रायपुर । हाथी के दांतों की
तस्करी रोकने के लिए वन विभाग पालतू हाथियों का डीएनए टेस्ट करा रहा है।
वर्तमान में वन विभाग ने 10 हाथियों के खून व मल के सैंपल लिए हैं। इनके
आधार पर ही डीएनए की जांच की जाएगी, ताकि हाथियों का एक डेटा बेस तैयार हो
सके। विभाग को हाथियों के डीएनए के लिए प्रोजेक्ट एलीफेंट की ओर से वन
विभाग को पत्र आया था। जांच के बाद पालतू हाथियों को एक यूनिक नंबर प्रदान
किया जाएगा, ताकि अवैध खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई जा सके। वन विभाग का कहना
है कि प्रदेश में पालतू हाथियों का ब्लड सैंपल लेने का काम किया जा रहा है।
राज्य में करीब 300 हाथी
ज्ञात
हो कि प्रदेश में जंगली हाथियों की संख्या 300 के करीब है, लेकिन पालतू
हाथियों की संख्या कम है। वर्तमान में तीन हाथी अचानकमार टाइगर रिजर्व और
सात हाथी तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। विभाग ने इस हाथियों
का ब्लड सैंपल ले लिया है। सैंपल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ देहरादून में
जमा करना है। वन विभाग के अधिकारी सैंपल जमा करने के लिए एक दो दिन के भीतर
देहरादून के लिए रवाना होंगे। पालतू हाथियों का डाटा बेस तैयार होने पर
इनकी आयु, आनुवांशिकता समेत अन्य कई बिंदुओं की जानकारी मिल सकेगी।
तस्करी पर लगेगी लगाम
वन विभाग से मिली जानकारी
के अनुसार प्रोजेक्ट एलीफेंट के निदेशक ने निजी स्वामित्व वाले पालतू
हाथियों के डीएनए की सैंपलिंग कराने के निर्देश दिए थे। इसका मकसद है कि
देश भर में निजी लोगों के पास हाथियों की संख्या अधिक है। इन हाथियों के
बारे में विभाग को जानकारी मिल नहीं पाती है। इस कारण हाथी के बच्चों और
दांत आदि बेचने पर पता नहीं चल पाता था, लेकिन अवैध तरीके से खरीदने-बेचने
की प्रक्रिया पर रोक लगेगी। साथ ही हाथियों के अंगों के व्यापार पर रोक
लगाने में भी मदद मिलेगी। सूत्रों की माने तो हाथी के अंग बरामद होते हैं
तो उसके डीएनए से पता लग जाएगा कि यह हाथी पालतू था या फिर जंगली। पालतू
होने पर उसकी पूरी डिटेल निकालने के बाद जरूरी कार्रवाई आसान हो जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ रिसर्च के दौरान भी सहायक होगा।
इन राज्य के हाथियों का किया जा रहा डीएनए
पालतू
हाथियों का डीएनए असम, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, आंध्र
प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, त्रिपुरा, उत्तराखंड,
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़ व झारखण्ड में किया जा रहा है।
रायपुर । हाथी के दांतों की
तस्करी रोकने के लिए वन विभाग पालतू हाथियों का डीएनए टेस्ट करा रहा है।
वर्तमान में वन विभाग ने 10 हाथियों के खून व मल के सैंपल लिए हैं। इनके
आधार पर ही डीएनए की जांच की जाएगी, ताकि हाथियों का एक डेटा बेस तैयार हो
सके। विभाग को हाथियों के डीएनए के लिए प्रोजेक्ट एलीफेंट की ओर से वन
विभाग को पत्र आया था। जांच के बाद पालतू हाथियों को एक यूनिक नंबर प्रदान
किया जाएगा, ताकि अवैध खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई जा सके। वन विभाग का कहना
है कि प्रदेश में पालतू हाथियों का ब्लड सैंपल लेने का काम किया जा रहा है।
राज्य में करीब 300 हाथी
ज्ञात
हो कि प्रदेश में जंगली हाथियों की संख्या 300 के करीब है, लेकिन पालतू
हाथियों की संख्या कम है। वर्तमान में तीन हाथी अचानकमार टाइगर रिजर्व और
सात हाथी तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। विभाग ने इस हाथियों
का ब्लड सैंपल ले लिया है। सैंपल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ देहरादून में
जमा करना है। वन विभाग के अधिकारी सैंपल जमा करने के लिए एक दो दिन के भीतर
देहरादून के लिए रवाना होंगे। पालतू हाथियों का डाटा बेस तैयार होने पर
इनकी आयु, आनुवांशिकता समेत अन्य कई बिंदुओं की जानकारी मिल सकेगी।
तस्करी पर लगेगी लगाम
वन विभाग से मिली जानकारी
के अनुसार प्रोजेक्ट एलीफेंट के निदेशक ने निजी स्वामित्व वाले पालतू
हाथियों के डीएनए की सैंपलिंग कराने के निर्देश दिए थे। इसका मकसद है कि
देश भर में निजी लोगों के पास हाथियों की संख्या अधिक है। इन हाथियों के
बारे में विभाग को जानकारी मिल नहीं पाती है। इस कारण हाथी के बच्चों और
दांत आदि बेचने पर पता नहीं चल पाता था, लेकिन अवैध तरीके से खरीदने-बेचने
की प्रक्रिया पर रोक लगेगी। साथ ही हाथियों के अंगों के व्यापार पर रोक
लगाने में भी मदद मिलेगी। सूत्रों की माने तो हाथी के अंग बरामद होते हैं
तो उसके डीएनए से पता लग जाएगा कि यह हाथी पालतू था या फिर जंगली। पालतू
होने पर उसकी पूरी डिटेल निकालने के बाद जरूरी कार्रवाई आसान हो जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ रिसर्च के दौरान भी सहायक होगा।
इन राज्य के हाथियों का किया जा रहा डीएनए
पालतू
हाथियों का डीएनए असम, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, आंध्र
प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, त्रिपुरा, उत्तराखंड,
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़ व झारखण्ड में किया जा रहा है।