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NEWS RAIPUR विद्या द्वारा किन्नारों के प्रति किया जा रहा काम छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश में अलग पहचान बना रही हैं:

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  रायपुर  । छत्‍तीसगढ़
की राजधानी रायपुर की विद्या राजपूत अपने किन्न्र समाज को मुख्यधारा में
लाने के लिए पिछले कई सालों से प्रयासरत हैं। उनकी मेहनत अब धीरे-धीरे रंग
लाने लगी है। उनके त्याग, परिश्रम और लगन की वजह से उन्हें राज्य सरकार पं.
रविशंकर शुक्ल सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है।


यह सम्मान उन लोगों को दिया जाता है, जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक
क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं। विद्या राजपूत ने बताया कि
जिस सम्मान के लिए वह लगातार लड़ रही हैं, वह धीरे-धीरे साकार होता नजर आ
रहा है। विद्या राजपूत ने बताया कि आम तौर पर किन्नारों की छवि नाचने गाने
की है, लेकिन अब यह छवि धीरे-धीरे बदल रही है।
किन्नार
अब सामान्यजन के बीच कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। उनकी प्रेरणा का ही
असर है कि राजधानी के किन्नार पुलिस में भर्ती होकर न केवल मुस्तैदी से
ड्यूटी कर रहे हैं, अपनी अलग छाप भी छोड़ रहे हैं। विद्या द्वारा किन्नारों
के प्रति किया जा रहा काम छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश में अलग पहचान बना
रही हैं।

 
उनकी संस्था प्रदेश के किन्नारों को सिलाई-बुनाई का प्रशिक्षण देने से लेकर
यूपीएससी की तैयारी भी करवा रही हैं, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में करीब 10 हजार किन्नार हैं। उनकी संस्था
छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति शासन के साथ मिलकर किन्नारों का निश्शुल्क
लिंग परिवर्तन करवाने के अलावा स्कील डेवलपमेंट, ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड
और प्रदेश के किन्नारों को प्रमाण पत्र जारी करने वाले ट्रांसजेंडर
वेलफेयर कमेटी से साथ मिलकर उनके उत्थान के लिए काम कर रही हैं।

 


  रायपुर  । छत्‍तीसगढ़
की राजधानी रायपुर की विद्या राजपूत अपने किन्न्र समाज को मुख्यधारा में
लाने के लिए पिछले कई सालों से प्रयासरत हैं। उनकी मेहनत अब धीरे-धीरे रंग
लाने लगी है। उनके त्याग, परिश्रम और लगन की वजह से उन्हें राज्य सरकार पं.
रविशंकर शुक्ल सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है।


यह सम्मान उन लोगों को दिया जाता है, जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक
क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं। विद्या राजपूत ने बताया कि
जिस सम्मान के लिए वह लगातार लड़ रही हैं, वह धीरे-धीरे साकार होता नजर आ
रहा है। विद्या राजपूत ने बताया कि आम तौर पर किन्नारों की छवि नाचने गाने
की है, लेकिन अब यह छवि धीरे-धीरे बदल रही है।
किन्नार
अब सामान्यजन के बीच कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। उनकी प्रेरणा का ही
असर है कि राजधानी के किन्नार पुलिस में भर्ती होकर न केवल मुस्तैदी से
ड्यूटी कर रहे हैं, अपनी अलग छाप भी छोड़ रहे हैं। विद्या द्वारा किन्नारों
के प्रति किया जा रहा काम छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश में अलग पहचान बना
रही हैं।

 
उनकी संस्था प्रदेश के किन्नारों को सिलाई-बुनाई का प्रशिक्षण देने से लेकर
यूपीएससी की तैयारी भी करवा रही हैं, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में करीब 10 हजार किन्नार हैं। उनकी संस्था
छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति शासन के साथ मिलकर किन्नारों का निश्शुल्क
लिंग परिवर्तन करवाने के अलावा स्कील डेवलपमेंट, ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड
और प्रदेश के किन्नारों को प्रमाण पत्र जारी करने वाले ट्रांसजेंडर
वेलफेयर कमेटी से साथ मिलकर उनके उत्थान के लिए काम कर रही हैं।

 


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