे भारी भ्रष्टाचार की शिकायत देखने को मिल रही है, वहीं मृतक सचिव छत्रपाल सिंह कुछ दिनों से परेशान दिखाई दे रहा था। फरवरी के शुरूआत में पंचायत सचिव से वित्तीय प्रभार छिनकर सचिव बलराम यादव को दे दिया गया था। मृतक सचिव ने भी सीईओ पर ही प्रताऩा का आरोप लगाया है।