हम अन्नदाताओं के साथ छल नहीं होने देंगे - बघेल:

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00 केन्द्र पूरा 60 लाख मीटरिक टन चावल ले, तो अतिशेष धान बेचना नहीं पड़ेगा
00 राज्यपाल के अभिभाषण पर विधानसभा में कृतज्ञता ज्ञापन का प्रस्ताव पारित
00 नई उद्योग नीति से छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए बढ़ा आकर्षण

रायपुर।
छत्तीसगढ़
विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित हुआ। इससे
पहले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने
आज कहा कि यह देश और प्रदेश अन्नदाताओं का है। हम किसी भी सूरत में किसानों
को उनके अधिकारों से वंचित नहीं होने देंगे। हम अन्नदाताओं के साथ छल नहीं
होने देंगे।


मुख्यमंत्री ने कहा कि चर्चा के दौरान जो लोग यहां समर्थन
मूल्य पर धान खरीदी को लेकर बातें कर रहे थे। दिल्ली में उन्हीं की सरकार
है। वहां समर्थन मूल्य पर फसल खरीदने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे
हैं, 2 सौ से अधिक किसानों की मौत हो गई, लेकिन तब भी उस सरकार ने ध्यान
नहीं दिया। उन्होंने कहा कि किसानों पर 3 ऐसे कानून जबरदस्ती थोपे जा रहे
हैं, जिसे किसान चाहते ही नहीं। उन्होंने कहा कि हमनें छत्तीसगढ़ में
किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं छत्तीसगढ़
के हितों को लेकर केन्द्र को लगातार पत्र लिखता हूं। इसलिए विपक्षी सदस्यों
ने आज मुझे पत्रजीवी कहा, लेकिन आदिवासियों, नौजवानों, किसानों, अनुसूचित
जाति, जनजाति और छत्तीसगढ़ के हितों की बात जब भी आएगी, तो मैं हजार बार
पत्र लिखूंगा। हमने किसानों की सुविधा बढ़ाने के लिए 263 नये उपार्जन
केन्द्र बनाएं। प्रदेश में 2300 धान खरीदी केन्द्र होने से धान खरीदी में
कहीं अव्यवस्था नहीं हुई। बारदानों की कमी के बाद भी धान खरीदी का काम
सुव्यवस्थित ढंग से हुआ। श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जब
केन्द्रीय पूल में 60 लाख मीटरिक टन चावल जमा करने की सहमति दी थी, तो
विपक्षी सदस्यों ने कहा कि केन्द्र सरकार को धन्यवाद देना चाहिए। इस पर
मैंने कहा था कि जिस दिन पूरा 60 लाख मीटरिक टन चावल केन्द्रीय पूल में
लिया जाएगा, उस दिन पूरा सदन उन्हें धन्यवाद दूंगा। उन्होंने कहा कि आज
केन्द्र ने केवल 24 लाख मीटरिक टन जमा करने की अनुमति दी है। अब विपक्ष को
पूरे 60 लाख मीटरिक टन चावल जमा कराने के लिए केन्द्र से अनुमति दिलानी
चाहिए।


मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नीतियों से कृषि के प्रति लोगों का
आकर्षण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 में 13 लाख 17 हजार 583
किसानों का पंजीयन हुआ था, इनमें से 11 लाख 5 हजार 556 किसानों ने धान
बेचा। 16.1 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। इसी तरह 2016-17 में 14 लाख 51
हजार 88 किसानों का पंजीयन हुआ, इनमें से 13 लाख 27 हजार 944 किसानों ने
धान बेचा। 8.5 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। 2017-18 में 15 लाख 77 हजार
332 किसानों का पंजीयन हुआ, 12 लाख 6 हजार 224 किसानों ने धान बेचा और
23.6 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। जबकि इस साल याने 2020-21 में 21 लाख
52 हजार 475 किसानों का पंजीयन किया गया। 20 लाख 53 हजार 483 किसानों ने
धान बेचा यानि 95.38 प्रतिशत किसानों से धान की खरीदी हुई। इस बार प्रदेश
में 24 लाख 86 हजार 665 हेक्टेयर रकबे में किसानों ने धान का उत्पादन किया,
जो वर्ष 2015-16 की तुलना में बहुत ज्यादा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि
कुछ विपक्षी सदस्य यह प्रश्न उठा रहे हैं कि अतिशेष धान राज्य सरकार क्यों
बेच रही है। मैं कहना चाहता हूं कि आप हमें 60 लाख मीटरिक टन केन्द्रीय पूल
में जमा करने की अनुमति दिला दीजिए, हमें बाहर धान या चावल बेचने की जरूरत
ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम धान का उपार्जन केन्द्र सरकार के लिए
करते हैं। एक समय था जब देश में अनाज की कमी थी, तब इंदिरा जी के आव्हान पर
हरित क्रांति हुई और हमारे किसानों ने उस चुनौती को स्वीकार किया। देश
स्वावलंबी हुआ और आज जब आधिक्य हो गया तो आप व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2 हजार 500 रूपए से
बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा करने के साथ-साथ समर्थन मूल्य पर खरीदे
जा रहे 7 लघु वनोपजों की संख्या बढ़ाकर 52 कर दी है। इसके साथ ही हम लघु
वनोपजों का वैल्यू एडीशन भी कर रहे हैं। हम लोगों ने वन अधिकार पत्र के उन
मामलों का भी निराकरण किया, जो पूर्व में निराकृत नहीं किए गए थे।
वनवासियों को उनकी काबिज वनभूमि के वन अधिकार पत्र वितरित करने के मामले
में छत्तीसगढ़ देश में अव्वल है। हमनें 4 लाख 33 हजार व्यक्तिगत प्रकरणों
में 9 लाख 3 हजार 520 एकड़ और 41 हजार 16 सामुदायिक प्रकरणों  में 37 लाख
870 एकड़ इस प्रकार कुल 46 लाख 4 हजार 399 एकड़ वनभूमि का अधिकार दिलाया
है।



मुख्यमंत्री ने कहा कि हमनें 2019 में नई उद्योग नीति लागू की,
जिसके बाद 1249 उद्योगों की स्थापना हुई। इन उद्योगों में 16 हजार 986
करोड़ रूपए का पूंजी निवेश हुआ। 22 हजार लोगों को रोजगार मिला है। इसी तरह
मेगा औद्योगिक परियोजनाओं के लिए 104 एमओयू किए गए, जिससे 42 हजार 417
करोड़ रूपए का पूंजी निवेश होगा। उन्होंने कहा कि हमें निवेश को आकर्षित
करने के लिए कहीं नहीं जाना पड़ा। हमनें यहीं के उद्योगपतियों पर विश्वास
किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों ने 200 फूड पार्क स्थापित करने का
लक्ष्य रखा है। इनमें से 111 स्थानों पर फूड पार्क के लिए जगह चिन्हित कर
ली गई है। सिंचाई से संबंधित विपक्ष के प्रश्नों का जवाब देेते हुए
मुख्यमंत्री ने कहा कि अरपा-भैंसाझर एक वृहद परियोजना हो सकती थी, लेकिन
उसे मध्यम बना दिया गया। बीते दो सालों में राज्य में जल संसाधनों के बेहतर
प्रबंधन से वास्तविक सिंचाई 9 लाख 68 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 13 लाख
हेक्टेयर हो गई है, जो अपने आप में कीर्तिमान है। उन्होंने कहा कि पिछली
सरकार ने 15 सालों के अपने कार्यकाल में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए 18
हजार 225 करोड़ रूपए खर्च किए। वास्तविक सिंचाई क्षमता में मात्र 16 हजार
हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई। प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बोलते हुए श्री
भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश में कानून का राज है। हम बेहतर कानून व्यवस्था
देने में सफल रहे हैं। प्रदेश में नक्सली घटनाएं कम हुई है। इससे 13 साल
से बंद स्कूल फिर से खुले हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, मलेरिया उन्मूलन
जैसे क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल हुई है। लोगों का विश्वास शासन पर
बढ़ा है। राज्य में कानून व्यवस्था है इसका प्रमाण यह है कि टाटा ट्रस्ट की
ओर से जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में छत्तीसगढ़ की पुलिसिंग को
देशभर में दूसरा स्थान मिला है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र से हमें 14
हजार 73 करोड़ रूपए हमारे कार्यकाल की लेनी है, जो केन्द्रीय करों में
छत्तीसगढ़ का हिस्सा है। वर्ष 2004 से लेकर अब तक कुल 15 हजार 154 करोड़
रूपए लेने हैं। श्री भूपेश बघेल ने कहा केन्द्रीय करों में हिस्सा हमारा हक
है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में छत्तीसगढ़ में शिक्षा की
व्यवस्था की तारीफ नीति आयोग और प्रधानमंत्री जी ने भी की। राज्य के
विद्यार्थियों को हर तरह के प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने हेतु
स्वामी आत्मानंद के  नाम पर अंग्रेजी माध्यम के 52 स्कूल प्रारंभ किए गए
हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुरानी सरकार के कार्यकाल में रेत खदान का
संचालन पंचायतों द्वारा किया जाता था। तब तरह-तरह की शिकायतें मिलती थी। आज
हमनें उन्हें टेंडर के जरिए संचालन की व्यवस्था की है। केवल टेंडर से ही
25 करोड़ रूपए का राजस्व आ गए। खदानों के संचालन से जो आय होगी, उसका 25
प्रतिशत हिस्सा एड करके पंचायतों को उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने
कहा कि हमनें चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण छात्रों
के हित में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए किया है। इस कॉलेज का
संचालन निजी क्षेत्र द्वारा किया जाता रहा है। ठीक ढंग से संचालन नहीं
होने के कारण छात्रों के हित के लिए हमने अधिग्रहण किया।
नगरनार इस्पात
संयंत्र का विनिवेशीकरण नहीं होने देने का संकल्प भी इसी सदन में पारित
किया गया है। हम बस्तर के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि इस संयंत्र को एनएमडीसी या सीएमडीसी जैसी सार्वजनिक
क्षेत्र की कंपनियां संचालित करें। एकतरफा विनिवेश नहीं होने देंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार इस स्टील प्लांट को बचाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा
कि कोरोना काल से पहले छत्तीसगढ़ में मात्र 151 वेंटीलेटर थे, जिसे बढ़ाकर
हमनें 514 किया है। इसी तरह आईसीयू की संख्या 53 से बढ़ाकर 406, ऑक्सीजन
बेड की संख्या अब बढ़ाकर 1668 कर दी गई है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना
के टीकाकरण मामले में केवल 3 करोड़ लोग ही भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं
है। 135 करोड़ लोगों को नि:शुल्क टीके लगवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। यदि
केन्द्र सरकार ऐसा करने से इंकार करती है, तो अपने राज्य में हम अपने खर्च
पर टीकाकरण करवाएंगे। उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन का उपयोग 11 राज्यों में
केवल एक प्रतिशत लोगों के लिए ही किया गया है। छत्तीसगढ़ ने भी निर्णय लिया
है कि इसका उपयोग तीसरे ट्रायल के बाद ही किया जाएगा। 


00 केन्द्र पूरा 60 लाख मीटरिक टन चावल ले, तो अतिशेष धान बेचना नहीं पड़ेगा
00 राज्यपाल के अभिभाषण पर विधानसभा में कृतज्ञता ज्ञापन का प्रस्ताव पारित
00 नई उद्योग नीति से छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए बढ़ा आकर्षण

रायपुर।
छत्तीसगढ़
विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित हुआ। इससे
पहले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने
आज कहा कि यह देश और प्रदेश अन्नदाताओं का है। हम किसी भी सूरत में किसानों
को उनके अधिकारों से वंचित नहीं होने देंगे। हम अन्नदाताओं के साथ छल नहीं
होने देंगे।


मुख्यमंत्री ने कहा कि चर्चा के दौरान जो लोग यहां समर्थन
मूल्य पर धान खरीदी को लेकर बातें कर रहे थे। दिल्ली में उन्हीं की सरकार
है। वहां समर्थन मूल्य पर फसल खरीदने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे
हैं, 2 सौ से अधिक किसानों की मौत हो गई, लेकिन तब भी उस सरकार ने ध्यान
नहीं दिया। उन्होंने कहा कि किसानों पर 3 ऐसे कानून जबरदस्ती थोपे जा रहे
हैं, जिसे किसान चाहते ही नहीं। उन्होंने कहा कि हमनें छत्तीसगढ़ में
किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं छत्तीसगढ़
के हितों को लेकर केन्द्र को लगातार पत्र लिखता हूं। इसलिए विपक्षी सदस्यों
ने आज मुझे पत्रजीवी कहा, लेकिन आदिवासियों, नौजवानों, किसानों, अनुसूचित
जाति, जनजाति और छत्तीसगढ़ के हितों की बात जब भी आएगी, तो मैं हजार बार
पत्र लिखूंगा। हमने किसानों की सुविधा बढ़ाने के लिए 263 नये उपार्जन
केन्द्र बनाएं। प्रदेश में 2300 धान खरीदी केन्द्र होने से धान खरीदी में
कहीं अव्यवस्था नहीं हुई। बारदानों की कमी के बाद भी धान खरीदी का काम
सुव्यवस्थित ढंग से हुआ। श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जब
केन्द्रीय पूल में 60 लाख मीटरिक टन चावल जमा करने की सहमति दी थी, तो
विपक्षी सदस्यों ने कहा कि केन्द्र सरकार को धन्यवाद देना चाहिए। इस पर
मैंने कहा था कि जिस दिन पूरा 60 लाख मीटरिक टन चावल केन्द्रीय पूल में
लिया जाएगा, उस दिन पूरा सदन उन्हें धन्यवाद दूंगा। उन्होंने कहा कि आज
केन्द्र ने केवल 24 लाख मीटरिक टन जमा करने की अनुमति दी है। अब विपक्ष को
पूरे 60 लाख मीटरिक टन चावल जमा कराने के लिए केन्द्र से अनुमति दिलानी
चाहिए।


मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नीतियों से कृषि के प्रति लोगों का
आकर्षण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 में 13 लाख 17 हजार 583
किसानों का पंजीयन हुआ था, इनमें से 11 लाख 5 हजार 556 किसानों ने धान
बेचा। 16.1 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। इसी तरह 2016-17 में 14 लाख 51
हजार 88 किसानों का पंजीयन हुआ, इनमें से 13 लाख 27 हजार 944 किसानों ने
धान बेचा। 8.5 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। 2017-18 में 15 लाख 77 हजार
332 किसानों का पंजीयन हुआ, 12 लाख 6 हजार 224 किसानों ने धान बेचा और
23.6 प्रतिशत किसान धान नहीं बेच पाए। जबकि इस साल याने 2020-21 में 21 लाख
52 हजार 475 किसानों का पंजीयन किया गया। 20 लाख 53 हजार 483 किसानों ने
धान बेचा यानि 95.38 प्रतिशत किसानों से धान की खरीदी हुई। इस बार प्रदेश
में 24 लाख 86 हजार 665 हेक्टेयर रकबे में किसानों ने धान का उत्पादन किया,
जो वर्ष 2015-16 की तुलना में बहुत ज्यादा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि
कुछ विपक्षी सदस्य यह प्रश्न उठा रहे हैं कि अतिशेष धान राज्य सरकार क्यों
बेच रही है। मैं कहना चाहता हूं कि आप हमें 60 लाख मीटरिक टन केन्द्रीय पूल
में जमा करने की अनुमति दिला दीजिए, हमें बाहर धान या चावल बेचने की जरूरत
ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम धान का उपार्जन केन्द्र सरकार के लिए
करते हैं। एक समय था जब देश में अनाज की कमी थी, तब इंदिरा जी के आव्हान पर
हरित क्रांति हुई और हमारे किसानों ने उस चुनौती को स्वीकार किया। देश
स्वावलंबी हुआ और आज जब आधिक्य हो गया तो आप व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2 हजार 500 रूपए से
बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा करने के साथ-साथ समर्थन मूल्य पर खरीदे
जा रहे 7 लघु वनोपजों की संख्या बढ़ाकर 52 कर दी है। इसके साथ ही हम लघु
वनोपजों का वैल्यू एडीशन भी कर रहे हैं। हम लोगों ने वन अधिकार पत्र के उन
मामलों का भी निराकरण किया, जो पूर्व में निराकृत नहीं किए गए थे।
वनवासियों को उनकी काबिज वनभूमि के वन अधिकार पत्र वितरित करने के मामले
में छत्तीसगढ़ देश में अव्वल है। हमनें 4 लाख 33 हजार व्यक्तिगत प्रकरणों
में 9 लाख 3 हजार 520 एकड़ और 41 हजार 16 सामुदायिक प्रकरणों  में 37 लाख
870 एकड़ इस प्रकार कुल 46 लाख 4 हजार 399 एकड़ वनभूमि का अधिकार दिलाया
है।



मुख्यमंत्री ने कहा कि हमनें 2019 में नई उद्योग नीति लागू की,
जिसके बाद 1249 उद्योगों की स्थापना हुई। इन उद्योगों में 16 हजार 986
करोड़ रूपए का पूंजी निवेश हुआ। 22 हजार लोगों को रोजगार मिला है। इसी तरह
मेगा औद्योगिक परियोजनाओं के लिए 104 एमओयू किए गए, जिससे 42 हजार 417
करोड़ रूपए का पूंजी निवेश होगा। उन्होंने कहा कि हमें निवेश को आकर्षित
करने के लिए कहीं नहीं जाना पड़ा। हमनें यहीं के उद्योगपतियों पर विश्वास
किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों ने 200 फूड पार्क स्थापित करने का
लक्ष्य रखा है। इनमें से 111 स्थानों पर फूड पार्क के लिए जगह चिन्हित कर
ली गई है। सिंचाई से संबंधित विपक्ष के प्रश्नों का जवाब देेते हुए
मुख्यमंत्री ने कहा कि अरपा-भैंसाझर एक वृहद परियोजना हो सकती थी, लेकिन
उसे मध्यम बना दिया गया। बीते दो सालों में राज्य में जल संसाधनों के बेहतर
प्रबंधन से वास्तविक सिंचाई 9 लाख 68 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 13 लाख
हेक्टेयर हो गई है, जो अपने आप में कीर्तिमान है। उन्होंने कहा कि पिछली
सरकार ने 15 सालों के अपने कार्यकाल में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए 18
हजार 225 करोड़ रूपए खर्च किए। वास्तविक सिंचाई क्षमता में मात्र 16 हजार
हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई। प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बोलते हुए श्री
भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश में कानून का राज है। हम बेहतर कानून व्यवस्था
देने में सफल रहे हैं। प्रदेश में नक्सली घटनाएं कम हुई है। इससे 13 साल
से बंद स्कूल फिर से खुले हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, मलेरिया उन्मूलन
जैसे क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल हुई है। लोगों का विश्वास शासन पर
बढ़ा है। राज्य में कानून व्यवस्था है इसका प्रमाण यह है कि टाटा ट्रस्ट की
ओर से जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में छत्तीसगढ़ की पुलिसिंग को
देशभर में दूसरा स्थान मिला है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र से हमें 14
हजार 73 करोड़ रूपए हमारे कार्यकाल की लेनी है, जो केन्द्रीय करों में
छत्तीसगढ़ का हिस्सा है। वर्ष 2004 से लेकर अब तक कुल 15 हजार 154 करोड़
रूपए लेने हैं। श्री भूपेश बघेल ने कहा केन्द्रीय करों में हिस्सा हमारा हक
है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में छत्तीसगढ़ में शिक्षा की
व्यवस्था की तारीफ नीति आयोग और प्रधानमंत्री जी ने भी की। राज्य के
विद्यार्थियों को हर तरह के प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने हेतु
स्वामी आत्मानंद के  नाम पर अंग्रेजी माध्यम के 52 स्कूल प्रारंभ किए गए
हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुरानी सरकार के कार्यकाल में रेत खदान का
संचालन पंचायतों द्वारा किया जाता था। तब तरह-तरह की शिकायतें मिलती थी। आज
हमनें उन्हें टेंडर के जरिए संचालन की व्यवस्था की है। केवल टेंडर से ही
25 करोड़ रूपए का राजस्व आ गए। खदानों के संचालन से जो आय होगी, उसका 25
प्रतिशत हिस्सा एड करके पंचायतों को उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने
कहा कि हमनें चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण छात्रों
के हित में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए किया है। इस कॉलेज का
संचालन निजी क्षेत्र द्वारा किया जाता रहा है। ठीक ढंग से संचालन नहीं
होने के कारण छात्रों के हित के लिए हमने अधिग्रहण किया।
नगरनार इस्पात
संयंत्र का विनिवेशीकरण नहीं होने देने का संकल्प भी इसी सदन में पारित
किया गया है। हम बस्तर के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि इस संयंत्र को एनएमडीसी या सीएमडीसी जैसी सार्वजनिक
क्षेत्र की कंपनियां संचालित करें। एकतरफा विनिवेश नहीं होने देंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार इस स्टील प्लांट को बचाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा
कि कोरोना काल से पहले छत्तीसगढ़ में मात्र 151 वेंटीलेटर थे, जिसे बढ़ाकर
हमनें 514 किया है। इसी तरह आईसीयू की संख्या 53 से बढ़ाकर 406, ऑक्सीजन
बेड की संख्या अब बढ़ाकर 1668 कर दी गई है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना
के टीकाकरण मामले में केवल 3 करोड़ लोग ही भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं
है। 135 करोड़ लोगों को नि:शुल्क टीके लगवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। यदि
केन्द्र सरकार ऐसा करने से इंकार करती है, तो अपने राज्य में हम अपने खर्च
पर टीकाकरण करवाएंगे। उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन का उपयोग 11 राज्यों में
केवल एक प्रतिशत लोगों के लिए ही किया गया है। छत्तीसगढ़ ने भी निर्णय लिया
है कि इसका उपयोग तीसरे ट्रायल के बाद ही किया जाएगा। 


शयद आपको भी ये अच्छा लगे!