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Health : अल्कोहल बढ़ा सकता है इनफर्टिलिटी का जोखिम, जानिए :

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पार्टी के दौरान अल्कोहल इनटेक अचानक बढ़ जाता है, जो शरीर के ऑर्गन्स को प्रभावित करने के अलावा इनफर्टिलिटी का भी कारण साबित होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ के अनुसार अत्यधिक शराब का सेवन करने से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। रिसर्च के अनुसार हर सप्ताह 3 से 6 बार अल्कोहल पीने से एक महिला में आसानी से कंसीव करने की संभावना 44 फीसदी तक कम हो जाती है। जानते हैं अल्कोहल से फर्टिलिटी कैसे प्रभावित होती है (how alcohol affects fertility) ।

अल्कोहल का प्रजनन क्षमता पर असर (Effect of alcohol on fertility)

बायोमेड सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान शराब के उपयोग के टेराटोजेनिक प्रभाव बढ़ने लगता हैं। दरअसल, शराब आसानी से प्लेसेंटा को पार करके एमनियोटिक फ्लूड और भ्रूण तक पहुंच जाती है। इससे एमनियोटिक फ्लूड में अल्कोहल और उसके मेटाबोलाइट्स जमा हो जाते हैं। इससे फीटस की मेटाबॉलिक एंजाइम गतिविधि कम हो जाती है। इससे शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट की क्षमता में कमी और मुक्त कणों में वृद्धि होती है। इसके चलते ब्रेन के टिशूज में एपोप्टोसिस में वृद्धि होने लगती है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार अधिक शराब पीने से हार्मोन और ओव्यूलेशन प्रभावित होती है। इसके चलते पीरियड में हैवी ब्लड फ्लो और अनियमित मासिक धर्म का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही शराब का नियमित सेवन करने वाली महिलाओं को अन्य की तुलना में गर्भवती होने में अधिक समय लगता है।

नियमित रूप से शराब पीने से गर्भपात, स्टिल बर्थ यानि मृत जन्म, लो बर्थ वेट और प्रीमेच्योर बर्थ की समस्या बनी रहती है। इसके अलावा बच्चे में विकलांगता और विकास संबंधी समस्याएँ बढ़ने लगती हैं। इससे फीटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की संभावना बढ़ने लगती है। इस बारे में मेफ्लावर महिला अस्पताल, अहमदाबाद में सर्जन, डॉ संजय पटेल बता रहे हैं कि कैसे

अल्कोहल का सेवन करने से महिलाओं में इनफर्टिलिटी का जोखिम बढ़ जाता है।

जानते हैं शराब पीने से इनफर्टिलिटी कैसे बढ़ती है (how drinking alcohol increases infertility)

1. मासिक धर्म चक्र में अनियमितता (Irregular period)

शराब पीने से ओव्यूलेशन और मासिक धर्म चक्र के लिए आवश्यक नियमित हार्मोनल संतुलन बाधित होने लगता है। इररेगुलर पीरियड के कारण ओव्यूलेशन पीरियड का पता लगाना मुश्किल हो जाता है, जिससे कंसीव करने में परेशानी बढ़ जाती है। साथ ही मासिक धर्म में रक्त का स्त्राव भी प्रभावित होने लगता है।

2. ओव्यूलेशन डिसऑर्डर (Ovulation disorder)

वे महिलाएं, जो रोज़ाना शराब का सेवन करती हैं, उन्नकी ओवरीज़ से अंडे की रिहाई यानि ओव्यूलेशन प्रभावित होने लगता है। अनियमित या हर बार ओव्यूलेशन न होने से प्रेगनेंसी की संभावनाएं कम होने लगती है। साथ ही इनफर्टिलिटी का रिस्क बढ़ जाता है।

3. हार्मोनल इंबैलेंस का बढ़ना (Hormonal imbalance) 

अधिक शराब पीने से शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर प्रभावित होता है । ये हार्मोन मासिक धर्म चक्र को रेगुलर रखने और प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इससे कंसीव करने की संभावना कम हो जाती है और मिसकैरेज का जोखिम बढ़ जाता है।

4. इंम्प्लाटेशन में रूकावट (Impaired implantation)

गर्भावस्था के दौरान हेल्दी मील लेने की सलाह दी जाती है। मगर कंसीव करने के दौरान शराब पीने से फर्टिलाइज्ड एग को इंम्प्लांट करने में मुश्किल बढ़ जाती है। अल्कोहल के सेवन से गर्भाशय की परत प्रभावित होती है, जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।

5. एग क्वालिटी होती है प्रभावित (Low egg Quality)

शराब के सेवन से अंडे की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है। इससे स्वस्थ भ्रूण में विकसित होने की संभावना कम हो जाती है। शराब से ग्रैनुलोसा सेल्स की गतिविधि प्रभावित होती है। इसके चलते अंडे को पोषण की प्राप्ति नहीं होती है।

6. मिसकैरेज का जोखिम बढ़ जाना (Risk of miscarriage)

प्रेगनेंसी के दौरान शराब का सेवन करना बच्चे के लिए बेहद नुकसानदायक साबित होता है। गर्भावस्था के दौरान या फिर कंसीव करने के दौरान शराब का सेवन करना मिसकैरेज और गर्भावस्था के दौरान कॉम्प्लीकेशन का कारण साबित होता है।


पार्टी के दौरान अल्कोहल इनटेक अचानक बढ़ जाता है, जो शरीर के ऑर्गन्स को प्रभावित करने के अलावा इनफर्टिलिटी का भी कारण साबित होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ के अनुसार अत्यधिक शराब का सेवन करने से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। रिसर्च के अनुसार हर सप्ताह 3 से 6 बार अल्कोहल पीने से एक महिला में आसानी से कंसीव करने की संभावना 44 फीसदी तक कम हो जाती है। जानते हैं अल्कोहल से फर्टिलिटी कैसे प्रभावित होती है (how alcohol affects fertility) ।

अल्कोहल का प्रजनन क्षमता पर असर (Effect of alcohol on fertility)

बायोमेड सेंट्रल की रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान शराब के उपयोग के टेराटोजेनिक प्रभाव बढ़ने लगता हैं। दरअसल, शराब आसानी से प्लेसेंटा को पार करके एमनियोटिक फ्लूड और भ्रूण तक पहुंच जाती है। इससे एमनियोटिक फ्लूड में अल्कोहल और उसके मेटाबोलाइट्स जमा हो जाते हैं। इससे फीटस की मेटाबॉलिक एंजाइम गतिविधि कम हो जाती है। इससे शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट की क्षमता में कमी और मुक्त कणों में वृद्धि होती है। इसके चलते ब्रेन के टिशूज में एपोप्टोसिस में वृद्धि होने लगती है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार अधिक शराब पीने से हार्मोन और ओव्यूलेशन प्रभावित होती है। इसके चलते पीरियड में हैवी ब्लड फ्लो और अनियमित मासिक धर्म का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही शराब का नियमित सेवन करने वाली महिलाओं को अन्य की तुलना में गर्भवती होने में अधिक समय लगता है।

नियमित रूप से शराब पीने से गर्भपात, स्टिल बर्थ यानि मृत जन्म, लो बर्थ वेट और प्रीमेच्योर बर्थ की समस्या बनी रहती है। इसके अलावा बच्चे में विकलांगता और विकास संबंधी समस्याएँ बढ़ने लगती हैं। इससे फीटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की संभावना बढ़ने लगती है। इस बारे में मेफ्लावर महिला अस्पताल, अहमदाबाद में सर्जन, डॉ संजय पटेल बता रहे हैं कि कैसे

अल्कोहल का सेवन करने से महिलाओं में इनफर्टिलिटी का जोखिम बढ़ जाता है।

जानते हैं शराब पीने से इनफर्टिलिटी कैसे बढ़ती है (how drinking alcohol increases infertility)

1. मासिक धर्म चक्र में अनियमितता (Irregular period)

शराब पीने से ओव्यूलेशन और मासिक धर्म चक्र के लिए आवश्यक नियमित हार्मोनल संतुलन बाधित होने लगता है। इररेगुलर पीरियड के कारण ओव्यूलेशन पीरियड का पता लगाना मुश्किल हो जाता है, जिससे कंसीव करने में परेशानी बढ़ जाती है। साथ ही मासिक धर्म में रक्त का स्त्राव भी प्रभावित होने लगता है।

2. ओव्यूलेशन डिसऑर्डर (Ovulation disorder)

वे महिलाएं, जो रोज़ाना शराब का सेवन करती हैं, उन्नकी ओवरीज़ से अंडे की रिहाई यानि ओव्यूलेशन प्रभावित होने लगता है। अनियमित या हर बार ओव्यूलेशन न होने से प्रेगनेंसी की संभावनाएं कम होने लगती है। साथ ही इनफर्टिलिटी का रिस्क बढ़ जाता है।

3. हार्मोनल इंबैलेंस का बढ़ना (Hormonal imbalance) 

अधिक शराब पीने से शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर प्रभावित होता है । ये हार्मोन मासिक धर्म चक्र को रेगुलर रखने और प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इससे कंसीव करने की संभावना कम हो जाती है और मिसकैरेज का जोखिम बढ़ जाता है।

4. इंम्प्लाटेशन में रूकावट (Impaired implantation)

गर्भावस्था के दौरान हेल्दी मील लेने की सलाह दी जाती है। मगर कंसीव करने के दौरान शराब पीने से फर्टिलाइज्ड एग को इंम्प्लांट करने में मुश्किल बढ़ जाती है। अल्कोहल के सेवन से गर्भाशय की परत प्रभावित होती है, जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।

5. एग क्वालिटी होती है प्रभावित (Low egg Quality)

शराब के सेवन से अंडे की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है। इससे स्वस्थ भ्रूण में विकसित होने की संभावना कम हो जाती है। शराब से ग्रैनुलोसा सेल्स की गतिविधि प्रभावित होती है। इसके चलते अंडे को पोषण की प्राप्ति नहीं होती है।

6. मिसकैरेज का जोखिम बढ़ जाना (Risk of miscarriage)

प्रेगनेंसी के दौरान शराब का सेवन करना बच्चे के लिए बेहद नुकसानदायक साबित होता है। गर्भावस्था के दौरान या फिर कंसीव करने के दौरान शराब का सेवन करना मिसकैरेज और गर्भावस्था के दौरान कॉम्प्लीकेशन का कारण साबित होता है।


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