यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का विशेष सत्र आहूत करने के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा भारत:

post

संयुक्त राष्ट्र. यूक्रेन पर रूस के हमले के मामले पर
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा का ‘‘आपातकालीन विशेष सत्र’’ आहूत
करने को लेकर सुरक्षा परिषद में हुए मतदान में भारत ने भाग नहीं लिया,
हालांकि उसने बेलारूस सीमा पर वार्ता करने के मॉस्को और कीव के फैसले का
स्वागत किया। यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर महासभा और शक्तिशाली 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद सोमवार को अलग-अलग बैठक करेंगे। इससे दो दिन पहले यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा
परिषद के एक प्रस्ताव को रूस ने वीटो के जरिए बाधित कर दिया था। इस
प्रस्ताव के लिए हुए मतदान में भी भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल
नहीं हुए थे।



विशेष सत्र आहूत करने पर मतदान के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की बैठक
(स्थानीय समयानुसार) रविवार दोपहर हुई। महासभा के 1950 से अब तक ऐसे केवल
10 सत्र आहूत किये गए हैं। भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात इस मतदान से
दूर रहे, जबकि रूस ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और परिषद के 11
सदस्यों ने इसके समर्थन में मतदान किया। इसके साथ ही यह प्रस्ताव पारित हो
गया।


सुरक्षा परिषद ने दशकों में महासभा के पहले आपातकालीन सत्र को रविवार को
हरी झंडी दी। इस दौरान सोमवार को सभी सदस्य देशों को इस युद्ध पर बोलने का
अवसर मिलेगा और सप्ताह में बाद में प्रस्ताव पर मतदान होगा।

इस बीच, फ्रांस के राजदूत निकोलस डी रिवीरे ने घोषणा कि सुरक्षा परिषद रूस
के आक्रमण के मानवीय प्रभाव पर सोमवार दोपहर को बैठक करेगा। फ्रांस के
राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने इस सत्र को बुलाए जाने मांग की थी, ताकि
यूक्रेन में जरूरतमंदों की मदद तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।



महासभा का सत्र आहूत करने के लिए मतदान प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा
परिषद के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका अपनी
वीटो शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकते। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी
प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने रविवार को हुए मतदान को लेकर स्पष्टीकरण
देते हुए कहा, ‘‘यह खेद की बात है कि इस मामले पर परिषद की अंतिम बैठक
बुलाए जाने के बाद से यूक्रेन में हालात और खराब हुए हैं।’’


उन्होंने रेखांकित किया, ‘‘कूटनीति और वार्ता के मार्ग पर लौटने के
अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।’’ तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘हम बेलारूस सीमा पर
वार्ता करने की दोनों पक्षों की घोषणा का स्वागत करते हैं।’’ उन्होंने कहा
कि भारत यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों समेत भारतीय नागरिकों की सुरक्षा
को लेकर बहुत ंिचतित है।



तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘सीमा पर जटिल और अनिश्चित हालात के कारण बचाव के
हमारे प्रयास बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘परिस्थितियों
को समग्र रूप से देखते हुए हमने मतदान से दूर रहने का फैसला किया
है।’’महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को जिनेवा में
मानवाधिकार परिषद के 49वें नियमित सत्र में शामिल होना था लेकिन उन्होंने
‘‘यूक्रेन की वर्तमान स्थिति और सुरक्षा परिषद में होने वाले घटनाक्रम के
चलते’’ यात्रा रद्द कर दी है। उन्होंने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में
यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत सर्जेई किस्लितस्या से भी मुलाकात की।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी मानवाधिकार परिषद के लिए
जिनेवा की अपनी यात्रा रद्द कर दी।



संयुक्त राष्ट्र. यूक्रेन पर रूस के हमले के मामले पर
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा का ‘‘आपातकालीन विशेष सत्र’’ आहूत
करने को लेकर सुरक्षा परिषद में हुए मतदान में भारत ने भाग नहीं लिया,
हालांकि उसने बेलारूस सीमा पर वार्ता करने के मॉस्को और कीव के फैसले का
स्वागत किया। यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर महासभा और शक्तिशाली 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद सोमवार को अलग-अलग बैठक करेंगे। इससे दो दिन पहले यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा
परिषद के एक प्रस्ताव को रूस ने वीटो के जरिए बाधित कर दिया था। इस
प्रस्ताव के लिए हुए मतदान में भी भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल
नहीं हुए थे।



विशेष सत्र आहूत करने पर मतदान के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की बैठक
(स्थानीय समयानुसार) रविवार दोपहर हुई। महासभा के 1950 से अब तक ऐसे केवल
10 सत्र आहूत किये गए हैं। भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात इस मतदान से
दूर रहे, जबकि रूस ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और परिषद के 11
सदस्यों ने इसके समर्थन में मतदान किया। इसके साथ ही यह प्रस्ताव पारित हो
गया।


सुरक्षा परिषद ने दशकों में महासभा के पहले आपातकालीन सत्र को रविवार को
हरी झंडी दी। इस दौरान सोमवार को सभी सदस्य देशों को इस युद्ध पर बोलने का
अवसर मिलेगा और सप्ताह में बाद में प्रस्ताव पर मतदान होगा।

इस बीच, फ्रांस के राजदूत निकोलस डी रिवीरे ने घोषणा कि सुरक्षा परिषद रूस
के आक्रमण के मानवीय प्रभाव पर सोमवार दोपहर को बैठक करेगा। फ्रांस के
राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने इस सत्र को बुलाए जाने मांग की थी, ताकि
यूक्रेन में जरूरतमंदों की मदद तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।



महासभा का सत्र आहूत करने के लिए मतदान प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा
परिषद के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका अपनी
वीटो शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकते। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी
प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने रविवार को हुए मतदान को लेकर स्पष्टीकरण
देते हुए कहा, ‘‘यह खेद की बात है कि इस मामले पर परिषद की अंतिम बैठक
बुलाए जाने के बाद से यूक्रेन में हालात और खराब हुए हैं।’’


उन्होंने रेखांकित किया, ‘‘कूटनीति और वार्ता के मार्ग पर लौटने के
अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।’’ तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘हम बेलारूस सीमा पर
वार्ता करने की दोनों पक्षों की घोषणा का स्वागत करते हैं।’’ उन्होंने कहा
कि भारत यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों समेत भारतीय नागरिकों की सुरक्षा
को लेकर बहुत ंिचतित है।



तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘सीमा पर जटिल और अनिश्चित हालात के कारण बचाव के
हमारे प्रयास बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘परिस्थितियों
को समग्र रूप से देखते हुए हमने मतदान से दूर रहने का फैसला किया
है।’’महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को जिनेवा में
मानवाधिकार परिषद के 49वें नियमित सत्र में शामिल होना था लेकिन उन्होंने
‘‘यूक्रेन की वर्तमान स्थिति और सुरक्षा परिषद में होने वाले घटनाक्रम के
चलते’’ यात्रा रद्द कर दी है। उन्होंने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में
यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत सर्जेई किस्लितस्या से भी मुलाकात की।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी मानवाधिकार परिषद के लिए
जिनेवा की अपनी यात्रा रद्द कर दी।



...
...
...
...
...
...
...
...