मूली के आगे आदमी की लंबाई भी पड़ जाती है छोटी, जानिए क्या है इसकी खासियत :

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‘मूली’ और जौनपुर जैसे बात की जाय, नदी और उसके किनारे के बारे
में जौनपुर की मूलियाँ बहुत बड़ी और स्वादिष्ट होने के साथ साथ ये स्वास्थ्य
के लिए भी बहुत ही गुणकारी है. जौनपुरी नेवार
एक
की प्रजाति है जो चार से छह फीट तक लंबी हो सकती है. इसकी वजह गोमती नदी
है जो जौनपुर के कुछ गांवों के करीब है और इस कारण वहां सिंचाई के साधन
बहुतायत से हैं. उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 6 फीट लंबी मूली पैदा होती है.
कभी-कभी लंबाई इतनी होती है कि आदमी भी छोटे पड़ जाते हैं.




इन मूलियों का स्वाद भी होता है लजवाब


जौनपुर शहर गोमती नदी के किनारे बसा है. गोमती से सटे कुछ इलाके हैं.
करीब 10-12 गांव. इन गांवों की अपनी भौगोलिक परिस्थिति की वजह से यहां
स्पेशल मूली उग पाती है. 2.5 इंच मोटी सिर्फ लंबाई-चौड़ाई के लिए
ही फेमस नहीं है. बल्कि इसका अपना स्वाद भी काफी शानदार है. बाजार में
मिलने वाली मूली से इतर इसमें काफी मिठास पाई जाती है. जहां मूली 15 से 17
किलो तक के वजन की मिल जाती थी.


वहीं, अब मूली का वजन गिरकर 5 से 7 किलो की हो गई. जौनपुर की 
अपनी विशेषताओं की वजह से जिले की पहचान बन गई है. अपने गुणों की कारण ये
मूली अब देश के कई ह‍िस्सों में उगाई जाने लगी है, लेक‍िन अभी भी जौनपुर और
आस-पास के क्षेत्रों में होने वाली भौगौल‍िक गुणों की वजह से सबसे
खास है.


सीमित हो गया इसका उत्पादन


जौनपुर की मूली की प्रसिद्धि दूसरे देशों तक है. वहीं अब इस खास प्रजाति
की Raddish को किसान बोना नहीं पसंद कर रहे हैं. मनमाफिक दाम न मिलने की
वजह से किसान अब जल्दी पैदा होने वाली हाइब्रिड प्रजाति की मूली का उत्पादन
कर रहे हैं जिसके कारण जिले की पहचान के रूप में स्थापित नेवार प्रजाति की
Raddish का उत्पादन सीमित हो चुका है. इस मूली को पैदा होने में 100 दिन
से ज्यादा का समय लगता है. वहीं, वजन और आकार में बड़े होने के कारण छोटे
परिवार के लोग इसे कम लेना पसंद करते हैं. अब यह मूली अब केवल प्रदर्शनी
में ही दिखाई देती है.


नेवार किस्म जौनपुर में ही क्यों सफल है?


जौनपुर गोमती नदी के किनारे स्थित है जिस कारण इस क्षेत्र में सिंचाई के
लिए जल की बहुतायत होती है. इस प्रकार फसल की खेती के लिए लोगों को
पर्याप्त जल उपलब्ध हो जाता है तथा मूली की खेती बहुत अच्छी होती है. इसके
अतिरिक्त भौगोलिक परिस्थिति और खास किस्म की मिट्टी के चलते भी नेवार
प्रजाति की मूली जौनपुर में ही हो सकती है. यह मूली उस खेत में अधिक पैदा
होती है जिसमें पहले तम्बाकू बोया जाता है.


‘मूली’ और जौनपुर जैसे बात की जाय, नदी और उसके किनारे के बारे
में जौनपुर की मूलियाँ बहुत बड़ी और स्वादिष्ट होने के साथ साथ ये स्वास्थ्य
के लिए भी बहुत ही गुणकारी है. जौनपुरी नेवार
एक
की प्रजाति है जो चार से छह फीट तक लंबी हो सकती है. इसकी वजह गोमती नदी
है जो जौनपुर के कुछ गांवों के करीब है और इस कारण वहां सिंचाई के साधन
बहुतायत से हैं. उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 6 फीट लंबी मूली पैदा होती है.
कभी-कभी लंबाई इतनी होती है कि आदमी भी छोटे पड़ जाते हैं.




इन मूलियों का स्वाद भी होता है लजवाब


जौनपुर शहर गोमती नदी के किनारे बसा है. गोमती से सटे कुछ इलाके हैं.
करीब 10-12 गांव. इन गांवों की अपनी भौगोलिक परिस्थिति की वजह से यहां
स्पेशल मूली उग पाती है. 2.5 इंच मोटी सिर्फ लंबाई-चौड़ाई के लिए
ही फेमस नहीं है. बल्कि इसका अपना स्वाद भी काफी शानदार है. बाजार में
मिलने वाली मूली से इतर इसमें काफी मिठास पाई जाती है. जहां मूली 15 से 17
किलो तक के वजन की मिल जाती थी.


वहीं, अब मूली का वजन गिरकर 5 से 7 किलो की हो गई. जौनपुर की 
अपनी विशेषताओं की वजह से जिले की पहचान बन गई है. अपने गुणों की कारण ये
मूली अब देश के कई ह‍िस्सों में उगाई जाने लगी है, लेक‍िन अभी भी जौनपुर और
आस-पास के क्षेत्रों में होने वाली भौगौल‍िक गुणों की वजह से सबसे
खास है.


सीमित हो गया इसका उत्पादन


जौनपुर की मूली की प्रसिद्धि दूसरे देशों तक है. वहीं अब इस खास प्रजाति
की Raddish को किसान बोना नहीं पसंद कर रहे हैं. मनमाफिक दाम न मिलने की
वजह से किसान अब जल्दी पैदा होने वाली हाइब्रिड प्रजाति की मूली का उत्पादन
कर रहे हैं जिसके कारण जिले की पहचान के रूप में स्थापित नेवार प्रजाति की
Raddish का उत्पादन सीमित हो चुका है. इस मूली को पैदा होने में 100 दिन
से ज्यादा का समय लगता है. वहीं, वजन और आकार में बड़े होने के कारण छोटे
परिवार के लोग इसे कम लेना पसंद करते हैं. अब यह मूली अब केवल प्रदर्शनी
में ही दिखाई देती है.


नेवार किस्म जौनपुर में ही क्यों सफल है?


जौनपुर गोमती नदी के किनारे स्थित है जिस कारण इस क्षेत्र में सिंचाई के
लिए जल की बहुतायत होती है. इस प्रकार फसल की खेती के लिए लोगों को
पर्याप्त जल उपलब्ध हो जाता है तथा मूली की खेती बहुत अच्छी होती है. इसके
अतिरिक्त भौगोलिक परिस्थिति और खास किस्म की मिट्टी के चलते भी नेवार
प्रजाति की मूली जौनपुर में ही हो सकती है. यह मूली उस खेत में अधिक पैदा
होती है जिसमें पहले तम्बाकू बोया जाता है.


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